जैसे-जैसे बिहार चुनाव पास आ रहा है, वैसे-वैसे चुनाव को लेकर सभी राजनैतिक पार्टियों की बेचैनी बढ़ती जा रही है। इस बीच भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आज़ाद उर्फ रावण ने घोषणा की उसकी भीम आर्मी बिहार के सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। भीम आर्मी अकेले ही सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। चंद्रशेखर के इस फैसले ने राष्ट्रीय जनता दल जैसी जाति-आधारित राजनीति करने वाली पार्टियों की चिंता बढ़ा दी है।
चंदशेखर ने बताया कि, उनकी राजनैतिक पार्टी- आजाद समाज पार्टी, किसी भी अन्य दल से गठबंधन नहीं करेगी और सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी। इस घोषणा के अवसर पर आजाद समाज पार्टी की ओर से चुनाव कमेटी का गठन भी किया गया। इस दौरान, नवनियुक्त पार्टी नेताओं का मीडिया से परिचय भी कराया गया। इस मौके पर चंद्रशेखर ने कहा कि बिहार में सबसे बड़ी समस्या अत्याचार की है, जिसे दूर करने का बीड़ा उन्होंने उठाया है।
लेकिन देखा जाए तो भीम आर्मी का बिहार चुनावों में उतरना, लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी यानी राष्ट्रीय जनता दल के लिए शुभ संकेत नहीं है। दरअसल, लालू यादव का प्रमुख वोट बैंक है यादव जाति, अनुसूचित जाति और मुस्लिम समुदाय। दिलचस्प बात तो यह है कि, भीम आर्मी का भी प्रमुख समर्थक बेस इन्हीं तीन समुदायों के जोड़ से बनता है। भीम आर्मी अनुसूचित जाति के वोटरों के बीच काफी लोकप्रिय है। ऐसे में, भीम आर्मी अधिक से अधिक वोट अर्जित कर न केवल आरजेडी, बल्कि काँग्रेस जैसी पार्टियों के वोट बैंक में भी अच्छी-खासी- सेंध लगा सकती है।
वैसे भीम आर्मी का यह निर्णय ज्यादा चौंकाने वाली बात नहीं है, क्योंकि चंद्रशेखर ने इससे पहले भी चुनावी राजनीति में अपना दम-खम दिखाया है। हालांकि, भीम आर्मी ने 2019 लोकसभा चुनाव में हिस्सा नहीं लिया था, लेकिन, बसपा सुप्रीमो मायावती पर दलित समुदाय के साथ धोखे का आरोप लगाते हुए चंद्रशेखर ने लोगों से ‘महागठबंधन’ को वोट नहीं देने की अपील की थी। तब BSP सुप्रीमो मायावती ने अखिलेश यादव के साथ उत्तर प्रदेश में भाजपा को चुनौती देने के लिए गठबंधन किया था। चंद्रशेखर और उनकी भीम आर्मी के अभियान ने इस जोड़ी को बहुत नुकसान पहुँचाया था।
गौरतलब है कि, सिर्फ चंदशेखर की पार्टी ही नहीं है जो लालू के वोट बैंक में सेंध लगा रही है। AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी हाल ही में घोषणा की है कि, उनकी पार्टी बिहार की 32 मुस्लिम बहुल विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। ऐसे में लालू के दूसरे भरोसेमंद वोट बैंक पर भी तगड़ी सेंध पड़ना तय है, क्योंकि पिछले उपचुनाव में किशनगंज की सीट जीतकर AIMIM ने अपनी प्रतिबद्धता सिद्ध की है।
कुल मिला कर बिहार में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही राजद के लिए रास्ता और मुश्किल होने जा रहा है। राजद के पारंपरिक वोट बैंक- दलित और मुस्लिम ही यदि उससे मुंह मोड़ लेंगे तब तो पार्टी अपना राजनैतिक आधार ही खो देगी। जिस तरह से भीम आर्मी ने सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है, उससे लालू यादव के पार्टी का भविष्य इस चुनाव के बाद फिर संशय में आ सकता है।