“उइगर पर लिखने वाले कट्टरपंथियों को चुप कराओ या अंजाम भुगतो” चीन की पाकिस्तान को दो टूक

उइगर मुसलमानों का मुद्दा पाकिस्तान ना उगल पा रहा न निगल पा रहा

उइगर

पाकिस्तान में आज कल ऐसे हालात बन रहे हैं जो खुद उसके और उसके आका चीन, दोनों को असहज कर रहे हैं। मामला उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों से जुड़ा है। चीन में उइगर मुसलमानों पर अत्याचार की कहानी वैसे तो नई नहीं है पर अब तक पाकिस्तान इस मामले पर हमेशा चुप्पी साधे रहता था। लेकिन अब पाकिस्तान के कट्टरपंथी मुसलमानों ने चीन में उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर चीन को घेरना शुरू कर दिया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तानी अथॉरिटीज़ ने पाकिस्तान स्थित चीनी दूतावास को एक आंतरिक रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीन में उइगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों के कारण पाकिस्तानी लोगों में चीन के प्रति नकारात्मक भावनाएं बढ़ रही हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यदि धार्मिक भावनाएं आहत हुईं तो दोनों देशों के आपसी सम्बन्ध पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इस पर चीनी दूतावास ने पाकिस्तान को सख्त लहजे में कहा है कि वह अपने देश में ऐसी आवाज़ों को शांत करे।

दरअसल पाकिस्तान ने शुरू से ही कट्टरपंथी इस्लाम को अपना हथियार माना है और ऐसे सभी विचारों को बढ़ावा भी दिया है। लेकिन अब यह विचार उसकी ही विदेश निति में समस्या खड़ी कर रहे हैं। चीन के शिनजियांग प्रान्त में उइगर मुसलमानों के साथ हो रहे अत्याचार के बारे में पूरा विश्व जानता है। उइगर मुसलमानों को जबरन कंसन्ट्रेशन कैंप में रखा जाता है।  पुरुषों की जबरन नसबसंदी और महिलओं का जबरन गर्भपात किया जाता है। यहाँ तक कि कोरोना के फैलाव के दौरान जब आम चीनी नागरिक घरों में थे और उद्योगों में मजदूरों की आवश्यकता थी तब उइगर मुसलमानों को फैक्ट्रियों में दासों की तरह जबरन काम करवाया जा रहा था। लेकिन अब पाकिस्तान में कई धार्मिक कट्टरपंथी पत्रिकाएं उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों पर खुल कर, तीखे-तीखे लेख लिखने लगी हैं। इशराक, अहल-ए-हदीस, मोहादिस, पैयाम, अल बुरहान, अल ऐतेसाम, उसवाह हसन, और तरजुमन उल कुरान जैसी पत्रिकाएं नवंबर 2019 के बाद से इस मुद्दे पर मुखरता से लिख रही हैं।

अब यही पत्रिकाएँ चीन कि चिंता बढ़ा रहीं हैं क्योंकि कोरोना के कारण वैसे भी वह बदनामी झेल नहीं पा रहा है और इन पत्रिकाओं के कारण उसे डर है कि कहीं सारे इस्लामिक देश उसके खिलाफ ना खड़े हो जाएँ। इसीलिए चीनी दूतावास ने पकिस्तान को बहुत सख्त लहजे में आदेश दिया है कि वो ऐसी पत्रिकाओं पर रोक लगाये। चीन ने तो पहले से ही अपने इरादे साफ कर दिए हैं कि वह अपने देश में इस्लामिक संस्कृति का उभार नहीं चाहता है क्योंकि उसे बहुलतावादी संस्कृति में विश्वास नहीं है और इसे अपनी अखंडता के लिए खतरा मानता है। और तो और राष्ट्रपति जिनपिंग का उइगर मुसलमानों से व्यक्तिगत वैमनस्य भी है। इसका कारण यह है कि शी जिनपिंग के राष्ट्रपति बनने के महज़ एक वर्ष बाद ही जब वे शिंजियांग प्रांत के दौरे पर गए थे, तो उनके दौरे के आखिरी दिन 2 उइगर उग्रवादियों ने सुसाइड बम से उन पर हमला किया था। इस हमले में 80 लोग बुरी तरह घायल हो गए थे।

अब इन सभी घटनाओं से यह बात तो साफ़ हो गई है कि पाकिस्तान का कट्टरता को बढ़ावा देना अब उसी पर दुल्लती साबित हो रही है, क्योंकि ना तो वो कट्टरपंथियों का खुल कर विरोध कर सकता है और नहीं चीन का। पाकिस्तान का कट्टरवाद को बढ़ावा देना कई पश्चिमी देशों को उसके खिलाफ खड़ा कर चुका है और अगर पाकिस्तान ने अपने धार्मिक कट्टरपंथियों पर रोक नहीं लगाई तो अब उसे चीन के साथ रिश्तों में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। पाकिस्तान में स्थापित चीनी आर्थिक इकाइयों में भी आये दिन पाकिस्तानियों से टकराव की खबरे आती हैं लेकिन उइगर मुसलमानों की समस्या पाकिस्तान के गले की वो फांस बन गई है जिसे वह ना उगल पा रहा है और ना ही निगल पा रहा है।

Exit mobile version