“तुम चीन को नहीं भगाओगे तो हम तुम्हें भगा देंगे”, BCCI को IPL से चीन को बाहर करना ही होगा

देखो चीन ने BCCI की आँखों पर पैसों की पट्टी बांध दी है, आइए इसे उतारते हैं

BCCI

PC: The Week

भारत और चीन के बीच चल रहे विवाद के बावजूद BCCI ने चीन की मोबाइल कंपनी वीवो को इंडियन प्रीमियर लीग के 13वें सीजन के लिए टाइटल स्पॉन्सर बनाए रखने का फैसला किया है। आईपीएल संचालन परिषद (जीसी) ने रविवार को हुई ‘वर्चुअल’ बैठक में फैसला किया कि टूर्नामेंट 19 सितंबर से 10 नवंबर तक यूएई खेला जाएगा। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि वीवो ही लीग का टाइटल स्पॉन्सर रहेगा। BCCI के इस फैसले के बाद पूरे देश में उबाल देखने को मिल रहा है और चीनी वस्तुओं की तरह ही IPL के बॉयकॉट की भी बात शुरू हो चुकी है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार BCCI के एक अधिकारी ने कहा, “इस मामले पर चर्चा की गई थी और फैसला लिया गया है कि वीवो के साथ करार जारी रहेगा। BCCI ने यह फैसला प्रायोजक करार को देखने और इस मामले पर कानूनी सलाह लेने के बाद किया है।“ एक अन्य अधिकारी ने यह भी कहा कि, “स्पॉन्सरशिप करार में कोई बदलाव नहीं होगा जिसकी जानकारी शनिवार को ही दे दी गई थी। मौजूदा वित्तीय कठिन परिस्थितियों को देखते हुए इतने कम समय में बोर्ड के लिए नया प्रायोजक ढूंढना मुश्किल होगा।“

हालांकि, BCCI का यह फैसला हैरान कर देने वाला है क्योंकि BCCI ने 15 जून को पूर्वी लद्दाख में चीनी हमले में 20 भारतीय सैनिकों के वीरगती को प्राप्त होने पर कहा था कि वह चीन के साथ सीमा तनाव के मद्देनजर प्रायोजकों पर पुनर्विचार करेगा। आज भी भारत-चीन के बीच सीमा विवाद अभी भी सुलझा नहीं है तो और चीन भारत के खिलाफ नेपाल को भी भड़का रहा है, ऐसे में BCCI का ये फैसला देशहित जुड़ा कहना कहीं से भी उचित नहीं है।

विदित हो कि IPL के मुख्य प्रायोजक वीवो के अलावा, अलीबाबा भी है, जिसके सीधे तौर पर चीनी लिंक हैं। इसके अलावा कई कंपनियां, जैसे Paytm और Swiggy में भी चीनी निवेश हैं, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से ये सभी भी IPL से जुड़े हुए हैं।

BCCI के इस फैसले के बाद पूरे देश में नाराजगी है। विभिन्न संगठनों ने बोर्ड के इस रुख पर नाराजगी जताई है, वहीं सोशल मीडिया पर भी IPL के बहिष्कार की मांग की जा रही है।

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स यानि CAIT ने इस संबंध में गृहमंत्री अमित शाह के साथ-साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर को भी एक पत्र लिखा है। कन्फेडरेशन का कहना है कि BCCI का वीवो से नाता नहीं तोड़ना दर्शाता है कि उसके लिए पैसा ही सबकुछ है। इस पत्र में शाह और जयशंकर से अनुरोध किया गया है कि इस मुद्दे पर तत्काल संज्ञान लें और BCCI को भारत में या दुबई या कहीं और आईपीएल आयोजित करने की अनुमति न दें। बता दें कि चीनी वस्तुओं के बॉयकॉट में CAIT का एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। CAIT ने ‘भारतीय सामान – हमारा अभिमान’ नाम से शुरू किए गए एक राष्ट्रीय अभियान के तहत दिसंबर 2021 तक चीन से आयात में एक लाख करोड़ रुपये की कमी लाने का लक्ष्य रखा है।

यही नहीं, BCCI के इस फैसले पर RSS से जुड़े संगठन स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने कहा कि लोगों को टी 20 लीग का बहिष्कार करने पर विचार करना चाहिए। उन्होंने ट्वीट किया, “ऐसे समय में जब देश हमारी अर्थव्यवस्था को चीनी प्रभुत्व से मुक्त बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है और सरकार चीन को भारतीय बाजारों से बाहर रखने के लिए सभी प्रयास कर रही है, आईपीएल गवर्निंग काउंसिल का यह फैसला देश के मूड के लिए एक अपमानजनक है।”

वहीं विदेश मामलों के जानकार विष्णु प्रकाश ने लिखा, “आईपीएल को करोड़ों भारतीय फैंस देखते हैं। हम चीन की ओर से हिंसा भी देख चुके हैं। ऐसे में वीवो को आईपीएल का स्पॉन्सर रखने की अनुमति देंगे? बीजिंग हम सब पर हंसेगा। आखिर दुनिया में कौन हमें गंभीरता से लेगा? भारत का यह अपमान क्यों?”

वहीं मिनहाज मर्चेन्ट ने ट्वीट किया कि, “भारत का सबसे अमीर खेल निकाय BCCI जिसे SC द्वारा भी नियंत्रित नहीं किया जा सकता है, भाजपा के धूमल-शाह की जोड़ी द्वारा गांगुली के साथ चलाया जा रहा है। चीनी कंपनियां आईपीएल प्रायोजकों के रूप में जारी हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि चीन भारत को हल्के में ले रहा है और पांचवे दौर के कॉर्प कमांडरों की बातचीत के बावजूद गतिरोध समाप्त नहीं हुए हैं।“

 

https://twitter.com/Raghushukla13/status/1290061876957650944

इसमें कोई दो राय नहीं है कि BCCI को राष्ट्र और उसकी सुरक्षा के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। पूरी दुनिया जिस चीन का बहिष्कार कर रही है, आईपीएल उन्हें ही आश्रय दे रहा है। इन कंपनियों का सीधे तौर पर CCP और PLA से लिंक हैं तथा अपने होने वाले फायदे का इस्तेमाल भारत के खिलाफ करते हैं। भारत और चीन के बीच लद्दाख में सीमा विवाद अभी भी जारी है। सरकार के साथ-साथ जनता भी चीन को सबक सिखाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। चीनी वस्तुओं के बॉयकॉट से लेकर चीनी टेंडर को रद्द करने की योजनाएँ लागू की गयी हैं, लेकिन BCCI ने इन प्रयासों का भद्दा मज़ाक बनाया है। यही नहीं, कई देशों ने भी चीन के खिलाफ लड़ाई में भारत का समर्थन किया है पर बीसीसीआई  ने इस मामले में देशहित को नजरअंदाज किया है। अब सोशल मीडिया पर भी इस फैसले के खिलाफ गुस्सा देखने को मिल रहा है और IPL के बॉयकॉट जैसे अभियान भी शुरू हो चुके हैं, जो सही भी है। BCCI को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए अन्यथा उसे दीर्घकालिक नुकसान होना तय है। सरकार को भी BCCI के इस फैसले पर हस्तक्षेप करना चाहिए जिससे चीन का सम्पूर्ण बहिष्कार हो सके।

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