इस बात में कोई संदेह नहीं है कि, पाकिस्तानी सेना हमेशा से आतंकवाद का समर्थन करती आई है। लेकिन अकेला भारत ही नहीं है, जिसे पाकिस्तानी सेना की आतंकी गतिविधियों का शिकार बनना पड़ता है। अफगानिस्तान और ईरान को भी सीमा पर कई बार पाकिस्तान की गुंडई का शिकार होना पड़ा है। लेकिन इस बार पाकिस्तान ने निकृष्टता की सभी सीमाएं लांघते हुए अफगानिस्तान सीमा पर अंधाधुंध फायरिंग की, जिसके कारण नौ अफगान नागरिक मारे गए और करीब 50 लोग घायल हो गए हैं।
न्यूज़ एजेंसी अल अरबिया की रिपोर्ट में लिखा गया, “रक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार रात में हुए एक घातक आर्टिलरी हमले में, कंधार प्रांत के स्पिन बोलदक जिले के नौ नागरिक मारे गए और करीब 50 लोग घायल हो गए…. अफगान सेना प्रमुख जनरल यासीन ज़िया ने सभी आर्मी कोर के साथ बातचीत करने के बाद ये निर्णय लिया है कि पाकिस्तान की इस हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए डूरण्ड लाइन पर तैनात अफगानी सैनिकों को खुली छूट दी जाती है।”
पिछले कई वर्षों से पाकिस्तान और अफगानिस्तान में काफी तनातनी चल रही है। बॉर्डर पर आए दिन पाकिस्तान और अफगानिस्तान में ठीक वैसे ही संघर्ष चलता है, जैसे भारत और पाकिस्तान सीमा पर होता है। इसके अलावा अफगानिस्तान के आतंकी हमलों की जांच में अक्सर कहीं न कहीं पाक समर्थित तालिबान या स्वयं पाकिस्तानी प्रशासन और सेना का नाम सामने आ ही जाता है।
पिछले साल वर्ष नवंबर में भी पाकिस्तान ने ठीक ऐसी ही नापाक हरकत करने का प्रयास किया था। नवंबर में खैबर-पख्तूनख्वा के चित्राल जिले में अफगान सीमा पर पाकिस्तानी सेना ने गोलीबारी की लेकिन अफगानिस्तान की जवाबी कार्रवाई के कारण पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। पाकिस्तानी सशस्त्र बलों की मीडिया विंग और इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने इस खबर की पुष्टि की थी और कहा था कि उसके छह सैनिकों को गंभीर चोटों का सामना करना पड़ा था।
पाक अपनी सैन्य ताकत का घमंड दिखाने का एक अवसर हाथ से नहीं जाने देता फिर चाहे वो LOC में हो या अफगान सीमा में हो। हालाँकि इस बात को भूलना नहीं चाहिए कि ये वही पाकिस्तान है जो इसी तरह की गीदड़-भभकियों के कारण भारत से 4 बार युद्ध में मात खा चुका है। एक समय मुस्लिम जगत में अपनी धाक जमाने के लिए इज़राएल के विरुद्ध लड़े जा रहे सिक्स डे वॉर में पाकिस्तान ने अपने लड़ाकू विमान भी भेजे थे लेकिन वहां भी उसे मुंह की खानी पड़ी। ऐसे में पाकिस्तान के वर्तमान स्वभाव को देखते हुए एक कहावत बिलकुल सटीक बैठती है- चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए।
अफगानिस्तान भी अब हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने वालों में से नहीं है। वह पाकिस्तान की चीन से हो रही दोस्ती से भली भांति परिचित है और अफगानिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों को कब्ज़ा करने की फ़िराक में है। लेकिन अफगानिस्तान ऐसा बिलकुल नहीं होने देना चाहता और इसीलिए अब उसने पाकिस्तान के विरुद्ध मोर्चा संभालने का निर्णय ले लिया है। ये न सिर्फ पाकिस्तान के लिए, बल्कि उसके आकाओं के लिए भी बहुत बुरी खबर है, जो पाक के जरिये अफगानिस्तान को कुचलने के खयाली पुलाव पकाते हैं।