सिकुड़ती GDP पर एक Time pass इकोनोमिस्ट ज्ञान दे रहा था, मार्केट एक्सपर्ट झुनझुनवाला ने उसका झुनझुना बजा डाला

सोशल मीडिया पर आजकल ऐसे Time pass इकोनोमिस्ट की भरमार हो गयी है!

झुनझुनवाला

प्रोपगैंडा और एनडीटीवी दोनों ही साथ साथ चलते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि एजेंडा हमेशा सर्वोपरि होता है। लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था पर केंद्र सरकार को घेरने की एनडीटीवी की नीति उस समय फुस्स साबित हुई, जब प्रख्यात निवेशक राकेश झुनझुनवाला ने न केवल तथ्यों सहित एनडीटीवी के पत्रकार श्रीनिवासन जैन की धुलाई की, बल्कि अर्थव्यवस्था की सच्चाई से भी अवगत कराया।

राकेश झुनझुनवाला से बातचीत करते हुए एनडीटीवी के पत्रकार श्रीनिवासन जैन ने अपने स्वभाव अनुसार राकेश को पीएम मोदी का समर्थन करने के लिए आड़े हाथों लेना शुरू किया। भारत की ‘गिरती’ अर्थव्यवस्था के पीछे उन्होने राकेश झुनझुनवाला को पीएम मोदी का समर्थन करने के लिए श्रीनिवासन ने निशाना साधते हुए कहा कि राकेश सही और गलत के बीच का अंतर देखना बंद कर रहे हैं।

लेकिन राकेश झुनझुनवाला भी कहाँ श्रीनिवासन को हल्के में ले रहे थे। उन्होंने पलटकर जवाब दिया, “हाँ, मैं पीएम मोदी का प्रशंसक हूँ, ये स्पष्ट बात है। एक भारतीय होने के नाते मेरा अधिकार है कि मैं अपने राजनीतिक विकल्प चुन सकूँ। पर आप तो स्पष्ट रूप से पक्षपाती रवैय्या अपना रहे हो। मैं देख सकता हूँ कि एनडीटीवी वर्तमान सरकार के प्रति पक्षपात अपनाती है” –

 

 

श्रीनिवासन जैन ने अपने आप को बचाने का एक और प्रयास किया, जिस पर राकेश ने श्रीनिवासन की जमकर धुलाई करते हुए कहा, “मैं एक राजनीतिक पशु हूँ,  लेकिन प्रेस नहीं है। प्रेस को निष्पक्ष होना चाहिए, आपको निष्पक्ष होना चाहिए!”

लेकिन राकेश झुनझुनवाला वहीं पे नहीं रुके, बल्कि उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के सकारात्मक पहलुओं को गिनाते हुए कहा कि वुहान वायरस की महामारी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था तेज़ी से रिकवर कर रही है, और विदेशी उद्योगपति भर भर के भारत में निवेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “बाज़ार केवल मार्च 2021 तक सीमित नहीं है। भारत पहले से ही तेज़ी से रिकवर कर रहा है। इसके अलावा भारत में काफी सकारात्मक बदलाव आया है, जिसमें ब्याज दरों में कटौती एक बहुत बड़ा फ़ैक्टर है, और इसके अलावा भी बहुत बड़े स्तर पर सुधार हो रहे हैं” –

 

 

इसके अलावा वामपंथी पत्रकारों को अर्थव्यवस्था के केवल स्याह पहलुओं को दिखाने के लिए लताड़ते हुए राकेश झुनझुनवाला ने कहा, “देखिये, ऐसा है कि अगर मार्केट जीडीपी में उतार चढ़ाव के हिसाब से काम करने लगे न, तो इस समय दुनिया के सबसे अमीर लोगों में अर्थशास्त्री ही आएंगे। हम लोग रिकवरी फेस में हैं, और अभी फार्मा जैसे क्षेत्रों में हम आगे चलकर दुनिया के सबसे प्रभावशाली देशों में शुमार हो सकते हैं। ऐसे में मुझे तो नहीं लगता कि हमें अर्थव्यवस्था के बारे में चिंता करनी चाहिए।”

 

यही नहीं, हाल ही में लागू कृषि सुधार विधेयकों पर एनडीटीवी समेत वामपंथी ब्रिगेड के प्रोपगैंडा की धुलाई करते हुए राकेश झुनझुनवाला ने कहा, “मार्केट हमेशा भविष्य पर नज़र रखता है। मैं ऐसे समय की ओर देख रहा हूँ, जहां पर किसान को आलू के लिए 4 रुपये ही मिलते हैं, जबकि हमें उसे 40 रुपये में खरीदने के लिए बाध्य होना पड़ता है। वर्तमान विधेयक इस समस्या को ऐसे समाप्त करेंगे कि किसान को आलू के यदि 10 रुपये मिलेंगे, तो हमें 25 रुपये ही में आलू मिलेंगे” –

 

 

राकेश झुनझुनवाला देश के सबसे बड़े इन्वेस्टर्स में से एक हैं, और उनकी बातों को पूरा देश ध्यान से सुनता है। जिस प्रकार से उन्होने अर्थव्यवस्था के भविष्य पर प्रकाश डाला है, उससे हम इस बात पर निश्चिंत हो सकते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था सुरक्षित हाथों में है।

 

 

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