किफायती सैनीटरी पैड्स देश की हर महिला तक पहुंचना लक्ष्य – मोदी
अब तक मासिक धर्म (Menstrual Hygiene) और सैनीटरी पैड्स के बारे में बातचीत बंद दरवाजों के पीछे ही होती थी और इसे शर्म का विषय माना जाता था। सैनीटरी पैड्स के बारे में सार्वजनिक रूप से बात करना पिछले कुछ वर्षों तक भारतीय समाज में हेय की दृष्टि से देखा जाता था। लेकिन इस लोकलाज को ख़त्म करने का बीड़ा अब स्वयं हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उठाया है। पीएम मोदी ने इस बार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए मासिक धर्म और सैनीटरी पैड्स के बारे में न केवल बात की, बल्कि रजवती महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल करने के मुद्दे पर भी प्रकाश डाला।
अपने डेढ़ घंटे लंबे भाषण में पीएम मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ पर ज़ोर देते हुए कई विषयों पर बातचीत की। पर उनकी सबसे प्रमुख बातों में से एक थी, किफ़ायती सैनीटरी पैड्स को भारत की हर एक महिला तक पहुँचाना। मोदी ने कहा, “वर्तमान सरकार हमारी गरीब बहनों और बेटियों के उच्चतम स्वास्थ्य के लिए सदैव ही चिंतित रही है। हमने जन औषधि केन्द्रों में अनेकों सैनिटरी पैड्स 1 रुपये के दाम पे बेचे हैं। बहुत ही कम समय में 5 करोड़ से अधिक सैनिटरी पैड्स का वितरण 6000 जन औषधि केन्द्रों के माध्यम से हुआ है।“
शायद पहली बार ऐसा हुआ है जब भारत के किसी प्रधानमंत्री ने सैनीटरी पैड्स विषय पर सार्वजनिक रूप से चर्चा की हो। मासिक धर्म का विषय आज भी कई लोगों के लिए एक ऐसा विषय है जिस पर वे खुलकर चर्चा नहीं कर पाते। लेकिन नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया है कि, इस विषय पर चर्चा अवश्य होनी चाहिए और इसे रूढ़िवाद की बेड़ियों से निकाल फेंकना चाहिए।
कहने को तो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राजीव गांधी बड़े उदारवादी विचारों के थे, लेकिन उन्होंने भी कभी इस मुद्दे पर खुल कर चर्चा नहीं की। देश के वामपंथी और कथित नारीवादी नेता हमेशा इस कोशिश में रहते हैं कि पीएम मोदी और भाजपा को नारी विरोधी और रूढ़िवादी सिद्ध करें, लेकिन पीएम मोदी के इस भाषण से उन सभी नेताओं की दलीलें पस्त हो गई हैं। अब तो लग रहा है कि, अपने भाषणों से पीएम मोदी ने इन कथित नारीवादियों को बेरोजगार करने का मन भी बना लिया है।
रूढ़िवादिता को तोड़ने वाले पहले प्रधानमंत्री बने मोदी
हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस संबोधन के दौरान रूढ़ीवाद को तोड़ने की बात की हो। जब पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री के तौर पर पहली बार, साल 2014 में लाल किले से पूरे देश को संबोधित किया था, तब उन्होंने खुले में शौच करने की समस्या पर प्रकाश डालते हुए, इसे राष्ट्र के लिए शर्मनाक बताया था। प्रधानमंत्री ने न केवल भारत को शौच मुक्त कराने की कसम खाई, बल्कि उसे सिद्ध भी करके दिखाया। अब जब भारत पूरी तरह शौच मुक्त होने की दिशा में सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है, तो पीएम मोदी ने पूरे देश का ध्यान मासिक धर्म और सैनीटरी पैड्स की जागरूकता के विषय पर आकृष्ट करने का काम किया है।
सच कहें तो पीएम मोदी ने इस विषय पर एक प्रधानमंत्री की तरह नहीं , बल्कि भारत नामक एक विशाल परिवार के मुखिया की तरह बात की है। उन्होंने अपने वक्तव्य से यह उदाहरण पेश किया कि, “जिसके बारे में सब जानते हों, तो उसे जानबूझकर छुपाने का प्रयास बिलकुल नहीं करना चाहिए, बल्कि उस विषय पर लोगों को जागरूक करना चाहिए। अब समय आ चुका है कि, मासिक धर्म जैसे मुद्दों को मुख्यधारा की चर्चा में लाया जाए और इस दिशा में पीएम मोदी ने लाल किले से संबोधित करते हुए एक सार्थक प्रयास किया है।