कोरोना के बाद चीन से बाहर निकलने वाली दूसरे देशों की कंपनियों के लिए उत्तर प्रदेश पहली पसंद बन चुका है। अब तक भारत में FDI के मामले में सबसे आगे रहने वाली महाराष्ट्र को पीछे करते हुए उत्तर प्रदेश की सरकार ने लगातार विकास को अपनाते हुए नियमों में बदलाव कर विदेशी निवेशकों को लुभाने पर काम कर रही है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश MSME विभाग और फ्रांस में भारतीय राजदूत जावेद अशरफ ने रक्षा, एयरोस्पेस, कपड़ा, जूते और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में हाथ मिलाने की संभावना तलाशने के लिए एक कार्यदल गठित करने पर सहमति व्यक्त की है। इससे भारत और यू.पी. से निर्यात फ्रांस की तरफ बढ़ाने के अवसर तलाश करने में मदद मिलेगी, जिससे उत्तर प्रदेश में और भी अधिक विदेशी निवेश देखने को मिलेगा।
राज्य के MSME मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह, जावेद अशरफ के साथ बातचीत के दौरान बताया कि राज्य सरकार ने निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई नियमों में ढील दिया है। वहीं राजदूत अशरफ ने कहा कि निवेश और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए यूपी फ्रांस से संपर्क करने वाला पहला राज्य है।
दरअसल, पिछले कुछ समय में जिस तरह से उत्तर प्रदेश की सरकार ने कनेक्टिविटी, निवेश नीतियां और आगामी बुनियादी ढांचो पर काम किया है,उससे अब उत्तर प्रदेश की छवि पूर्ण रूप से बदल चुकी है।
इसी सोमवार को साउथ कोरिया की दिग्गज इलेक्ट्रॉनिक कंपनी एडिसन मोटर्स ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और 5 हजार करोड़ डॉलर के निवेश करने की इच्छा व्यक्त की थी । एडीसन मोटर्स द्वारा निवेश की परिकल्पना राज्य में तीन चरणों में की गई, जो सामूहिक रूप से 5,000 लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा। कंपनी यूपी में स्थानीय विक्रेताओं और निर्माताओं से अपने इलेक्ट्रिक वाहन संयंत्र के लिए 90 प्रतिशत मशीन पार्ट्स को तैयार करेगी, जो राज्य के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को बढ़ने में सीधे मदद करेगा।
उससे पहले कोरिया चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (KCCI) के अध्यक्ष योंगमैन पार्क ने बताया था कि कोरियाई इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माता, उत्तर प्रदेश में निवेश करने के लिए उत्सुक हैं।
इसी कड़ी में जर्मनी की फुटवियर कंपनी Von Wellx ने अब अपनी production यूनिट चीन से भारत शिफ्ट करना का ऐलान किया था, जिससे उत्तर प्रदेश के आगरा में 10 हज़ार नए रोजगार पैदा होंगे।
कुछ साल पहले, उत्तर प्रदेश का नाम भारत की विकास की कहानी में कहीं भी नहीं था। 20 करोड़ से अधिक आबादी वाला भारत का सबसे बड़ा राज्य सिर्फ अन्य राज्यों में मजदूरों के निर्यात के लिए जाना जाता है। सबसे बड़ा राज्य होने के बावजूद, इसे भारत में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का एक मामूली हिस्सा मिलता था। उदारीकरण के बाद के वर्षों में, भारत में एफडीआई तेजी से बढ़ा लेकिन यह देश के पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों तक केंद्रित था। हालांकि, जब से योगी आदित्यनाथ ने इस राज्य की कमान संभाली है तब से इसकी कहानी बदल गई है।
वित्त वर्ष 2019 में National Capital Region (दिल्ली और यूपी, हरियाणा के कुछ हिस्सों को मिलाकर) ने देश में FDI प्राप्त करने के मामले में महाराष्ट्र को पछाड़ कर शीर्ष स्थान हासिल किया। वित्त वर्ष 19 के पहले नौ महीनों में, NCR ने 57,000 करोड़ रुपये का FDI प्राप्त किया, जबकि महाराष्ट्र ने 56,000 करोड़ रुपये का FDI प्राप्त किया। यह सभी को पता है कि NCR में निवेश का एक बड़ा हिस्सा नोएडा और ग्रेटर नोएडा में आता है जो यूपी सरकार के सीधे नियंत्रण में है और आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स का हब बन चुका है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ये सिद्ध कर दिया है कि उत्तर प्रदेश अब पिछड़ी राजनीति नहीं बल्कि उम्मीदों और तेज़ विकास का प्रदेश बन गया है। कोरोना के बाद ही योगी सरकार ने नौकरशाहों को निर्देश दिया था कि वे एक स्पेशल पैकेज तैयार करें, जो मल्टीनेशनल कंपनियों को भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश की ओर आकर्षित कर सके। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार ने विदेशी कम्पनियों के लिए हर प्रकार की सुविधा प्रदान की है। इतना ही नहीं, भूमि अधिग्रहण से ले कर श्रम कानून में बदलाव करना और पिछड़े क्षेत्रों में निवेश करने पर GST के वापस लौटाने की भी छूट दी है।
मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ ने यूपी के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना और MSME मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह से अन्य देशों के राजदूत के साथ निवेश को बढ़ाने के लिए बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने को कहा था। राज्य सरकार ने मुख्य रूप से जापान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, यूरोपीय संघ आदि के आधार पर ऐसे निगमों की पहचान करने की प्रक्रिया शुरू की थी, ताकि उन्हें लुभाने के लिए एक लक्षित रणनीति तैयार की जा सके।
राज्य का लक्ष्य अगले तीन वर्षों में अब तक के 1.2 लाख करोड़ रुपये से MSME निर्यात को दोगुना कर 2.4 लाख करोड़ रुपये करना है।
लेकिन दूसरी ओर है महाराष्ट्र जो कि हमेशा से बड़े विदेशी निवेशों का केंद्र रहा है, अब उसकी हालत इस मामले में खराब हो रही है। महाराष्ट्र राज्य, जो औद्योगिकीकरण में सबसे आगे रहा था। परंतु पिछले एक साल से कांग्रेस NCP औए शिवसेना के गठबंधन सरकार और अक्षम नेतृत्व के कारण उसकी अर्थव्यवस्था गर्त में जा रही है। इस साल के शुरुआत में ही गठबंधन सरकार आने के बाद foxconn जैसी बड़ी कंपनी ने महाराष्ट्र से 5 अरब डॉलर का निवेश वापिस ले लिया था।
कुल मिला कर आर्थिक समीकरण पूरे देश में बदल रहे हैं और यूपी जैसे राज्य जिन्हें जातिवाद की राजनीति और गुंडागर्दी ने जकड़ा हुआ था, आज वो निवेश से संपन्न होने की दिशा में हैं तो वहीं महाराष्ट्र सरकार राज्य की लुटिया डुबोने में लगी हुई है।
जिस प्रकार योगी सरकार अभी अपने ऊपर से बीमारू राज्य होने का टैग हटाकर बिजनेस क्षेत्र में अन्य राज्यों को चुनौती देने का काम कर रही है, उसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार की जितनी सराहना की जाये, उतनी कम है। इसी के साथ देश के अन्य राज्यों को यूपी से कुछ सीख लेने की ज़रूरत है।