अपनी हरकतों के कारण लगातार परिहास का कारण बनने वाले नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने एक ऐसा कदम उठाया है जो उनकी विचारधारा के विपरीत है। दरअसल, भारत विरोध में पागल हो चुके ओली अब हिन्दू धर्म का न केवल राग अलाप रहे हैं बल्कि प्रचार-प्रसार भी कर रहे हैं। भारत में राम मंदिर के भूमिपूजन के बाद नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने फैसला लिया है कि वे भी नेपाल में भी एक राममंदिर का निर्माण करवाएंगे।
अभी हाल ही में नेपाल के प्रधानमंत्री ने केपी शर्मा ओली ने दावा किया था कि भगवान श्री राम की जन्मस्थली नेपाल का चितवन जिला है। तब भारत में न सिर्फ इस बयान का जबरदस्त विरोध हुआ था, बल्कि लोगों ने सोशल मिडिया के माध्यम से ओली का मजाक भी बना दिया। उनकी खुद की पार्टी के नेताओं ने भी ओली के बयान से किनारा कर लिया था, लेकिन ओली हैं कि मानने को तैयार ही नहीं हैं। नेपाल में चीन की राजदूत हू यांकी ने केपी ओली की दो बार कुर्सी बचाई है, ऐसे में ओली चीन को खुश करने के लिए पहले राम का जन्मस्थान नेपाल में है का दावा किया था और अब राम मंदिर का निर्माण करवाने की बात कही है।
अब मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक उन्होंने फैसला लिया है कि वे इस नेपाल में तथाकथित जन्मस्थान पर एक भव्य राममंदिर बनवाएंगे। शनिवार को ओली ने चितवन जिला के माडी के नगर निकाय अधिकारियों को फोन करके बुलाया था। इस बैठक के दौरान केपी शर्मा ओली ने उनसे कहा कि नेपाल में राम मंदिर बनना चाहिए। जहाँ एक तरफ सभी लोग ओली के इस फैसले को भारतीय हिन्दुओं और नेपाली हिन्दुओं को बांटने के तौर पर देख रहे हैं, परन्तु TFI को इस निर्णय से कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि सांस्कृतिक संबंधों पर प्रभाव डालने के लिए ओली बहुत ही छोटे हैं। अगर भारत और नेपाल को एक और भव्य राम मंदिर मिलेगा तो इसमें बुराई क्या है? हिन्दुओं ने 500 वर्षों तक अपने श्री राम की जन्भूमि के लिए लड़ाई लड़ी है और अब जाकर राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ है। अब अगर ओली भारत विरोध में हिन्दू धर्म का प्रसार कर रहे हैं तो अच्छा ही है न।
नेपाल शुरू से ही एक हिन्दू राष्ट्र रहा है, परन्तु बीते वर्षों में नेपाल में कम्युनिस्टों का प्रभाव बढ़ा है। यही नहीं चीन के शह पर नेपाल में भारत विरोधी स्वर को मजबूत करने की लगातार कोशिश चल रही हैं। तभी तो कम्युनिस्ट विचारधारा को मानने वाले ओली ने अब श्री राम का रुख किया है।
बता दें कि कम्युनिस्ट विचारधारा के प्रवर्तक मार्क्स ने धर्म को अफीम कहकर उसका तिरस्कार किया था। कम्युनिस्ट विचारधारा को मानने वाले कुछ लोग धर्म से घृणा करते है तो कुछ के लिए साम्यवाद का मूल ही धर्म होता है। एक लम्बे समय तक भारतीय उपमहाद्वीप में भी यह विचार प्रभावी रहा। बहरहाल, जो भी हो यह देखना सुखद है कि भारत के विरोध की आड़ में ही सही कम्युनिस्ट विचारधारा से जुड़े केपी शर्मा ओली भी सनातन संस्कृति का सम्मान करना सीख रहे हैं। जाने अनजाने नेपाल के प्रधानमंत्री हिन्दू धर्म का प्रसार कर रहे हैं इससे भला हम भारतवासियों को क्या परेशानी होगी। रही बात ओली के दावों कि तो, “राम अयोध्या में जन्मे थे, इस तथ्य को बच्चा बच्चा जानता है। ऐसे में ओली या किसी और से प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है।