पाकिस्तान पूरे विश्व में एक मात्र ऐसा देश है जो अपने औकात के बाहर की धमकी देने से बाज नहीं आता चाहे उसके लिए उसे कंगाली ही क्यों न झेलना पड़े। जम्मू-कश्मीर मुद्दे को लेकर सऊदी अरब को धमकी देना पाकिस्तान (Pakistan) को महंगा पड़ गया है। सऊदी अरब ने अब पाकिस्तान को उधार में तेल देना बंद कर दिया है।
पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब ने पाकिस्तान को इस वर्ष के मई महीने से ही उधार पर कच्चा तेल नहीं दिया है। अब सऊदी अरब ने पाकिस्तान (Pakistan) के खिलाफ एक्शन लेते हुए उस समझौते को रीन्यू (renew) करने से मना कर दिया है जिसके तहत दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक और निर्यातक सऊदी अरब पाकिस्तान को उधार पर ही कच्चा तेल निर्यात करता था।
दरअसल, आर्थिक दलदल से घिरे पाकिस्तान (Pakistan) ने दिवालिया होने से बचने के लिए साल 2018 में सऊदी अरब से 6.2 अरब डॉलर का कर्ज लिया था। इस पैकेज के तहत सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 3.2 अरब डॉलर की कच्चे तेल की सुविधा उधार में देने का प्रावधान किया था।
हालांकि, इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने समय से चार महीने पहले ही चीन से एक अरब डॉलर का कर्ज लेकर सऊदी अरब का ऋण चुकाया था। बता दें कि कुछ ही दिनों पहले पाकिस्तान को तुर्की की गोद में जाता देख सऊदी अरब ने जब पाकिस्तान से एक बिलियन डॉलर लोन की भरपाई की बात कही तो सऊदी का कर्ज चुकाने के लिए अब पाकिस्तान (Pakistan) ने चीन से भीख मांगी और कर्ज चुका दिया।
बता दें कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने सऊदी को धमकी दी थी कि यदि सऊदी ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान (Pakistan) का साथ नहीं दिया तो वह उन मुस्लिम देशों की सभा बुलायेगा जो कश्मीर पर उसके साथ है। यहाँ पाकिस्तान ने अपने नए “आका” तुर्की की ओर इशारा किया था क्योंकि OIC में वह एकमात्र देश है जो कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि पाकिस्तान अपने नए आका तुर्की और एर्दोगन को खुश करने के लिए मुस्लिम देशों का सबसे ताकतवर देश सऊदी अरब को धमकी दे डाली थी, जो आज नहीं तो कल इस कर्ज में डूबे देश को बर्बाद कर सकता है। अब सऊदी अरब ने पाकिस्तान (Pakistan) को बर्बाद करने का कार्यक्रम शुरू भी कर दिया है।
सऊदी अरब और खाड़ी के देश पाकिस्तान को इतने हल्के में जाने नहीं देंगे क्योंकि हर मुसीबत से पाकिस्तान (Pakistan) को निकालने के लिए ये देश आगे आते रहे हैं, खासकर सऊदी अरब। सऊदी अरब ने कई बार पाकिस्तान की आर्थिक मदद की है और पाकिस्तानी मदरसों को सऊदी से पर्याप्त फंड मिलता है। BBC की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान ने 1998 में परमाणु परीक्षण किया तो सऊदी अरब ने ही उसे दुनिया के आर्थिक प्रतिबंधों के असर से बचाया था। वहीं वर्ष 2014 में जब पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था भयंकर मंदी का सामना कर रही थी तब सऊदी ने इस्लामाबाद को डेढ़ अरब डॉलर की मदद दी थी।
पिछले ही वर्ष क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन शाह ने पाकिस्तान (Pakistan) में पेट्रोकेमिकल्स, ऊर्जा और खनन परियोजनाओं में 20 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की थी। सऊदी अरब पाकिस्तान के लिए पेट्रोलियम का सबसे बड़ा स्रोत है। यह पाकिस्तान को व्यापक वित्तीय सहायता भी प्रदान करता है और सऊदी अरब में काम करने वाले करोड़ो पाकिस्तानी प्रवासियों से remittance भी पाकिस्तान के लिए विदेशी मुद्रा का एक प्रमुख स्रोत है। यानि देखा जाए तो पाकिस्तान सऊदी अरब पर अत्यधिक निर्भर है। जब भी पाकिस्तान को आवश्यकता पड़ती है तब वह हर बार अपना भीख का कटोरा लेकर खाड़ी देशों के पास पहुंच जाता है। अभी तो सऊदी अरब ने सिर्फ एक कदम उठाया है, और इससे पाकिस्तान में खलबली मचने वाली है। अगर सऊदी अरब अपने असली रंग में आ गया तो इनके खिलाफ जाना पाकिस्तान को सिर्फ भारी ही नहीं पड़ेगा बल्कि उसके अस्तित्व के लिए भी खतरा उत्पन्न हो जाएगा।