जिस तिरुवनन्तपुरम Airport से सोना घोटाला किया गया, अब उसके निजीकरण का जोरदार विरोध कर रहे हैं विजयन

एक Airport के निजीकरण पर केरल के CM क्यों छाती पीट रहे हैं?

केरल

जब से पीएम मोदी की अगुवाई में हुई कैबिनेट ने विनिवेश की राह पर आगे बढ़ते हुए जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट को PPP मॉडल के जरिये लीज पर देने का फैसला किया है तब से केरल के सीएम पिनाराई विजयन कुछ अधिक ही बेचैन नजर आ रहे हैं। केरल के त्रिवेंद्रम इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Trivandrum International Airport) का ठेका अडानी समूह को दिए जाने के बाद पहले तो उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को खत लिखा अब केरल की विधानसभा ने इस फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है।

यह वही एयरपोर्ट है जहां से कुछ दिनों पहले कस्टम विभाग के अफसरों ने जांच पड़ताल के दौरान 15 करोड़ के मूल्य का 30 किलो सोना ज़ब्त किया था। तस्करी करने वालो का लिंककेरल की सरकार तथा मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के साथ सामने आया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल के तिरुवनंतपुरम हवाईअड्डे को अडानी एंटरप्राइजेज को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत 50 साल के लिये पट्टे पर देने का फैसला किया है तो अब केरल के सीएम पिनाराई विजयन की बेचैनी बढ़ गई है। इससे हवाई अड्डे की सुरक्षा व्यवस्था भी विविधतापूर्ण और ठोस होगी और इसके जरिये सोने की तस्करी लगभग असंभव हो जाएगी। पहले तस्कर अपनी कुटिल योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए हवाई अड्डे से सुरक्षा कर्मचारियों को खरीदने में सक्षम थे, परन्तु अब ये संभव नहीं हो पायेगा क्योंकि अब ये एक निजी खिलाड़ी को पट्टे पर दिया गया है। शायद यही कारण है कि तिरुवनन्तपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट के प्राइवेटाइजड हो जाने के बाद सोने की तस्करी की पोल खुलने का डर भी केरल सरकार को सता रहा है। 

ये उनका डर ही है कि सोमवार को केरल की विधानसभा ने एयरपोर्ट को अडानी समूह को दिए जाने के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया। चीफ मिनिस्टर पिनराई विजयन ने कहा कि केंद्र सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और एयरपोर्ट का मैनेजमेंट स्पेशल पर्पज वीकल को सौंपना चाहिए, जिसमें राज्य सरकार को भी हिस्सेदारी दी जाए। हैरानी की बात तो यह है कि केरल सरकार खुद पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत दो हवाई अड्डों को सफलतापूर्वक चला रही है और तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे को एक निजी ऑपरेटर को देने का विरोध कर रही है। यह विरोध किसी और के लिए नहीं बल्कि इस एयरपोर्ट के जरीये लगातार किये जा रहे तस्करी को जारी रखने के लिए है।

बता दें कि तिरुवनन्तपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट के जरीेये ही एक विदेशी राजनयिक के सामान के साथ एयर कार्गो में 30 किलोग्राम सोना भेजने के मामले में सीमा शुल्क विभाग UAE के वाणिज्य दूतावास के पूर्व कर्मचारी से पूछताछ किया था। यह तस्करी  Diplomatic immunity का फ़ायदा उठाते हुए की गई थी और जांच पड़ताल में यूएई कॉन्सुलेट जनरल के यहाँ पूर्व पब्लिक रिलेशन्स ऑफिसर रह चुके सरिथ कुमार और पूर्व कॉन्सुलेट अधिकारी स्वप्ना सुरेश का नाम सामने आया था। स्वप्ना सुरेश कई महीनों तक सूचना प्रौद्योगिकी इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (केएसआईटीआईएल) के तहत स्पेस पार्क की विपणन संपर्क अधिकारी भी थी।

Customs की रिपोर्ट के अनुसार सरिथ ने कूटनीतिक यानि diplomatic immunity का फ़ायदा उठाते हुए कई बार दुरुपयोग भी किया।

इसके अलावा यह भी सिद्ध हुआ है कि आरोपियों के साथ केरल के आईटी डिपार्टमेन्ट के मुख्य सचिव और पिनाराई विजयन के खास माने जाने वाले एम शिवशंकर के तार भी जुड़े हुए थे, जिन्हें तत्काल प्रभाव से आरोप सामने आने के बाद पद से हटा दिया गया है।

यहाँ यह सवाल उठना लाज़मी है कि इतने बड़े सोने की तस्करी को अंजाम तक पहुँचाने में स्वप्ना सुरेश की आखिर किन लोगों ने मदद की और राज्य सरकार इसमें कहाँ तक मिली हुई है। तब NIA ने बताया था कि यह पहला ऐसा कनसाइनमेंट था जो पकड़ में आया, वरना ऐसे न जाने कितने कनसाइनमेंट थे, जो कभी पकड़ में ही नहीं आते थे। यानि केरल की कम्युनिस्ट पार्टी कहीं न कहीं तो इस तरह के तस्करी का फायदा उठाती थी।

शायद अब इसी वजह से केरल के सीएम पिनरई विजयन परेशान हैं कि अब तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे के प्राइवेट हो जाने के बाद सुरक्षा व्यवस्था तथा निगरानी बढ़ जाएगी और उनके तस्करी का खेल बंद हो जाएगा।

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