शेहला राशिद को बेरोजगार करने के बाद शाह फैसल का पार्टी से इस्तीफा, प्रशासनिक सेवा की ओर लौटेंगे वापस

लौट के बुद्धू घर को आए

शाह फैसल

जम्मू-कश्मीर में एक बड़े बदलाव का नारा दे चुके पूर्व आईएएस अफसर शाह फैसल अब अपने पुराने रास्ते पर लौटने को तैयार हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, शाह फैसल ने सोमवार को, जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। अब ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि, वो वापस प्रशासनिक सेवा शामिल हो सकते हैं। इंडिया टुडे से बातचीत में शाह फैसल ने कहा कि, वो राजनीति छोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, “कश्मीर में एक नई वास्तविकता है और हमें इसके संदर्भ में आना होगा। IAS के रूप में मैं इस राष्ट्र के भविष्य में एक हितधारक रहा हूं। मैं यह कल्पना नहीं कर सकता कि कुछ लोग मुझे भारत विरोधी कह रहे हैं।“

बता दें कि, शाह फैसल ने जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी की स्थापना मार्च 2019  में हुई थी। गाजे-बाजे के साथ शुरु हुई इस पार्टी में तमाम युवा लोगों को शामिल किया गया था। ये वही पार्टी है जिसमें जेएनयू की पूर्व छात्र और सूडो-सेक्युलर, शेहला राशिद अपनी किस्मत आजमाने उतरी थीं। प्लान साफ था कि, महबूबा मुफ़्ती की कमज़ोर राजनैतिक पकड़ के बाद ये दोनों कश्मीर में एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाना चाहते थे। प्लान के मुताबिक शाह फैसल और शेहला राशिद भविष्य में कश्मीर की राजनीति के बड़े चेहरा बनना चाहते थे, लेकिन ये दोनों स्वघोषित नेता, भाजपा की कश्मीर नीति को समझने में पूरी तरह विफल साबित हुए। कुल मिलाकर इनका कश्मीर मिशन पूरी तरफ फ्लॉप साबित हो गया।

5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाये जाने और जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने वाली सभी राजनीतिक पार्टियों के पास कोई मुद्दा ही नहीं बचा। केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद पीपुल्स मूवमेंट पार्टी की प्रासंगिकता भी न के बराबर हो गयी।

शेहला जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट का प्रमुख चेहरा रही हैं और कश्मीर में धारा 370 खत्म किये जाने के बाद विरोध का प्रमुख चेहरा भी रही हैं। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद शेहला रशीद ने सेना के खिलाफ फेक न्यूज़ भी फैलाया था जिसके बाद उनके ऊपर देश द्रोह का मामला भी दर्ज किया गया था। अब बात इतनी है कि, ये नेता फेक न्यूज़ फैलाने के अलावा और कुछ नहीं कर सकते थे। इस वजह से इस पार्टी और उसके नेताओं की ना तो कोई विश्वसनीयता बची और ना ही महत्व बचा। अंत में शेहला राशिद को इस्तीफा देना पड़ा और राजनीति में उनका कैरियर शुरू होने से पहले ही समाप्त हो गया।

ये लोग अनुच्छेद 370 के विशेष प्रावधानों को हटाने के पक्ष में इसलिए नहीं थे, क्योंकि इनकी वोट बैंक पॉलिटिक्स के केंद्र में अनुच्छेद 370 और 35ए ही था। बता दें कि, शाह फैसल पिछले साल, 5 अगस्त को संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त किये जाने के विरुद्ध थे और उन्हें कुछ दिन बाद तुर्की के लिए उड़ान पकड़ने से पहले दिल्ली हवाईअड्डे से गिरफ्तार किया गया था। वो तुर्की के बाद नीदरलैंड जाने वाले थे ताकि वहां जा कर इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के लिए भारत के खिलाफ मामला दर्ज करा सकें। फैसल के खिलाफ कड़े जन सुरक्षा अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था और उन्हें बाद में इसी साल जून में रिहा कर दिया गया था। अब शाह फैसल ने भी राजनीति में अपने भविष्य की संभावना शून्य होता देख खुद की बनाई पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और वापस सरकारी नौकरी की और रुख करने का इशारा किया है। इनके इस्तीफे से एक बात तो तय हो गयी कि, इस पार्टी का गठन ही अनुच्छेद 370 और 35 A पर केन्द्रित था और इसके हटाये जाने के बाद उन्हें कोई भविष्य नजर ही नहीं आ रहा है।

यानी देखा जाए तो यह कहना गलत नहीं होगा कि, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी की स्थापना के बाद जम्मू कश्मीर की राजनीति के केंद्र में आने की इच्छुक शेहला राशिद के राजनीतिक कैरियर को बर्बाद करने और उन्हें बेरोजगार करने के बाद अब शाह फैसल खुद सिविल सेवा की ओर लौटना चाहते हैं। अब यह साफ हो चुका है कि, शेहला और शाह फैसल जैसे सूडो-सेकुलर्स और स्टूडेंट यूनियन के नाम पर अलगाववाद फैलाने वाले लोगों ने देश के बदले मिज़ाज को नहीं समझा तो उन्हें भविष्य में भी इसी तरह के झटके खाने पड़ेंगे।

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