अभी हाल ही में यूपी में काफी विवाद उत्पन्न हुआ था, जब एक कथित ‘नेपाली’ व्यक्ति को पकड़ कर ज़बरदस्ती मुंडन करवाया गया था। चूंकि यह घटना वाराणसी में हुई थी, इसलिए योगी सरकार का निशाने पर लिया जाना स्वाभाविक था। परंतु पुलिस की जांच पड़ताल में पता चला था कि जिसका मुंडन हुआ था, वो नेपाली था ही नहीं।
अभी हाल ही में बनारस में रहने वाले नेपाली नागरिक का बुधवार को जबरन मुंडन कर दिया। उस नेपाली नागरिक के सिर पर ‘जय श्रीराम’ का नारा लिखा गया और उससे नेपाली प्रधानमंत्री मुर्दाबाद का नारा लगवाया गया। विश्व हिंदू सेना ने सोशल मीडिया पर इसका वीडियो जारी करते हुए एक बार फिर से नेपाल के पीएम केपी शर्मा (Nepali CM KP Sharma Oli) ओली को चेतावनी भी दी, और साथ ही बनारस में रह रहे नेपाली नागरिकों को भी यह चेतावनी दी है कि यदि नेपाल के पीएम लगातार ऐसे बयान देंगे तो इसका परिणाम उन्हें भुगतना होगा। इस घटना के कारण भारत में रह रहे नेपाल के लोगों में डर पैदा करने की कोशिश की गई है। इसके साथ ही इस कृत्य से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया है।
पुलिस द्वारा जांच पड़ताल प्रारम्भ किए जाने पर पता चला कि वह व्यक्ति नेपाली नहीं बल्कि भारतीय है, और उसका नाम धर्मेंद्र सिंह है। धर्मेंद्र ने बताया कि लॉकडाउन के कारण उत्पन्न आर्थिक तंगी से निपटने के लिए उसने 1000 रुपये के एवज में ‘नेपाली’ बन अपना मुंडन करवाया, और ये 1000 रुपये उसे विश्व हिन्दू सेना ने ही प्रदान किए। फलस्वरूप विश्व हिंदू सेना के संस्थापक अरुण पाठक समेत अज्ञात कार्यकताओं के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
वहीं मामले में गंभीर रुख अख्तियार करते हुए यूपी डीजीपी एचसी अवस्थी ने वाराणसी के सीनियर अफसर जांच कराने के आदेश दिए हैं। केस दर्ज करने के फौरन बाद ही पुलिस ने गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू कर दी है। अभी तक 4 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें संतोष पांडेय, राजू यादव, अमित दुबे और आशीष मिश्रा प्रमुख हैं, तो वहीं मुख्य आरोपी अरुण पाठक अभी भी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं।
अरुण पाठक के बारे में कुछ और बातें भी पता चली हैं, जिससे ये मामला मामूली दिखाई नहीं देता। नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार अरुण पाठक पहले शिवसेना के सदस्य थे, परंतु कांग्रेस से गठबंधन होने के कारण वे काफी विक्षुब्ध हो गए और उन्होंने विश्व हिन्दू सेना का गठन किया। शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के जमाने से पार्टी से जुड़े पूर्वांचल के फायरब्रांड नेता अरुण पाठक ने वाराणसी में गौ, गंगा को साक्षी मानकर गायत्री मंत्र के बीच राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा करते हुए विश्व हिंदू सेना का गठन किया था।
ऐसे में अरुण पाठक का शिवसेना से कनेक्शन कुछ गंभीर सवाल खड़े करता है। क्या ये घटना केवल योगी सरकार को नीचा दिखाने के उद्देश्य से की गई थी, या इसके पीछे कोई और साजिश है? यह सभी जानते हैं कि योगी आदित्यनाथ नाथ संप्रदाय के महंत और गोरखनाथ मन्दिर के महंत होने के कारण नेपाल और उससे सटे भारतीय इलाकों में काफी लोकप्रिय है। ऐसे में एक ‘नेपाली’ व्यक्ति का ‘जबरन मुंडन’ करा कर न केवल योगी सरकार को नीचा दिखाया जा सकता था, अपितु नेपाल के वर्तमान प्रशासन के खोखले दावों को और बल मिलता, इसके साथ ही इस कृत्य से देश की छवि पर भी नकरात्मक असर पड़ता।। परंतु, वाराणसी पुलिस ने कुशल जांच पड़ताल से सारे किए कराये पर पानी फेर दिया, और ‘जबरन मुंडन’ के ढोंग की पोल खोल के रख दी।