बंगाल में अल्पसंख्यक तुष्टीकरण ने अपनी सभी सीमाएं लांघ दी। तृणमूल काँग्रेस के शासन में जिस तरह से एक समुदाय के तुष्टीकरण में कानून व्यवस्था की बलि चढ़ाई जा रही है, वह किसी से नहीं छुपा है। लेकिन अब जो बंगाल में हो रहा है, वह किसी त्रासदी से कम नहीं है, और यदि इसे जल्द नहीं रोका गया, तो ये पूरे भारत के लिए खतरनाक सिद्ध हो सकता है।
New Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक बंगाल में मुर्शिदाबाद जिले में एक ऐसा गाँव पाया गया है, जहां पर भारतीय कानून नहीं, बल्कि शरीयत लागू होता है। इस गाँव में मौलवियों के फतवों के अनुसार आप न टीवी देख सकते हो, न संगीत सुन सकते हैं और न ही कैरम खेल सकते हैं। इसका यदि किसी ने उल्लंघन किया, तो उसे न सिर्फ सबके सामने उट्ठक-बैठक करना होगा, अपितु उसके अपराध के स्तर को देखते हुए 500 से 7000 रुपये तक का जुर्माना देना होगा।
जी हाँ, आपने ठीक पढ़ा। बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में एक ऐसा गाँव है, जहां पर केवल शरीयत की चलती है। अद्वैत नगर ग्राम के सामाजिक सुधार कमेटी के अध्यक्ष अज़हरुल शेख ने ये तालिबानी फरमान सुनाया है। यही नहीं, अज़हरुल ने ये भी बताया कि जो भी फ़तवे का उल्लंघन नहीं करेगा, उसे जुर्माने की राशि इनाम स्वरूप मिलेगी।
इस तालिबानी फरमान को उचित ठहराते हुए तृणमूल काँग्रेस के स्थानीय नेता अब्दुर राऊफ़ ने कहा, “इस निर्णय में कुछ भी गलत नहीं है। ये फतवा बहुत सही है। कैरम खेलने और सेल फोन से गाने सुनने पर प्रतिबंध लगाने का मैं स्वागत करता हूँ, क्योंकि हमारी युवा पीढ़ी इससे ग्रसित होती जा रही है।‘’
हालांकि, यह बंगाल के लिए कोई नई बात नहीं है। जिस राज्य की मुख्यमंत्री जय श्री राम के उद्घोष पर लोगों को जेल भिजवाए, जहां बकरीद के अवसर पर लॉकडाउन में ढील दी जाये, पर भूमि पूजन के अवसर पर न केवल लॉकडाउन लागू हो, अपितु भूमि पूजन के प्रसारण के समय जानबूझकर बिजली काटी जाये, वहाँ पर शरिया मानने वाले गाँव न पनपे, ऐसा हो ही नहीं सकता। ऐसे में शरिया मानने वाले गाँव के सामने आने से ये पूर्णतया सिद्ध हो जाता है कि बंगाल के वर्तमान प्रशासन के लिए अल्पसंख्यक तुष्टीकरण सर्वोपरि है, चाहे इसके लिए पूरे बंगाल और भारत की सुरक्षा खतरे में ही क्यों न पड़ जाये।