‘कहीं भी छुप जाओ, ढूंढ निकालेंगे’, विकास दुबे का एनकाउंटर कर UP पुलिस ने अन्य माफियाओं को अल्टीमेटम दिया है

कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे!

विकास दुबे

हाल ही में पकड़ा गया कुख्यात अपराधी विकास दुबे तड़के सुबह कानपुर पहुँचने से पहले मारा गया। रिपोर्ट्स के अनुसार विकास को लेने वाली गाड़ी उज्जैन से कानपुर की ओर अग्रसर थी, जब भारी बारिश के कारण गाड़ी पलट गई और विकास ने भागने की कोशिश की तभ पुलिस और विकास दुबे में मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में 4 पुलिसकर्मी भी घायल हुए, लेकिन विकास दुबे आखिरकार मारा गया।

इस एनकाउंटर से यूपी पुलिस ने एक स्पष्ट संदेश भेजा है कि अब उत्तर प्रदेश में किसी भी संगठित माफ़िया का जंगल राज अब और नहीं चलेगा। 1989 में नारायण दत्त तिवारी की सरकार गिरने के साथ ही उत्तर प्रदेश में न केवल मुलायम सिंह यादव का आगमन हुआ, अपितु संगठित माफ़िया का भी प्रादुर्भाव हुआ। चाहे कोयले की तस्करी हो, या फिर पुलिसकर्मियों पर अंधाधुंध फायरिंग, उत्तर प्रदेश में मानो अपराध का बोलबाला था। 1997 में कल्याण सिंह की सत्ता वापसी के बाद इस दिशा में कुछ सकारात्मक कदम अवश्य उठाए गए, परंतु 2002 में सत्ता से बाहर होते ही अपराधियों का राज एक बार फिर कायम हो गया।

ये संगठित माफिया और उनके राजनीतिक आकाओं की साँठ गांठ का ही कमाल है कि साठ से अधिक मामले होने के बावजूद विकास दुबे जैसा व्यक्ति किसी की पकड़ में नहीं आता था। विकास दुबे ने हाल ही में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करवाई थी, जिसके कारण पूरे राज्य में आक्रोश उमड़ पड़ा। चूंकि योगी प्रशासन में ऐसे अपराधियों को किसी प्रकार की छूट नहीं दी जाती है, इसलिए विकास दुबे को जल्द से जल्द कानून के गिरफ्त में लाने की तैयारियां होने लगी। विकास दुबे को उज्जैन में हिरासत में लिया गया और उसे कानपुर स्थानांतरित किया ही जा रहा था कि उसके भागने की फितरत उसकी जान ही ले बैठी।

सच कहें तो योगी आदित्यनाथ के आने के बाद से यूपी पुलिस के कद और प्रतिष्ठा, दोनों में ही बहुत सुधार हुआ है। परंतु इसकी नींव 1998 में ही पड़ गई थी, जब यूपी पुलिस ने आतंक का पर्याय बन चुके गैंंगस्टर श्री प्रकाश शुक्ल को गाज़ियाबाद में एक लंबी मुठभेड़ के बाद मार गिराया। तब से अब तक कई दुर्दांत अपराधियों को यूपी पुलिस नर्क का द्वार दिखा चुकी है, और योगी आदित्यनाथ के शासन में आने के बाद से इस अभियान में अप्रत्याशित वृद्धि भी देखने को मिली है।

इसके अलावा यूपी पुलिस ने ये भी संदेश दिया है कि वे अपने साथियों की मृत्यु को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। 2017 से ही पुलिस कर्मियों पर हमले की संख्या में भी काफी कमी आई है। ऐसा नहीं है कि अब हमले नहीं होते, परंतु अब यूपी पुलिस ने भी हमलों का मुंहतोड़ जवाब देना सीख लिया है। उदाहरण के लिए सीएए के विरोध के नाम पर हुए दंगे ही देख लीजिये। जब दंगाइयों ने दिल्ली के तर्ज पर यूपी को भी बर्बाद करने का प्रयास किया, तो योगी सरकार के नेतृत्व में यूपी पुलिस एक्शन मोड में उतर आई और चाहे हजारों की संख्या में हिरासत में लेना हो, या फिर अपराधियों की संपत्ति से ही सार्वजनिक संपत्ति की भरपाई करना हो, अपनी तत्परता से यूपी पुलिस ने एक और दिल्ली बनने देने से यूपी को बचा लिया। अब विकास दुबे जैसे अपराधी को मार गिराकर यूपी पुलिस ने स्पष्ट संदेश भेजा है – कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे। 

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