लगता है चीन युद्ध पर आमादा है। हालांकि, अभी चीन का आधिकारिक रुख क्या है इस बारे में किसी को स्पष्ट जानकारी नहीं है, परंतु जिस प्रकार की खबरें चीन से निकलकर सामने आ रही हैं, उससे सब कुछ ठीक नहीं लगता। ताइवान के न्यूज़ केबल स्टेशन टीवीबीएस की रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में ताइवान के समक्ष स्थित पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के सैनिकों से पूछा गया कि यदि युद्ध का समय सामने आया, तो वे अपने प्रियजनों के लिए क्या करेंगे? एक व्यक्ति ने कहा कि यदि उसे ऑर्डर दिया गया तो उसका पालन करना उसका कर्तव्य है! कुछ अफसरों ने तो ये भी बोला कि न आर्मी को चिंता करने की ज़रूरत है और न ही उनके देश को, क्योंकि वे जंग जीतकर लौटेंगे।
इस रिपोर्ट से स्पष्ट पता चलता है कि चीन के पीएलए सैनिकों को मानसिक रूप से युद्ध के लिए तैयार किया जा रहा है, और उन्हें अपने प्रियजनों को अंतिम खत लिखने के निर्देश दिये जा रहे हैं। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हुआ कि युद्ध किसके साथ होगा, लेकिन इतना पक्का है कि चीन वुहान वायरस की महामारी का फायदा उठाते हुए अपनी औपनिवेशिक मानसिकता को एक बार फिर बढ़ावा दे रहा है। टीवीबीएस की रिपोर्ट के अनुसार ये खबर ताइवान के निकट से आई है, इसलिए ताइवान के साथ युद्ध का अंदेशा जताया जा रहा है, लेकिन चीन की लड़ाई भारत के साथ भी जारी है, और ऐसे में किसी को हैरानी नहीं होगी यदि अगले कुछ महीनों में चीन अपने लोगों का ध्यान घरेलू मुद्दों से भटकाने के लिए भारत पर आक्रमण कर दे।
अब प्रश्न यह है कि क्या चीन युद्ध करने के लिए तैयार भी है? एक सच यह है कि चीन के पास अनेकों संसाधन और एक विशाल सेना है, जिससे कागज़ पर भिड़ पाना आसान तो नहीं है, लेकिन एक सच ये भी है कि चीन ने अंतिम बार 1979 में एक पूर्ण युद्ध लड़ा था, वो भी वियतनाम के विरुद्ध, जहां उसे वियतनाम ने पटक पटक के धोया था। पूर्वी लद्दाख पर कब्जा जमाने की नीयत से जून में गलवान घाटी में हमला करने की नीति चीन को बहुत भारी पड़ी, क्योंकि भारत के 20 सैनिकों के वीरगति प्राप्त होने के बावजूद चीन को ऐसा नुकसान हुआ कि वह आज तक अपने मृतकों की वास्तविक संख्या जगज़ाहिर करने से कतरा रहा है। इसके बावजूद यदि चीन युद्ध पर आमादा है तो भगवान ही चीन का भला करे।