कोरोना महामारी के कारण चीन के विरुद्ध विश्वव्यापी अभियान चल रहा है। ऐसे कई देश, जो पहले चीन के गुणगान करते नहीं थकते थे, अब वो चीन के विरुद्ध सीना ताने खड़े हैं। पर अभी भी कुछ ऐसे देश हैं, जिनकी आँखें बंद हैं। अब ऐसे देशों को जगाने का बीड़ा उठाया है चीन के एक पुराने तरफदार देश फिलीपींस ने जो अब चीन से सीधी टक्कर लेने को तैयार है।
आम तौर पर चीन के प्रशासन की बड़ाई करने वाले फिलीपींस के वर्तमान प्रशासन की आँखें तब खुली, जब वियतनाम के साथ-साथ चीन ने फिलीपींस के समुद्री क्षेत्र पर भी अपना कब्जा जमाने की नीयत से घुसपैठ करनी शुरू कर दी। सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन ने हाल ही में दक्षिण चीन सागर में नौसेना अभ्यास के नाम पर जो मिसाइल दागे थे, वो विशेष रूप से उन क्षेत्रों में चलाये गए, जहां फिलीपींस और चीन के बीच में विवाद है।
रिपोर्ट के एक अंश अनुसार, फिलिपींस के विदेश सचिव तियोडोरो लॉक्सिन ने चीन को दक्षिण चीनी सागर में मिसाइल चलाने के लिए कड़ी चेतावनी देते हुए कहा, “मामला बड़ा दिलचस्प है। अभी तो चीन ने हमारे क्षेत्र में घुसपैठ नहीं की है, लेकिन मैंने चेतावनी दी है कि चीन के एक गलत कदम से उनका सर्वनाश होना तय है। हमें पता है कि इसके परिणाम क्या हो सकते हैं, पर हम इससे डरने वाले नहीं है।”
इतना ही नहीं, फिलीपींस ने ये भी कहा है कि, यदि चीन ने फिलीपींस पर आक्रमण करने की सोची भी, तो फिलीपींस को अमेरिका की सहायता लेने से कोई भी नहीं रोक पाएगा। ANC के एक चैट शो से बातचीत के दौरान फिलिपींस के विदेश सचिव लॉक्सिन ने स्पष्ट कहा कि, चीन को चाहे अच्छा लगे या बुरा, परंतु फिलीपींस दक्षिण चीनी सागर पर अपने हवाई पैट्रोल जारी रखेगा और यदि चीन ने किसी भी प्रकार की नासमझी दिखाई, तो उसे अमेरिका से सहायता लेने से संसार की कोई शक्ति नहीं रोक पाएगी।
लेकिन फिलीपींस का यह कायाकल्प कब हुआ? जो फिलीपींस वर्तमान राष्ट्राध्यक्ष Rodrigo Duterte के नेतृत्व में चीन के गुणगान करते नहीं थकता था, उसे अचानक अपने पुराने सहयोगी अमेरिका की कैसे याद आ गई? बता दें कि राष्ट्रपति Duterte के नेतृत्व में फिलीपींस ने अमेरिका को ठेंगा दिखाकर चीन से नजदीकी बढ़ाना शुरू कर दिया था। इसके अलावा जब कोरोना वायरस महामारी दुनिया में फैली तो चीन की हेकड़ी से तंग आकर अमेरिका ने चीन विरोधी अभियान चलाया। गौरतलब है कि, फिलीपींस उन चंद देशों में शामिल था, जो चीन का तब भी साथ दे रहा था।
पर जल्द ही फिलीपिंस को यह साथ काफी महंगा पड़ा। पार्सेल द्वीप समूह (जिस पर चीन, वियतनाम और फिलीपींस तीनों दावा करते हैं) को अपनी ढाल बनाकर चीन ने वियतनाम और फिलीपींस के समुद्री क्षेत्र में घुसपैठ करनी शुरू कर दी। ऐसे में चीन का सामना करने से कतरा रहे Duterte से भी नहीं रहा गया और उनके नेतृत्व में फिलीपिंस ने चीन के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया। Duterte ने चीन को उसकी औकात बताने के लिए भारत की सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस खरीदने की इच्छा भी जताई।
अपने वर्तमान रुख से फिलीपिंस ने उन देशों की भी आँखें खोलने का प्रयास किया है, जो अभी भी चीन को अपना भाग्यविधाता मानते हैं। चीन के साथ मधुर संबंध स्थापित करने में फिलीपींस ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी, लेकिन साम्राज्यवादी स्वभाव के चीन के साथ कब तक संबंध अच्छे रहते? फिलीपींस ने चीन से चिपकने वाले देशों को सख्त चेतावनी दी है – हम भी ठगे गए हैं, तुम भी ठगे जाओगे!