ग्रीस की दो गलतियों के कारण आज तुर्की उसे आँखें दिखा रहा है

ग्रीस अब भी समय है संभल जाओ

ग्रीस

दक्षिण चीन सागर में तनाव थोड़ा कम हुआ ही था कि पूर्वी भूमध्यसागर में दो नाटो देश तुर्की और ग्रीस के बीच तनाव बढ़ता दिखाई दे रहा है। यह विवाद तुर्की द्वारा ग्रीस के जलक्षेत्र में किए जा रहे सिस्मिक रिसर्च को लेकर है। पूर्वी भूमध्यसागर के विवादित जलक्षेत्र में रिसर्च के लिए तुर्की ने NAVTEX जारी किया है और चेतावनी जारी की है कि तुर्की का Turkish Oruc Reis जहाज 21 जुलाई से 2 अगस्त पूर्वी भूमध्यसागर में सिस्मिक सर्वे पर रहेगा। इस चेतावनी में जिन क्षेत्रों की बात की गयी है उस सर्वेक्षण में ग्रीस के Kastelorizo द्वीप के एक विस्तृत क्षेत्र और ग्रीक कॉन्टिनेंटल क्षेत्र के कई हिस्सों को कवर किया गया है। इस तरह से Greece के जलक्षेत्र में तुर्की के प्रवेश करने से क्षेत्र का तनाव बढ़ गया है, और ग्रीस की नेवी हाई अलर्ट पर है। यही नहीं Greece अब यूरोपियन यूनियन और अंतराष्ट्रीय संगठनों से हस्तक्षेप की मांग कर रहा है।

हालांकि, यहां गलती तुर्की की तो है पर उससे अधिक दो बड़ी गलती ग्रीस ने की है।

पहला एर्दोगन ने 8 महीने पहले ही इस NAVTEX के बारे में जानकारी या यूं कहे ग्रीस के जल क्षेत्र में रिसर्च की जानकारी दे दी थी, तब ग्रीस ने न तो कोई सवाल उठाया और न ही इस मामले को लेकर किसी अंतराष्ट्रीय संगठन के पास गया है। एर्दोगन ने उस समय घोषणा की थी कि तुर्की ग्रीक द्वीपों के पास ड्रिलिंग गतिविधियों को शुरू करने की योजना बना रहा।

यही नहीं उससे पहले नवंबर 2019 में तुर्की ने लीबिया के साथ एक Maritime Boundary Treaty पर भी हस्ताक्षर किया था जिसके बाद काफी विवाद भी हुआ था। इस समझौते के तहत दोनों देश मिलकर भूमध्य सागर में एक विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित करने पर सहमत हुए थे। उस दौरान Greece ने इस समझौते को “भौगोलिक रूप से बेतुका” बताया था, और कहा था कि यह समझौता तुर्की-लीबिया के तटों के बीच Crete, Kasos, Karpathos, Kastellorizo और Rhodes के द्वीपों की उपस्थिति को अनदेखा करता है। यानि उसी समय तुर्की ने ग्रीस के जल क्षेत्र पर अपना कब्जा जमाना शुरू कर दिया था। उस दौरान EU ने भी इस समझौते को “असंवैधानिक” बताया था। ग्रीस ने संयुक्त राष्ट्र को आपत्ति दर्ज कराई और सौदे के जवाब में लीबिया के राजदूत को निष्कासित कर दिया। हालांकि, जिस प्रकार का विरोध होन चाहिए था उस प्रकार का विरोध Greece ने नहीं किया और न ही तुर्की के खिलाफ कोई एक्शन लिया।  अगर ग्रीस वैश्विक स्तर पर अपना विरोध बनाए रखता तो शायद वर्ष 1974 की तरह फिर से तुर्की पर प्रतिबंध लग सकते थे।

अब आठ महीने बाद ग्रीस के पास रोने धोने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है और तुर्की आसानी से अपनी विस्तारवादी नीति को अंजाम दे रहा है। हालांकि, Greece ने EU, UN और NATO जैसे संगठनों का दवाजा खटखटाया है, लेकिन अब क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत।

ग्रीस की दूसरी गलती उसकी no-first-fire policy है। जैसे ही तुर्की की ओर से NAVTEX आई वैसे ही ग्रीस ने अपनी नेवी को अलर्ट कर उन्हें रणनीतिक स्थान पर भेजना शुरू कर दिया। Hellenic Armed Forces की तैनाती की गयी है और साथ में ग्रीस अपने के उत्तरी भू-भाग तथा अन्य संवेदनशील स्थानों पर सेना की लामबंदी कर रहा है। हालांकि, Greece अभी भी तुर्की के उकसावे का ही इंतजार कर रहा है और पहले हमला नहीं करने वाला है। पहले कदम न उठा कर Greece के बार फिर से तुर्की को उसके रिसर्च में आगे बढ़ने में मदद कर रहा है।

अगर तुर्की एक बार ग्रीस के जल क्षेत्र में प्रवेश कर गया तो फिर तुर्की को रोक पाना Greece के लिए नामुमकिन हो जाएगा। तुर्की के पास इस क्षेत्र की सबसे बड़ी स्वदेशी नौसेना है और Oruc Reis को आगे बढ़ाने का वादा किया है। तत्काल आसपास के क्षेत्र में कम से कम अठारह युद्धपोत खड़े हैं। इसे देखते हुए, ग्रीस के पास जवाब देने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। तुर्की भी चीन की तरह ही आक्रामक नीति अपना कर आस पास के देशों के क्षेत्रों को हथियाना चाहता है और उसने ग्रीस के जल क्षेत्र से शुरुआत कर दी है। अगर तुर्की को रोकना है तो ग्रीस को यूरोपीय देशों से मदद ले कर हमला के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

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