कहते हैं, इस संसार में कुछ भी हो सकता है। यह बात अब उत्तर कोरिया के लिए शत प्रतिशत सत्य होती दिखाई दे रही है। मीडिया रिपोर्ट्स में एक बार फिर ये चर्चा ज़ोर पकड़ने लगी है कि उत्तर कोरिया में सब ठीक नहीं है। ख़बरें हैं कि, वहाँ के तानाशाह किम जोंग उन इस समय कोमा में हैं और देश की कमान अब उनकी छोटी बहन, किम यो जोंग के हाथ में है। अब कहा जा रहा है कि, ये खबर चीन के लिए बिलकुल भी शुभ संकेत नहीं है। पिछले कुछ समय से चल रही घटनाओं को देखते हुए ये कहना गलत नहीं होगा कि अब चीन और उत्तर कोरिया में सब कुछ पहले जैसा नहीं है।
एक रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में उत्तर कोरिया में चीन के तीन मछुआरे घुसपैठ करते हुए पकड़े गए। खबर मिलते ही नार्थ कोरिया की नौसेना ने एक पैट्रोलिंग बोट भेजी और जब चेतावनी के बाद भी चीनी नाविक नहीं हटे, तो उन पर पैट्रोलिंग बोट ने फायरिंग शुरू कर दी। इसमें तीनों मछुआरों के मारे जाने की पुष्टि की गई है।
अब इस घटना को दबाने के काफी प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन सत्य तो यही है कि, अब उत्तर कोरिया भी भली-भांति समझ चुका है कि चीन के साथ उसका कोई भविष्य नहीं है। नार्थ कोरिया विश्व में अपने लिए एक अलग स्थान प्राप्त करना चाहता है, लेकिन वर्तमान समीकरण देखते हुए यदि उसने चीन के साथ अपनी ‘मित्रता’ को यथावत रखा, तो कोरोना वायरस का असर खत्म होते ही चीन के साथ नार्थ कोरिया पर भी शामत आएगी, जो इस समय वह कतई नहीं चाहेगा।
इसके अलावा उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन के कथित तौर पर कोमा में जाने से अब उत्तर कोरिया पर नेतृत्व का संकट आन पड़ा है। बता दें कि, इसी साल मार्च के अंत में उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की हार्ट सर्जरी की गयी थी, जिसके बाद उन्हें कहीं किसी सार्वजनिक मंच पर नहीं देखा गया है। यहां तक कि वह 15 अप्रैल को अपने दादा और उत्तर कोरिया के संस्थापक किम इल सुंग की 108 वीं जयंती के समारोह में भी शामिल नहीं हुए थे। वर्ष 2011 में नॉर्थ कोरिया की सत्ता हासिल करने के बाद ऐसा एक बार भी नहीं हुआ जब किम जोंग उन ने इस समारोह में हिस्सा न लिया हो। किम जोंग उन के अचानक गायब होने के साथ ही ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि, उनकी छोटी बहन किम यो जोंग को पार्टी में मुख्य भूमिका में लाया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स का यह भी मानना है कि, किम यो जोंग ने फिलहाल के लिए इसलिए सत्ता संभाली है ताकि नार्थ कोरिया का शासन तंत्र बना रहे। ज़ाहिर है कि, वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहेंगी, जिससे नार्कोथरिया के वर्तमान प्रशासन का विध्वंस हो। इसके अलावा जब किम जोंग उन उत्तर कोरिया के शासक थे, तभी से ही उत्तर कोरिया ने धीरे-धीरे अपने पारंपरिक मित्र चीन से दूरी बनाना शुरू कर दिया था। जो नार्थ कोरिया अमेरिका को फूटी आँख नहीं सुहाता था, उसी के साथ उत्तर कोरिया ने शांति समझौते का प्रस्ताव भी रखा था। कहा जाता है कि इस शांति प्रस्ताव की रूपरेखा किम यो जोंग ने ही तैयार की थी। ऐसे में यदि चीन विरोधी गतिविधियों को किसी भी रूप में किम यो जोंग का समर्थन मिला है, तो संभव है कि, चीन अपने सबसे विश्वसनीय मित्रों में से एक को जल्द ही खोने वाला है।