कम्युनिस्ट नेता कन्हैया कुमार जिन्हें देश का वामपंथी धड़ा किसी समय भारत के उभरते हुए नेतृत्व के रूप में पेश करता था, उनकी भूमिका बिहार के विधानसभा चुनावों के में अनिश्चित हो गई है। सीपीआई ने कन्हैया को अपने स्टार प्रचारक के तौर उतारने का फैसला तो किया है साफ नहीं किया है वो चुनाव लड़ेंगे या नहीं।
दरअसल सीपीआई और आरजेडी बिहार विधानसभा चुनाव को साथ मिलकर लड़ने वाले हैं। ऐसे में इस बात की उम्मीद कम ही है कि, कन्हैया कुमार इन चुनाव में आरजेडी प्रचार करते नजर आएं। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि, लोकसभा चुनाव के दौरान जब कन्हैया कुमार बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे तो आरजेडी ने उनके विरुद्ध अपने कैंडिडेट को उतार दिया था। इसके कारण पहले से ही कमजोर कन्हैया कुमार की स्थिति चुनाव में और भी खराब हो गई थी। बिहार के सारे राजनीतिक पंडित बेगुसराय में सीपीआई की हार का सबसे बड़ा कारण आरजेडी को ही बताते हैं।
सीपीआई के बहुत से नेताओं का मानना है कि, यदि लोकसभा चुनाव आरजेडी साथ मिलकर लड़ती तो बेगूसराय में भाजपा नेता गिरिराज सिंह को कड़ी टक्कर मिलती। तब खबरें यह आ रही थीं कि लालू यादव कन्हैया कुमार के भाषण कला से भयभीत थे।
लालू उस समय अपने बेटे तेजस्वी यादव को बिहार की राजनीति में विपक्ष का उभरता चेहरा बनाना चाहते थे। ऐसे में उन्हें डर था कि, कन्हैया के भाषणों के कारण भाजपा की स्थिति खराब हो ना हो लेकिन उनके बेटे की स्थिति ज़रूर खराब हो जाएगी। गौरतलब है कि, उस समय आरा की सीट को आरजेडी ने सीपीआई-एमएल के पक्ष में छोड़ दिया था लेकिन बेगूसराय में अपना कैंडिडेट उतारा था।
इस प्रकार लालू यादव ने जेल से बैठे-बैठे ही सीपीआई के क्राउन प्रिंस के राजनीतिक कैरियर का अंत कर दिया था। लोकसभा चुनाव के दौरान सीपीआई को इस बात की उम्मीद थी कि कन्हैया अपने नेतृत्व के दम पर कम्युनिस्ट पार्टी को बिहार में कई सीटें जीतकर दिला देंगे। लेकिन बाकी सीटें जीतना तो दूर, कन्हैया अपनी ही सीट पर भाजपा नेता गिरिराज सिंह से 400000 से भी अधिक वोटों से हारे थे।
सीपीआई की कोशिश थी कि, कन्हैया कुमार के भूमिहार होने का फायदा लोकसभा चुनाव में मिलेगा पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। अब लोकसभा चुनाव में उनकी की असफलता के बाद बिहार विधानसभा चुनाव में सीपीआई ने यह तय किया है कि यदि उन्हें कन्हैया के बिना ही आरजेडी के साथ मिलकर आगे बढ़ेना पड़ा तो वो इसे सहर्ष स्वीकार कर लेंगे।