पाकिस्तान की हालत आज के समय न घर की रही है न घाट की है। सऊदी अरब और UAE जैसे समर्थक देश पाकिस्तान का साथ छोड़ रहे हैं तो कश्मीर मुद्दे पर कोई सुनने को तैयार नहीं है। आज पूरी दुनिया में पाकिस्तान हंसी का पात्र बनकर रह गया है। पाकिस्तान की हालत के लिए कोई और नहीं बल्कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की विदेश नीतियां रही हैं। पाकिस्तान में जिस तरह का माहौल बन रहा है उससे अब यह लगता है कि इमरान खान की विफलता के लिए शाह महमूद कुरैशी को बलि का बकरा बनाया जाएगा।
दरअसल, कश्मीर मुद्दे पर पूरी दुनिया में अपनी थू-थू करवाने का बाद इमरान खान के सबसे करीबी मंत्रियों में से एक मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने इसका ठीकरा पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी पर फोड़ा है। हालांकि, पाकिस्तान में मानवाधिकार मंत्रालय होना ही हास्यास्पद है लेकिन यह सच है। पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी का कहना है कि, “पीएम इमरान ने लगातार कश्मीर मुद्दे पर भाषण दिया और इस मामले पर बोलते रहे लेकिन विदेश मंत्रालय ने उनका साथ नहीं दिया। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय और उसके सारे अफसर और डिप्लोमेट्स निकम्मे हैं और कश्मीर मुद्दे पर प्रधानमंत्री इमरान खान का कोई साथ नहीं दे रहा।“
इसके बाद उन्होंने इमरान खान की प्रशंसा करते हुए दावा किया कि यह इमरान खान का एक तरफा प्रयास था जिससे कश्मीर मुद्दे को वैश्विक स्तर पर ले जाया जा सका था।
उन्होंने कहा कि इमरान खान अकेले ही कश्मीर मुद्दे के लिए आवाज़ बने हुए हैं और अगर विदेश मंत्रालय ने पीएम का साथ दिया होता तो आज हालात कुछ और होते। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की पोल खोलते हुए उन्होंने कहा कि, “हमारे डिप्लोमैट्स महंगे होटलों में ऐश करते हैं। थ्री-पीस सूट्स पहनते हैं। फोन पर गप्पें मारते रहते हैं।“
पाकिस्तान में “लेडी तालिबान” के रूप में जानी जाने वाली शिरीन ने कहा कि पाकिस्तान की तुलना में बुर्किना फ़ासो जैसे देश का अधिक राजनयिक दबदबा है जो जॉर्ज फ्लोएड की हत्या के बाद अमेरिका में पुलिस बर्बरता के खिलाफ प्रस्ताव पारित करवा चुका है।
इससे यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान का कैबिनेट आपस में ही एक मत नहीं है और एक मंत्री दूसरे मंत्री की नीतियों की इस तरह से आलोचना कर रहे हैं। पाकिस्तान कैबिनेट में फूट पड़ने के कई पहलू हैं। दरअसल, शिरीन मजारी इमरान खान कि करीबी हैं और वह पाकिस्तान के सबसे कद्दावर नेताओं में गिनी जाती हैं। उनका बयान काफी महत्व रखता है और इससे पाकिस्तान की राजनीति में भूचाल आ सकता है।
पिछले कुछ समय से पाकिस्तान द्वारा कश्मीर पर किए गए सभी प्रयास विफल रहे हैं चाहे वो चीन की मदद से मुद्दे को UNSC में ले जाना हो या UNHRC में या फिर OIC में ही क्यों न हो। पाकिस्तान की इस लगातार विफलता के लिए किसी न किसी को तो जिम्मेदार बना कर पाकिस्तान की जनता को खुश करना होगा इसलिए अब इस विफलता का ठीकरा शाह महमूद कुरैशी के सिर फोड़ा जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स का यह भी मानना है कि पाकिस्तानी मीडिया का एक हिस्सा शाह महमूद कुरैशी को अगले प्रधानमंत्री की तरह प्रोजेक्ट कर रहा है और खबरे हैं कि पाकिस्तानी आर्मी भी शाह महमूद कुरैशी के पक्ष में है, इसीलिए इमरान खान और उनके वफादारों का लक्ष्य है कि कुरैशी को बलि का बकरा बनाया जाए ताकि इमरान की छवि लोगों के सामने बची रहे।
पाकिस्तान में किसी भी नेता को प्रासंगिक बने रहने के लिए कश्मीर मुद्दे को जिंदा रखना आवश्यक है। इमरान खान के समर्थक यह नहीं चाहते कि इस मुद्दे पर अन्तर्राष्ट्रीय असफलता का दाग इमरान खान पर लगें। हालांकि, सच्चाई यही है कि इमरान खान की अक्षमता के कारण अब यह मामला भी पाकिस्तान के हाथ से निकलता जा रहा है। इमरान खान की इसी अक्षमता को छुपाने के लिए शाह महमूद कुरैशी की राजनीतिक बलि देने का कार्य शुरू हो चुका है।