दिल्ली के शाहीन बाग में केंद्र सरकार द्वारा पारित CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले शहजाद अली दिल्ली भाजपा में शामिल हो गए। यह वही शाहीन बाग है जहां हुए प्रदर्शन के कारण दिल्लीवासियों को दो महीने तक अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ा था तथा ये स्थान देश विरोधी गतिविधियों का अड्डा बन गया था।
हालांकि, अब सभी को यह पता चल चुका है कि वह प्रदर्शन कितना खोखला था और सिर्फ सरकार को बदनाम करने के लिए किया गया था। अब उसी प्रदर्शन में शामिल एक एक्टिविस्ट को BJP में शामिल कर लिया गया। दिल्ली BJP द्वारा उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करने के फैसले से मैं एक पीएम मोदी का समर्थक होने नाते हैरान और निराश हूँ और हो भी क्यों न? अगर इसी तरह चलता रहा तो आज शहजाद अली शामिल हुए कल ताहिर हुसैन और फिर शरजील इमाम जैसे लोगों को भी शामिल किया जा सकता है। देश की जनता ने BJP को बहुमत इसलिए नहीं दिया है कि वह किसी भी ऐसे व्यक्ति को पार्टी में शामिल कर ले जो BJP के वैचारिक सिद्धांतों के ठीक विपरीत हो।
राजनैतिक दल का क्या अर्थ है? राजनेताओं का एक समूह अथवा विचारों और आदर्शों की आधारशिला पर बना एक समूह। मेरा मानना है कि एक आदर्श विश्व में, अधिकतर लोग दूसरे परिभाषा को ही वरीयता देते हैं और भारत में BJP ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो अपने आदर्शों को लिखित रूप देकर उसका पालन करती है। अगर यही पार्टी ऐसे लोगों को शामिल करने लगी जो उसके आदर्शों का “अ” भी नहीं जानते तो फिर उन आदर्शों की कोई कीमत नहीं रह जाएगी। शहजाद अली उसी शाहीन बाग प्रदर्शन के हिस्सा रहे हैं जिसकी फंडिंग PFI जैसे आतंकी संगठन से भी सामने आए और दिल्ली को जलाने की साजिश रची गई। ऐसे व्यक्ति को पार्टी में शामिल करने का कोई औचित्य नजर नहीं आ रहा है।
मेरे जैसे देश के सभी कोनों में बैठे पीएम मोदी के समर्थकों को दिल्ली BJP के इस फैसले को सुनने के बाद निराश ही हुई होगी। हो भी क्यों न ? पीएम मोदी में विश्वास रखने वाली जनता के साथ यह एक धोखा है कि वह उस शाहीन बाग जिसने खोखले आधार पर CAA का विरोध कर देश को अंतराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की कोशिश की, उसके एक एक्टिविस्ट को उसी पार्टी में जगह दी गयी।
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब इस तरह से बेतुके लोगों को पार्टी में शामिल किया गया। पिछले वर्ष अल्पेश ठाकोर भी BJP में शामिल हुए थे जिन्हें गुजरात में हिन्दी भाषियों के खिलाफ चलाए गए हिंसक आन्दोलन में प्रमुख भूमिका के लिए जाना जाता है। अल्पेश ठाकोर का एक वीडियो भी सामने आया था जिसमें वो अपने साथियों के साथ मिलकर प्रवासी मजदूरों के खिलाफ लोगों को भड़काने का काम कर रहे थे। यही नहीं पिछले ही वर्ष जुलाई में गोवा कांग्रेस के 10 विधायक भाजपा में शामिल हुये थे जिसमें बाबुश मोनसेराते (अतानासियो मोनसेराते) और विपक्ष के नेता चंद्रकांत कावलेकर जैसे विवादित और भष्ट्र नेता भी शामिल थे। यही वही मोनसेराते हैं जिन्होंने मनोहर पर्रिकर की सरकार गिराई थी। मोनसेराते के ऊपर पॉक्सो एक्ट के तहत एक नाबालिग बच्ची के साथ बलात्कार और उसे बंदी बनाकर क़ैद में रखने के गंभीर चार्ज लगा है।
इस तरह के विरोधी विचारधारा के लोगों की अप्रत्याशित भर्ती कर भाजपा जनता के उस भरोसे से खिलवाड़ कर रही है जिससे वह आज सत्ता में है। एक तरह से देखा जाए तो यह अपनी ही विचारधारा और मूल सिद्धांतों से भी समझौता करना है। शहजाद अली जैसे नेताओं को शामिल कर BJP पार्टी अपने ही वादे के साथ समझौता कर रही है। जनता ने भाजपा को इतनी बड़ी बहुमत इसलिए नहीं दी है कि अन्य पार्टियों के भ्रष्ट नेता भी इस बहुमत का फायदा उठाएं। भाजपा को अब किसी अन्य पार्टी के नेता को शामिल करने से पहले उसके आचरण और पृष्ठभूमि देख कर विचार करना चाहिए इसके बाद ही उन्हें शामिल करना चाहिए। अगर विचार नहीं किया गया तो आने वाले समय में यह भारतीय जनता पार्टी पर ही भारी पड़ सकती है और जनता तथा अपने ही कैडर का स्वाभाविक आक्रोश का सामना करना पड़ सकता है।