हाल ही में केंद्र सरकार ने एक बेहद अहम निर्णय में रोड ट्रांसपोर्ट कंपनी वेक्ट्रा के साथ अपने सभी व्यापार संबंधी करार रद्द कर दिये हैं। दोयम दर्जे के टाट्रा ट्रक्स के घोटाले के संबंध में केंद्र सरकार ने आधिकारिक रूप से वेक्ट्रा कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। PGurus की रिपोर्ट के अनुसार, “हाल ही में आठ वर्षों की जांच पड़ताल के पश्चात रक्षा मंत्रालय ने वेक्ट्रा कंपनी पर एक वर्ष का प्रतिबंध लगाया है, और उसे रक्षा मंत्रालय द्वारा किसी भी डील में हिस्सा लेने से ब्लैकलिस्ट किया गया है”।
इस निर्णय से न सिर्फ केंद्र सरकार ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया है, अपितु एक ऐसे व्यक्ति को भी दोष मुक्त किया है, जिसे इस भ्रष्ट गतिविधि को उजागर करने के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा अपमान और लांछन का सामना करना पड़ा था। हम बात कर रहें वर्तमान सड़क परिवहन राज्य मंत्री एवं पूर्व सैन्य प्रमुख जनरल विजय कुमार सिंह की, जिनपर काँग्रेस के चाटुकारों ने तख्तापलट का झूठा आरोप लगाया था।
परंतु इस निर्णय का जनरल वीके सिंह के तख्तापलट वाले विवाद से क्या संबंध है? दरअसल, कुछ महीनों पहले दरअसल, द प्रिंट के एक विवादित ट्वीट थ्रेड पर पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह (सेवानिवृत्त) का ध्यान जैसे ही गया, उन्होंने शेखर गुप्ता को खरी खोटी सुनाते हुए ट्वीट किया, “एडिटर्स गिल्ड के अध्यक्ष होने के नाते जब आप ऐसे लेख को बढ़ावा देते हो, तो आप अपनी ही बिरादरी का अपमान करते हैं couptaji! आपने एक बार फिर सिद्ध किया है कि आप बिके हुए हैं। अपने जॉब से नहीं तो कम से कम अपने पद से ही ईमानदारी रखिए” ।
ये बयान पूर्व जनरल ने यूं ही नहीं दिया था। बता दें कि 2012 में जनरल विजय कुमार सिंह ने एक सनसनीखेज खुलासे में आरोप लगाया था कि उन्हे दोयम दर्जे के टाट्रा ट्रक्स को आर्मी के उपयोग के लिए स्वीकृत कराने को बाध्य किया जा रहा था। इसके लिए उन्हें लेफ्टिनेंट जनरल तेजिंदर सिंह ने 2010 में घूस भी देने की पेशकश की थी। यह वो समय था जब जनरल वीके सिंह का केंद्र सरकार के साथ अपनी आयु से जुड़े दस्तावेज़ों में त्रुटि को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे के चलते काफी गहरा विवाद चल रहा था।
इस खुलासे को दबाने के लिए 2012 में द इंडियन एक्स्प्रेस में एक लेख छपा, जिसमें जनरल वीके सिंह पर पत्रकार शेखर गुप्ता ने यूपीए सरकार का तख्तापलट करने का आरोप लगाया। इस लेख को काँग्रेस नेताओं ने न केवल बढ़ा चढ़ा कर दिखाया, अपितु जनरल वीके सिंह को अपमानित करने का भी भरपूर प्रयास किया। लेकिन जैसे जैसे सीबीआई की जांच में सभी तथ्य सामने आने लगे, जनरल वीके सिंह पर ‘तख्तापलट’ के आरोप भी झूठे सिद्ध हुए और तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी और वेक्ट्रा कंपनी की मिलीभगत भी सामने आने लगी।
उस समय सेना द्वारा तख्तापलट की कोशिश की खबर को इंटेलिजेंस ब्यूरो ने सिरे से नकार दिया था। इस बात की जानकारी इंटेलिजेंस ब्यूरो ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी दे दी थी। इसके बावजूद भी इस काल्पनिक कहानी को कुछ लोगों ने मीडिया में लीक कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार, इसके पीछे दो उद्देश्य थे। पहला तो जनरल वीके सिंह को बदनाम करना था, क्योंकि उस समय उनका रक्षा मंत्रालय के साथ विवाद चल रहा था। दूसरा यह कि उस समय यूपीए सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर रही थी और कांग्रेस की विश्वसनीयता सबसे निम्न स्तर पर थी। ऐसे में यूपीए सरकार ने देश की जनता का ध्यान भटकाने के लिए तख्तापलट की अफवाह को आगे बढ़ाया, ऐसा रिपोर्ट में दावा किया गया था।
लेकिन अब न तो यूपीए सरकार की कोई दलील सत्य सिद्ध हुई, और न ही वेक्ट्रा कंपनी निर्दोष पाई गई है। इससे न सिर्फ एक कर्मठ सैनिक के माथे पर ज़बरदस्ती थोपा गया कलंक धुला है, अपितु काँग्रेस पार्टी द्वारा ईमानदार देशवासियों को कुचलने की नीति भी जगजाहिर हुई है।