कांग्रेस पार्टी के ‘संकटमोचक’ कपिल सिब्बल सोनिया गांधी के वफादार नेता से सबसे बड़े शत्रु बन गये हैं

कांग्रेस का अस्तित्व इन्हीं नेताओं से रहा और अब यही शत्रु बन रहे

कांग्रेस में तब से घमासान मचा हुआ है जबसे 23 वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं का अध्यक्ष को लिखा पत्र मीडिया में लीक हो गया है। इस पत्र में 23 नेताओं ने कांग्रेस को पुनर्निरीक्षण करने की बात कही थी। साथ ही वर्तमान नेतृत्व में बदलाव के साथ चुनाव प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता बरतने की वकालत की थी। इस पत्र को गांधी परिवार के नेतृत्व के विरुद्ध खुले विद्रोह के रूप में देखा गया। सोनिया गांधी ने पत्र लिखने वाले नेताओं से अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए अध्यक्ष पद से स्वयं के इस्तीफे की पेशकश की जिसमें कपिल सिब्बल भी शामिल थे। हालांकि, इस्तीफे का नाटक खत्म होने के बाद फैसला यह हुआ कि सोनिया अभी कुछ महीनों तक अंतरिम अध्यक्ष रहेंगी और अगले छह महीनों में पार्टी को नया अध्यक्ष मिलेगा।

बता दें कि इस पूरे घटनाक्रम के बाद गांधी परिवार के सबसे वफादार रहे कपिल सिब्बल गांधी परिवार के विरोध में और अधिक मुखर हो गए हैं। सिब्बल उन 23 नेताओं में से एक हैं जिन्होंने कांग्रेस में सुधार की वकालत की थी।

इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार में कपिल सिब्बल ने कांग्रेस में असल मुद्दों को नजरअंदाज किये जाने और चर्चा न होने की बात कही। उन्होंने पुनर्निरीक्षण की बात उठाते हुए कहा कि ‘यह बुनियादी बात है जो होनी चाहिए थी। यही इन 23 लोगों ने लिखा है। यदि आपने जो कुछ भी लिखा है, उसमें आप गलती करते हैं तो निश्चित रूप से हमसे पूछताछ की जा सकती है और हमसे पूछताछ की जानी चाहिए।’

कपिल सिब्बल ने कहा कि “बैठक में पत्र पर चर्चा नहीं की गई थी बल्कि हमें गद्दार कहा गया था और नेतृत्व सहित उस बैठक में शामिल किसी सदस्य ने भी उन्हें नहीं बताया कि यह कांग्रेस की भाषा नहीं है।”

अपने पक्ष को मजबूती के रखते हुए उन्होंने कहा “हम क्या चाहते हैं?  हम अपने (पार्टी के) संविधान का पालन करना चाहते हैं। उस पर आपत्ति कौन कर सकता है।”

कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर जारी घमासान के बीच सिब्बल के बयान से यह स्पष्ट हो चुका है कि कांग्रेस में एक बड़ा हिस्सा गांधी परिवार को पार्टी के ऊपर बोझ समझता है। कपिल सिब्बल अपनी बात को इतनी मुखरता से इसीलिए रख पा रहे हैं। इस स्थिति को गांधी परिवार भी भली-भांति समझता है, यही कारण है कि गांधी परिवार ने अध्यक्ष के चुनाव तुरंत कराने पर अपनी सहमति जाहिर नहीं की। स्पष्ट है कि आने वाले समय में यह टकराव और बढ़ेगा तथा कपिल सिब्बल की तरह अन्य नेता भी मुखर होकर सामने आएंगे।

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