‘पुलिस में भर्ती के लिए ट्रेनिंग के साथ रुपये भी’, अब महाविकास अघाड़ी अल्पसंख्यक युवाओं की संख्या बढ़ाने में जुटी

सेक्युलरिज़्म के नाम पर उद्धव तुष्टिकरण खुलेआम कर रहे

महाराष्ट्र

(pc -DNA INDIA)

महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार एक बार फिर सुर्खियों में है, और इस बार भी गलत कारणों से। अल्पसंख्यकों के लिए अपना अपार प्रेम जताते हुए महाराष्ट्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्री और वरिष्ठ एनसीपी नेता नवाब मलिक ने ट्विटर पर एक घोषणा की। महाराष्ट्र सरकार अब स्पष्ट तौर पर अल्पसंख्यक युवाओं को पुलिस भर्ती से पहले विशेष ट्रेनिंग देगी, ताकि उनके राज्य पुलिस में चुने जाने की संभावनाएँ अधिक से अधिक हो।

महाराष्ट्र सरकार ने इस प्रकरण को ‘प्री रिक्रूटमेंट ट्रेनिंग’ की संज्ञा देते हुए कहा है कि वे पुलिस फोर्स में ज़्यादा से ज़्यादा अल्पसंख्यकों को भर्ती कराना चाहता है। नवाब मलिक ने ट्वीट किया, “राज्य के अल्पसंख्यक युवाओं को प्री रिक्रूटमेंट ट्रेनिंग दी जाये, ताकि उनकी भर्ती ज़्यादा से ज़्यादा पुलिस विभाग में हो। इस समय ये प्रक्रिया राज्य के 14 जिलों में शुरू हो चुकी है और जल्द ही इन्हें बाकी जिलों में भी लागू किया जाएगा। प्रत्यक्ष ट्रेनिंग भी जल्द ही शुरू की जाएगी!”

इस पक्षपाती प्रक्रिया के लिए महाराष्ट्र राज्य के कुल 36 जिलों में से जिन्हें चुना गया है, उनके नाम कुछ इस प्रकार हैं  – वर्धा, गढ़चिरोली, अमरावती, नांदेड़, जलना, पूना, युवतमल, परभानी, सोलापुर, औरंगाबाद, बुल्धाना, नाशिक, बीड़ और अकोला। जिस तरह से महाराष्ट्र अल्पसंख्यकों को अनावश्यक सहूलियतें दे रही है, वह बहुसंख्यक समुदायों के विरुद्ध न केवल भेदभाव उत्पन्न करता है, अपितु पुलिस विभाग को अल्पसंख्यकों से भर देने की एक सोची समझी चाल सिद्ध होती है।

लेकिन बात यहीं तक सीमित नहीं होती है।  पूरे आखिर अल्पसंख्यक की परिभाषा महाराष्ट्र सरकार के लिए क्या है? इस योजना से किस समुदाय को सबसे ज़्यादा लाभ मिलेगा, और आखिर इसके तुष्टीकरण के लिए क्योंमहाराष्ट्र की बलि चढ़ाई जा रही है? ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि यह दांव केवल और केवल अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के लिए काँग्रेस और एनसीपी ने मिलकर खेला है।

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब महाराष्ट्र सरकार ने अल्पसंख्यकों की तुष्टीकरण के लिए इतनी बेशर्मी से निर्णय लिए हों। इससे पहले जब वुहान वायरस की महामारी के दौरान मुंबई में स्थित बीएमसी ने वुहान वायरस से मरने वाले सभी मरीजों के दाह संस्कार के निर्देश दिये थे, तब ये नवाब मलिक ही थे, जिनके धमकियों के चलते बीएमसी को अपना निर्देश वापिस लेना पड़ा था।

इसके अलावा नवाब मलिक के नेतृत्व में एनसीपी राज्य में मुसलमानों के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण की वकालत भी की गई थी। नवाब मलिक ने तो यहाँ तक कह दिया कि इसे लागू करने हेतु महा विकास अघाड़ी सरकार को तत्काल प्रभाव से अध्यादेश भी लागू कर देना चाहिए। अब नवाब मलिक के नए प्रस्ताव से अभिभूत होकर वामपंथी एक्टिविस्ट्स ने इस अधिनियम को पूरे राज्य में लागू करने का भी सुझाव दिया है, क्योंकि उनके लिए सेक्यूलरिज़्म का अर्थ आजीवन अल्पसंख्यकों की जी हुज़ूरी करना ही है।

 

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