यदि आपको ऐसा लग रहा है कि अमेरिका और बाकी वैश्विक महाशक्तियों की चीन पर डिजिटल कार्रवाई केवल टिक टॉक और Huawei तक ही सीमित रहेगी, तो ऐसा बिलकुल भी नहीं होगा। क्लाइनर पर्किंस की रिपोर्ट के अनुसार अब अमेरिका का अगला निशाना चीन की टेक कंपनी Tencent है, जो PUBG जैसे गेमिंग एप में भारी निवेश करता है और जिसकी कृपा से WeChat जैसी सेवाएँ चालू हैं।
परंतु ऐसा क्यों हुआ? माना जा रहा है कि टिक टॉक और Huawei की भांति WeChat भी अपने यूजर्स से काफी भारी मात्रा में जानकारी इकट्ठा करता है। चूंकि, WeChat के मालिक Tencent पर चीनी प्रशासन की विशेष कृपा है, इसलिए ये अमेरिका और बाकी देशों की निजता के लिए खतरा सिद्ध हो सकता है। इसीलिए डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिकी प्रशासन ने हाल ही में WeChat पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है।
इस खबर के सार्वजनिक होते ही Tencent के शेयर्स में ज़बरदस्त गिरावट दर्ज हुई, 10 प्रतिशत के गिरावट से इस कंपनी को लगभग 68 बिलियन डॉलर्स का भारी नुकसान हुआ है। इसके अलावा अभी हाल ही में अलीबाबा जैसी कंपनियों को भी वैश्विक स्टॉक मार्केट में काफी नुकसान उठाना पड़ा है और कुल मिलाकर चीनी टेक सेक्टर में 100 बिलियन डॉलर्स का नुकसान हुआ है।
WeChat पर अमेरिका का प्रतिबंध कई चीनी कंपनियों की हेकड़ी को न सिर्फ ठिकाने लगाएगा, अपितु अब चीनी कंपनियों के वित्तीय गतिविधियों को काफी नुकसान पहुंचाएगा। WeChat की वही हैसियत है चीन में, जो भारत में यूपीआई की है। Tencent को अगर आम भाषा में समझाये तो यूं समझ लीजिये कि वह व्हाट्सएप, PAYTM , फेसबुक, पेपैल, नेटफ्लिक्स की अजीब सी खिचड़ी है, जिसके करीब 1 अरब यूजर्स हैं संसार भर में। इसे 1998 में एक इज़रायली मेसेजिंग सर्विस की कॉपी कर चीन में उतारा गया था।
इतना ही नहीं, अमेरिका ने Tencent पर डेटा चोरी और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए उसपर प्रतिबंध लगाया है। ट्रम्प ने प्रतिबंध की घोषणा करते हुए कहा कि इस एप का दुरुपयोग चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के हित में किया जा सकता है। डोनाल्ड ट्रम्प के अनुसार अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अमेरिका को कड़े कदम उठाने पड़ेंगे।
जिस तरह से अमेरिका चीनी टेक कंपनियों पर आक्रामक हो रहा है, उसका उद्देश्य स्पष्ट है – चीनी अर्थव्यवस्था को ऐसी चोट पहुँचाना कि वह इससे कभी न उबर पाये। रुचिर शर्मा के लेख के अनुसार चीन की डिजिटल अर्थव्यवस्था कुल अर्थव्यवस्था का एक तिहाई हिस्सा बनाता है, जिसके कारण चीन अपने कर्जे निपटाने में सक्षम रहा है। चीन का कुल डिजिटल राजस्व भारत के कुल राष्ट्रीय राजस्व से कहीं अधिक है और इस पर प्रहार करना माने चीन के अर्थव्यवस्था के रीढ़ टूटने के बराबर है। जब 1990 के दशक में चीन की पुरानी अर्थव्यवस्था टूटने के मुहाने पर थी, तब चीन ने तकनीक में भारी निवेश किया था।
लेकिन पिछले कुछ महीनों से भारत और अमेरिका ने चीनी कंपनियों द्वारा फैलाये गए साम्राज्य को खत्म करना प्रारम्भ कर दिया है। चाहे टिक टॉक जैसे एप का भारत द्वारा प्रतिबंध लगाना हो या फिर अमेरिका द्वारा Huawei , Tencent पर कार्रवाई हो, चीन के डिजिटल अर्थव्यवस्था को तहस नहस करने में भारत और अमेरिका कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। इन दोनों देशों के मार्केट्स पर चीन अपना वर्चस्व कायम करना चाहता था, परंतु अब लगता है कि यह सपना सपना ही बनकर रह जाएगा।