BJP-JDU-LJP गठबंधन पर पुनर्विचार कर बिहार भाजपा को LJP के साथ करीबी बढ़ानी चाहिए

चिराग पासवान

बिहार चुनाव के पूर्व NDA गठबंधन में सीट का विवाद पैदा हो गया है। JDU बिहार में अपने वर्चस्व से किसी भी स्थिति में समझौता नहीं करना चाहती, यही कारण है कि उसने बिहार की सहयोगी पार्टी LJP को 40 सीट देने से इंकार कर दिया है, जिसके बाद अब LJP के युवा नेता और जमुई से सांसद चिराग पासवान ने अपने कार्यकर्ताओं को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए इशारों में ही LJP के अकेले चुनाव लड़ने का संदेश दे दिया।

चिराग पासवान के नेतृत्व से पहले LJP बिहार में सिर्फ दलितों की पार्टी ही मानी जाती थी, लेकिन चिराग के नेतृत्व में LJP का स्वरूप बदल रहा है। चिराग पासवान राज्य तथा देश के विभिन्न मुद्दों पर खुलकर अपना विचार रखते रहे हैं और उनकी छवि एक तेज तर्रार युवा नेता के रूप में उभरी है। वस्तुतः लालू के बेटों से तुलना की जाए तो आज बिहार में चिराग जैसा कोई दूसरा युवा नेता नहीं है।

इसलिए चिराग पासवान को नाराज करके भाजपा नेतृत्व एक रणनीतिक भूल करेगा। अभी भाजपा के लिए आवश्यक है कि राष्ट्रीय स्तर पर इस गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते अब वह इस समस्या का समाधान करे और LJP को बिहार की राजनीति में वह भूमिका निभाने का मौका मिले जिसके वे हकदार हैं।

चिराग पासवान के बढ़ते कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके रुख में तल्खी आते ही कांग्रेस, RJD और पप्पू यादव तीनों ने उन्हें अपनी ओर मिलाने की कोशिशें तेज कर दी है। हालांकि, RJD के नेतृत्व में जाने की बेवकूफी चिराग नहीं करेंगे, क्योंकि ऐसा करना तेजस्वी यादव के नेतृत्व को स्वीकार करना होगा। यदि चिराग गलती से भी ऐसा करते हैं तो वे बिहार की राजनीति में बैकसीट पर आ जाएंगे, जहाँ से आगे बढ़ने में उन्हें दिक्कत होगी।

इसलिए यह सही मौका है जब भाजपा नीतीश को समझाए और चिराग को उनके अधिकार की सीट दे। वैसे भी नीतीश कुमार के पास अब बिहार को लेकर न तो कोई नया नजरिया है न योजना। वस्तुतः उन्हें बिहार की राजनीति में विकल्पहीनता का लाभ मिल रहा है। लालू परिवार के अतिरिक्त यदि कोई अन्य विकल्प बिहारियों को प्राप्त होता तो इस बात की उम्मीद कम ही है कि नीतीश की वापसी हो पाती। जनता और भाजपा दोनों नीतीश से ऊब चुके हैं।

यही नहीं समय समय पर नीतीश केंद्र सरकार के लिए विभिन्न मुद्दों पर मुसीबत खड़ी करते रहे हैं। नीतीश अत्यंत महत्वकांक्षी हैं, यही कारण था कि उन्होंने 2013 में भाजपा के साथ छोड़ दिया था। ऐसे में चिराग पासवान उनपर नकेल का काम भी कर सकते हैं।

LJP वैसे भी लगातार नीतीश कुमार के विरुद्ध मुखर रही है। पिछले महीने रामविलास पासवान ने भी नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि बिहार सरकार ने लोगों को राशन कार्ड मुहैया नहीं करवाए हैं जिसके कारण केंद्र द्वारा भेजा जा रहा राशन गरीब लोगों तक नहीं पहुंच रहा।। साथ ही बिहार में बढ़ रहे कोरोना के मामलों पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा था कि बिहार सरकार को दिल्ली, महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश से सीख लेते हुए और अधिक test करवाने चाहिए।

चिराग भी समय समय पर बिहार की नीतीश सरकार की आलोचना की है। हाल ही में उन्होंने बिहार में एक पुल गिरने पर सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरा था। महत्वपूर्ण है कि दोनों में से कोई कभी भी केंद्र सरकार की आलोचना नहीं करता। साफ जाहिर है कि चिराग के आने के बाद से LJP ने रणनीति बदल ली है और अब वो बिहार सरकार में बड़ी भूमिका निभाना चाहती है।

इससे पहले झारखंड चुनाव में चिराग पासवान के नेतृत्व में LJP ने भाजपा गठबंधन से अलग चुनाव लड़ा था। अतः इस बात की संभावना को नकारा नहीं जा सकता कि यदि LJP की मांगों को नहीं सुना गया तो वह गठबंधन से अलग हो जाएं। अभी तक भाजपा इस मामले में चुप्पी साधे है लेकिन भाजपा नेतृत्व को मामले में हस्तक्षेप करना ही होगा।

Exit mobile version