सुशांत सिंह राजपूत के मामले में दिन प्रतिदिन नए खुलासे होते जा रहे हैं। अब टाइम्स नाऊ की रिपोर्ट के अनुसार ये सामने आया है कि सुशांत अपनी गतिविधियों के बारे में बात करने के लिए जिस डायरी का उल्लेख करते थे, उसके कुछ पन्ने गायब है, और इसे भी अब जांच के दायरे में लाया जा रहा है।
टाइम्स नाऊ की पत्रकार नाविका कुमार के अनुसार अभिनेत्री अंकिता लोखंडे ने सुशांत सिंह राजपूत के संबंध में बताया था कि वे अपनी गतिविधियों और अपने भावी लक्ष्यों का लेखा जोखा रखने हेतु एक डायरी का प्रयोग करते थे। टाइम्स नाऊ की जांच के अनुसार ये डायरी अभी हाल ही में प्राप्त की गई है, जिसमें से कुछ पन्ने गायब भी हैं। नाविका कुमार के अनुसार, “ये पन्ने शायद इसलिए गायब हुए हैं ताकि कोई ये न पता लगाने पाये कि सुशांत को वास्तव में क्या हुआ था, और वे कौन से लोग हैं, जिनके कारण आज सुशांत हमारे बीच नहीं हैं”।
MEGA #EXCLUSIVE | Never before seen personal diary of Sushant Singh is out.
Some pages in the diary have been allegedly ripped off. Crucial pages missing.Navika Kumar with details. | Report: Priyank Tripathi | #SushantDiaryOnTimesNow pic.twitter.com/Hf3708YBAA
— TIMES NOW (@TimesNow) August 6, 2020
सच कहें तो जब से सुशांत सिंह राजपूत के असामयिक मृत्यु की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग उठी है, तभी से न सिर्फ सुशांत सिंह राजपूत के जीवन से जुड़े कुछ अनकहे पहलू सामने आए हैं, अपितु इस पूरे प्रकरण में मुंबई पुलिस का एक अनदेखा पक्ष सामने आया है। यदि बात केवल करण जौहर या महेश भट्ट को उनके व्यवहार के लिए आड़े हाथों लेने की होती, तो शायद मुंबई पुलिस को इतना समय नहीं लगता, जितना उन्हें सुशांत सिंह राजपूत की जांच में लगा है। तो आखिर ऐसा क्या है जो मुंबई पुलिस के काम करने के तरीके पर ही अब सवाल उठने लगे हैं?
बात अगर सुशांत की डायरी के पन्नों के गायब होने की होती तो शायद चीजे उतनी उलझी नजर नहीं आती, परन्तु ऐसा ही कुछ सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मैनेजर के मामले में भी हुआ। इसी मामले पर अभी हाल ही में भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने सुशांत की पूर्व मैनेजर दिशा सालियान के रहस्यमयी मृत्यु पर सवाल उठाते हुए दावा किया था कि ‘दिशा की मृत्यु का सुशांत के असामयिक मृत्यु से कुछ कनैक्शन है, जिसमें राजनीतिक मिलीभगत भी शामिल है, और मुंबई पुलिस इसी बात को बाहर नहीं आने देना चाहती है। तभी उन्होंने दिशा के मामले से जुड़ा फोल्डर गायब होने की बात की’।
पर ये फोल्डर वाला विवाद है क्या ? और कैसी राजनीतिक मिलीभगत की ओर नारायण राणे संकेत दे रहे हैं? इसकी ओर इशारा करते हुए हिन्दी समाचार पत्र हिंदुस्तान की रिपोर्ट में बताया था कि “जब पटना पुलिस की टीम दिशा के परिजनों से पूछताछ करने गई पर वहां उनका कोई परिजन नहीं मिला। पुलिस ने वहां रहने वाले कुछ लोगों का बयान दर्ज किया, उसके बाद पुलिस मालवणी पुलिस स्टेशन चली गई। इसी थाना क्षेत्र में दिशा का फ्लैट है।”
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो हाल ही में इस मामले की छानबीन में ये भी सामने आया है कि, बिहार पुलिस सुशांत की पूर्व मैनेजर दिशा सालियान की संदिग्ध मौत की खोज खबर लेने भी मालवणी थाने पहुंची थी। यहां पहले तो पुलिस उन्हें सब कुछ बताती रही, लेकिन फिर किसी का फोन आने के बाद कह दिया गया कि इस जांच से संबंधित पूरा फोल्डर ही डिलीट हो गया है। सूत्रों के मुताबिक बिहार पुलिस ने इस बारे में लैपटॉप से डाटा रिकवर करने में मदद करने का भी प्रस्ताव किया लेकिन मुंबई पुलिस ने इससे मना कर दिया है।
यदि ये बात शत प्रतिशत सत्य है, तो पहले से ही आलोचना के केंद्र में महाराष्ट्र की वर्तमान सरकार पर कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं जो सरकार के गिरने का कारण भी बन सकता है। इसके अलावा जिस प्रकार से मुंबई पुलिस ने सुशांत सिंह राजपूत के मामले में बिहार पुलिस के अफसरों के साथ बदसलूकी की है, उससे स्थिति सामान्य तो बिलकुल नहीं कही जा सकती। सर्वप्रथम तो बिहार पुलिस के अफसरों के साथ बुरी तरह बदसलूकी की गई, और जब बिहार पुलिस के अफसर, एसपी विनय तिवारी मुंबई आए, तो उन्हें ज़बरदस्ती बीएमसी ने होम क्वारनटाइन में झोंक दिया। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के पश्चात के बाद आखिरकार बीएमसी को विनय तिवारी को छोड़ना ही पड़ा, जिससे इतना तो स्पष्ट है कि मुंबई पुलिस किसी अहम शख्सियत को बचाना चाहती है। पर प्रश्न ये उठता है कि आखिर किस को बचना चाहती है मुंबई पुलिस, और क्यों?
सच कहें तो सुशांत सिंह राजपूत की असामयिक मृत्यु ने न केवल बॉलीवुड के स्याह पहलू को उजागर किया है, अपितु महाराष्ट्र सरकार के भविष्य पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अब सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु का मामला बॉलीवुड की पोल खोलने से ज़्यादा महाराष्ट्र सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करने की ओर बढ़ रहा है।