जम्मू कश्मीर का स्पेशल स्टेटस हटने के एक साल बाद, वहां के राजनीतिक दलों ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि, आर्टिकल 370 और 35A को हटाना केंद्र सरकार द्वारा लिया गया एक अदूरदर्शितापूर्ण और पूर्णतया गलत निर्णय था। अपने संयुक्त वक्तव्य में जम्मू कश्मीर के 6 राजनीतिक दलों ने यह बात कही। इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस पार्टी, PDP, पीपल्स कांफ्रेंस, सीपीएम और आवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस शामिल रहे। इन सभी दलों ने पिछली साल की गई गुपकर घोषणा के तहत अपनी प्रतिज्ञा को दोहराया। इसके तहत “सभी दलों ने सर्वसम्मति से संकल्प लिया कि, वे सभी राजनैतिक आक्रमणों के खिलाफ जम्मू-कश्मीर की पहचान, स्वायत्तता और विशेष स्थिति की रक्षा के लिए, एकजुट हैं।”
यानी इन दलों ने जम्मू कश्मीर की विशेषाधिकार वाली पूर्व स्थिति को पुनः बहाल करने का सपना पाल रखा है। उनके संयुक्त वक्तव्य में कहा गया, “हम सर्वसम्मति से दोहराते हैं कि, हमारे साझा प्रयासों बिना हमारे बारे में कुछ नहीं हो सकता है।” इन दलों का मानना है कि, राज्य के बारे में लिया गया कोई भी निर्णय इनकी ही सम्मति से लिया जाना चाहिए।
वास्तव में ये सभी दल जानते हैं कि, इनका राजनीतिक जनाधार बहुत कमजोर हो गया है। अक्टूबर 2019 में हुए BDC चुनावों में हुई 98.3 प्रतिशत वोटिंग बताती है कि, लोग आर्टिकल 370 की मांग को छोड़ विकास की ओर आगे बढ़ चुके हैं। गौरतलब है कि, इन सभी दलों ने उस चुनाव के बहिष्कार की मांग की थी, बावजूद इसके वहाँ रिकॉर्ड वोटिंग हुई।
वैसे इन दलों द्वारा ऐसा रवैया अपनाना कोई बड़े आश्चर्य का विषय नहीं है। जम्मू कश्मीर के आम नागरिकोण ने पहले ही अपना रुख बता दिया है कि वे आर्टिकल 370 के बिना भी राज्य को स्वीकार करते हैं, इसलिए इन दलों का रुख चिंता का विषय नहीं। दरअसल इन दलों की राजनीति हमेशा यही रही है कि, आर्टिकल 370 के बिना कश्मीर और भारत एक नहीं रह सकते। ऐसे में मोदी सरकार द्वारा इतनी आसानी से इस अनुच्छेद को हटाकर सब स्थिर कर लेना इस बात का प्रमाण है कि ये राजनीतिक दल अपने निजी स्वार्थों के लिए अब तक झूठ बोलते रहे। यही बात इन दलों को स्वीकार नहीं होती है।
जम्मू की क्षेत्रीय पार्टियों द्वारा यह रुख अपनाना तो कोई बड़ी बात नहीं लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि, कांग्रेस भी इनके साथ है। देश की सबसे पुरानी पार्टी द्वारा ऐसी मांग को समर्थन देना, जो देश की अखंडता के लिए खतरनाक हो सकती है, बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है। आज आर्टिकल 370 के हटने को लगभग पूरी दुनिया स्वीकार कर चुकी है, ऐसे में कांग्रेस जैसा कोई बड़ा दल स्वयं देश की अलगाववादी ताकतों को समर्थन दे, यह बहुत गलत है। हालाँकि वर्तमान समय में कांग्रेस अपनी ज़मीन तलाशने के लिए किसी भी स्तर तक गिरने को तैयार है।
दरअसल कांग्रेस इस बयान के माध्यम से बिहार के कट्टर मुस्लिम वोटर्स को साधना चाहती है। वह जानती है कि, बिहार के कट्टर मुस्लिमों के लिए जम्मू कश्मीर एक नाज़ुक मुद्दा है और इसी का फायदा कांग्रेस आने वाले विधानसभा चुनावों में उठाना चाहती है।
जम्मू कश्मीर में कोई भी राजनीतिक दल आर्टिकल 370 को लेकर जो भी स्टैंड रखे, इतना तो तय है कि उनकी वापसी की उम्मीद रखना, दिन में सपने देखने जैसा है । फिलहाल वहां विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन चल रहा है। उसके पूर्ण होने के बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभाओं का विभाजन भी बदल जाएगा। साथ ही कुछ रिपोर्ट्स मानती हैं कि, तब तक राज्य के मतदाताओं की संख्या में 10% का इजाफा भी होगा जिसका लाभ भी भाजपा को ही मिलने का अनुमान है।