“150 करोड़ डॉलर का निवेश और 10 लाख रोजगार”, चीन के साथ Electronics race में भारत की जीत तय

भारत-चीन आर्थिक युद्ध के पहले round के नतीजे भारत के पक्ष में आए हैं...

चीन

अमेरिका-चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर और कोरोना वैश्विक महामारी की वजह से चीन में काम कर रही विदेशी कंपनियाँ देश से बाहर भागने पर मजबूर हैं, लेकिन अब तक इसका सबसे ज़्यादा फायदा वियतनाम जैसे देशों को ही मिल पा रहा था। हालांकि, इस वर्ष मई-जून में भारत सरकार ने मोबाइल कंपनियों को लेकर एक incentive स्कीम launch की थी, जिसके बाद चीन से बाहर जा रही मोबाइल कंपनियाँ भारत को ही अपना ठिकाना बनाने का फैसला कर चुकी हैं। इसी कड़ी में अब देश में प्लांट लगाने के लिए करीब 2 दर्जन विदेशी कंपनियों ने निवेश के लिए इच्छा जताई है। इन कंपनियों में सैमसंग और एप्पल जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं। इन कंपनियों की भारत में 150 करोड़ डॉलर यानि करीब 11 हजार करोड़ रुपये के निवेश की योजना है।

दरअसल, भारत सरकार द्वारा जारी incentive scheme के तहत देश में उत्पाद करने वाली electronics कंपनियों को अगले 5 सालों तक उनकी बिक्री के आधार पर 4 से 6 फीसदी का incentive दिया जाएगा। यह स्कीम अगस्त से शुरू भी हो चुकी है और इस वर्ष सरकार ने 5300 करोड़ का incentive देने का ऐलान किया है। इस नई स्कीम के लॉंच होने के बाद फायदा उठाने के लिए करीब 22 मोबाइल निर्माता कंपनियों ने सरकार से आवेदन किया था। इन सब कंपनियों ने अगले 5 सालों में भारत में 11 लाख करोड़ रुपये के सामान के उत्पादन की घोषणा की थी। अब इन कंपनियों ने देश में निवेश करने की इच्छा जता दी है। इसके बाद ऐसी उम्मीद है कि देश जल्द ही दुनिया का mobile manufacturing का केंद्र बन जाएगा।

Mobile manufacturing क्षेत्र में देश पहले ही तेजी से आगे बढ़ रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, देश में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग कारोबार साल 2014-15 में 2.9 अरब डॉलर से बढ़कर 2018-19 में 24.3 अरब डॉलर तक पहुंच गया था, यानी इस दौरान इसमें 70 फीसदी की सालाना बढ़त हुई है। अब इन कंपनियों के ऐलान से भारत में वैश्विक Mobile उत्पादन के 10 प्रतिशत जितनी उत्पादन क्षमता बढ़ जाएगी! सरकार की शुरू से ही यह योजना रही है कि कैसे भी करके Mobile phone क्षेत्र की दिग्गज 4 से 5 कंपनियों को भारत में उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाये! ऐसा इसलिए क्योंकि दुनिया के 80 प्रतिशत मार्केट शेयर पर उन्हीं 4-5 कंपनियों का कब्जा है। अब सरकार अपनी इस योजना में सफल होती दिखाई दे रही है।

अब देश में Apple mobiles का उत्पाद करने वाली Foxconn, Samsung, Winstron और Pegatron Corp जैसी विदेशी कंपनियों ने निवेश करने की इच्छा जताई है। इसके अलावा सरकार की योजना के तहत स्वदेशी Lava ने भी पंजीकरण कराया है। यह ऐसे वक्त में किया जा रहा है, जब सरकार देश में चीनी mobile निर्माताओं पर चौतरफा दबाव बना रही है। Media Reports के मुताबिक Oppo और Xiaomi जैसी चीनी कंपनियों के उत्पादों को अब भारत आने से रोका जा रहा है। कहीं पर BSI द्वारा उन्हें quality approval नहीं दिया जा रहा है, तो कहीं पर कस्टम अधिकारी सामान को भारत में प्रवेश करने से रोक रहे हैं। ऐसे में इन चीनी कंपनियों के लिए भारत में टिक पाना मुश्किल हो सकता है।

भारत में अधिक से अधिक विदेशी कंपनियाँ आने का मतलब है अधिक निवेश,  अधिक रोजगार और सस्ते mobile phones! सरकार को उम्मीद है कि इस तरह की इन्सेंटिव स्कीम से अगले 5 साल में 10 लाख अतिरिक्त रोजगार पैदा किया जा सकेगा। इससे भारत की Make in India योजना को भी बड़ा बूस्ट मिलेगा। देश की GDP में अभी सबसे ज़्यादा योगदान service सेक्टर का है, जबकि manufacturing सेक्टर का योगदान सिर्फ 15 प्रतिशत है। सरकार चाहती है कि यह योगदान कम से कम 25 प्रतिशत हो!

Electronics क्षेत्र और खासकर Mobile manufacturing क्षेत्र में भारत दुनिया का बादशाह बनने जा रहा है, जो manufacturing सेक्टर को ताकतवर बनाएगा! अभी सरकार Automobiles और फार्मा क्षेत्र में भी ऐसी ही incentive स्कीम लाने की योजना ला रही है, जिसके बाद इन क्षेत्रों में भी भारत में manufacturing को अच्छी-ख़ासी बढ़त हासिल होगी। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत-चीन आर्थिक युद्ध में भारत चीन को पटखनी देता दिखाई दे रहा है। लद्दाख में मुठभेड़ से शुरू हुआ यह आर्थिक युद्ध अब चीन की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ रहा है।

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