कुछ भी कहिए, पर असदुद्दीन ओवैसी पूर्णतया बुरे व्यक्ति नहीं है। उनके विचार चाहे जितने संकीर्ण और अतार्किक हो, लेकिन अपनी संस्कृति और उसकी रक्षा के लिए वे पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। इस बात को सिद्ध करते हुए उन्होंने एक ट्वीट भी किया, जिसमें उन्होंने जताया कि बाबरी मस्जिद थी, है और रहेगी। इसके अलावा अब असदुद्दीन ओवैसी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उसकी पोल खोलने और अपने आप को मुसलमानों के इकलौते मसीहा के रूप में सिद्ध करने का बीड़ा भी उठाया है।
अभी हाल ही में प्रियंका गांधी वाड्रा ने श्रीराम जन्मभूमि परिसर के पुनर्निर्माण पर ट्वीट करते हुए कहा था कि यह देश के लिए सौभाग्य की बात है कि श्रीराम जन्मभूमि परिसर का पुनर्निर्माण हो रहा है, श्री राम भारत की एकता का प्रतीक हैं। प्रियंका के ट्वीट के अनुसार, “सरलता, साहस, संयम, त्याग, वचनबद्धता, दीनबंधु, राम नाम का सार है। राम सबमें है, राम सबके साथ हैं। भगवान राम और माता सीता के संदेश और उनकी कृपा के साथ रामलला के मंदिर के भूमि पूजन का कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का अवसर बने।”
सरलता, साहस, संयम, त्याग, वचनवद्धता, दीनबंधु राम नाम का सार है। राम सबमें हैं, राम सबके साथ हैं।
भगवान राम और माता सीता के संदेश और उनकी कृपा के साथ रामलला के मंदिर के भूमिपूजन का कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का अवसर बने।
मेरा वक्तव्य pic.twitter.com/ZDT1U6gBnb
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) August 4, 2020
इस पर असदुद्दीन ओवैसी ने कांग्रेस पार्टी पर तंज़ कसते हुए ट्वीट किया, “अच्छा ही है कि कम से कम अब नाटक तो नहीं कर रहे। अगर हिन्दुत्व जैसी उग्रवादी विचारधारा को गले लगाना तो ठीक है पर ये भाईचारे का नाटक क्यों? शरमायें नहीं, ये भी बताइये कि कैसे आपकी पार्टी ने बाबरी मस्जिद के विध्वंस में एक अहम भूमिका निभाई थी”।
Glad that they are not pretending anymore. It's okay if they want to embrace this extremist ideology of Hindutva but why all this hollow talk about brotherhood?
Don't be shy, please be proud of your party's contributions to the movement that demolished our Babri Masjid https://t.co/wT2H9GJ7MD
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) August 4, 2020
सच कहें तो अब असदुद्दीन ओवैसी ने स्वयं कांग्रेस पार्टी के दोमुंहे स्वभाव की पोल खोलने का बीड़ा अपने सिर पर लिया है। उनका उद्देश्य स्पष्ट है – कांग्रेस के दोगलेपन को उजागर कर अपनी पार्टी यानि ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन को मुसलमानों की एकमात्र पार्टी के रूप में स्थापित करना। बता दें कि ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन वही पार्टी है, जिसके वास्तविक संस्थापक कासिम रिजवी के नेतृत्व में कट्टरपंथी रज़ाकारों ने हैदराबाद प्रांत में खूब उत्पात मचाया था। अब AIMIM ने अपनी धाक भी जमानी शुरू कर दी है, क्योंकि पिछले वर्ष उसने सभी को चौंकाते हुए बिहार विधानसभा के उपचुनाव में कांग्रेस को पटखनी देते हुए किशनगंज की सीट पर कब्जा जमाया था। इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी ने अपने तंज़ से ये भी सिद्ध किया है कि एक बार साँप पर भरोसा किया जा सकता है, परंतु काँग्रेस पार्टी पे नहीं।
कभी राम जन्मभूमि परिसर के पुनर्निर्माण को रोकने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगाने वाले और श्रीराम को काल्पनिक ठहराने वाले काँग्रेस ने भूमि पूजन समारोह निकट आते ही गिरगिट की तरह अपने रंग बदलने शुरू कर दिये। जहां छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चंदखुरी [श्रीराम की माँ का जन्मस्थल] के सुंदरीकरण के प्रस्ताव को स्वीकृति दी, तो वहीं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भूमि पूजन के दिन हनुमान चालीसा का पाठ कराने की घोषणा की। इतना ही नहीं, वरिष्ठ काँग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने तो श्री रामजन्मभूमि के पुनर्निर्माण का श्रेय भी काँग्रेस पार्टी को देने का प्रयास किया। ऐसे में असदुद्दीन ओवैसी गलत नहीं थे, जब उन्होने पूछा कि काँग्रेस द्वारा यह भाईचारे का नाटक क्यों।
सच कहें तो असदुद्दीन ओवैसी ने मौके पर चौका मारते हुए काँग्रेस की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। एक ओर जहां उन्होने ये सिद्ध किया कि काँग्रेस केवल सत्ता की लालची है, तो उन्होने ये भी सिद्ध किया कि यदि मुसलमान किसी पर भरोसा कर सकते हैं, तो केरल की कम्युनिस्ट सरकार के अलावा केवल उनपर कर सकते हैं।