आर्थिक मोर्चे पर इस समय भारत फ्रंट फुट पर खेलते हुए चीन की जमकर धुलाई कर रहा है। एक ओर जहां चीनी सामान के बहिष्कार का अभियान ज़ोरों पर है, तो वहीं 200 से ज़्यादा चीनी एप प्रतिबंधित कर भारत चीन को करोड़ों का नुकसान दे रहा है। लेकिन लगता है भारत इतने पर नहीं रुकेगा, क्योंकि अब अगला निशाना वित्तीय सहायता देने वाली टेक कंपनियाँ है और अब फिनटेक सरकार के रडार पर है।
लाइवमिंट की रिपोर्ट के अनुसार, “FinTech कंपनियों के डेटा से खिलवाड़ के परिणाम बहुत घातक हैं, क्योंकि इसका अर्थ है देनदार का डेटा किसी दूसरे के हाथ में होना। क्योंकि एप आधारित lender आयकर विभाग, आधार कार्ड का ब्योरा इत्यादि लेते हैं, इसलिए ये डेटा अगर गलत हाथों में चला गया तो बहुत बुरा होगा।” बता दें कि फिनटेक स्टार्टअप ने पिछले कुछ वर्षों में देश में वृद्धि की है और इनमें से कई ऐप यूजर्स को ऑनलाइन उधार भी देते हैं, परन्तु समस्या यह है कि उनमें से अधिकांश चीनी दिग्गजों द्वारा वित्त पोषित हैं। ऐसे में चीनी सेना साइबर युद्ध में लोगों द्वारा साझा किए गए संवेदनशील डेटा का उपयोग कर सकती है या उन्हें एजेंट के रूप में टारगेट कर सकती है।
जिस समय चीन द्वारा तकनीक के जरिये दूसरे देशों की जासूसी की खबरें दिन प्रतिदिन सामने आ रही है, उस समय ये रिपोर्ट काफी मायने रखती है। भारत चीनी कंपनियों को भारतीय यूजर्स के साथ खिलवाड़ न करने देने के लिए प्रतिबद्ध है, और इसीलिए गलवान घाटी पर चीन द्वारा किए गए हमले के बाद से भारत ने आधिकारिक तौर पर 177 से अधिक चीनी एप्स पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया है।
चूंकि, अधिकतर FinTech एप्स चीन द्वारा प्रायोजित होते हैं, इसलिए ये भारतीय होने के बाद भी सरकार के रडार पर आ चुकी है। रिपोर्ट में एक व्यक्ति के अनुसार, “चिंताजनक बात यह है की ऐसे कंपनियों में चीनी लोग डायरेक्टर के रूप में सामने आ रहे हैं, और सरकार इसके पीछे का कारण जानना चाहती है।”
पूरी दुनिया इस बात पर एकमत है कि तकनीकी कंपनियों और एप्स के जरिये जासूसी कर रहे चीन पर लगाम लगाना अति आवश्यक है। इस दिशा में भारत और अमेरिका ने बेहतरीन काम किया है, चाहे टिक टॉक के विरुद्ध वैश्विक अभियान शुरू करना हो, या फिर Huawei का प्रभाव पूरे विश्व में कम करना हो।
इससे पहले भारत ने ई-कॉमर्स में भी चीन की दखलंदाज़ी को देखते हुए अलीबाबा के काले कारनामों की जांच पड़ताल शुरू की थी। न्यूज़18 की रिपोर्ट के अनुसार कम से कम देश के 72 सर्वर्स से भारतीय यूजर्स का डेटा चीन को भेजा जा रहा है जिसका मुख्य केंद्र चीनी कंपनी अलीबाबा के क्लाउड डेटा सर्वर हैं। इंटेलिजेंस सूत्रों की भी माने तो ये चोरी अलीबाबा के क्लाउड बेस्ड सर्वर का ही है। इसका अर्थ स्पष्ट है – अलीबाबा काफी बड़े स्तर पर भारतीय यूज़र्स के डेटा की जासूसी कर रहा है, और इंटेलिजेंस सूत्रों ने स्थिति स्पष्ट होने पर अलीबाबा के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई के संकेत भी दिये हैं।
चीन द्वारा डेटा चोरी की समस्या कोई नई बात है। इसके पीछे तो अमेरिका ने युद्धस्तर पर कार्रवाई करते हुए Huawei को अपने देश से बाहर का रास्ता भी दिखाया, और अन्य देशों को Huawei से नाता तोड़ने के लिए प्रेरित किया। अब ऐसा लगता है कि टिक टॉक और पबजी के प्रतिबंध के पश्चात भारत चीन के विरुद्ध अपने अभियान को एक नए स्तर पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है, जो तब तक चीन पर प्रहार करेगा, जब तक वह या तो घुटने नहीं टेक देता, या फिर मैदान छोड़कर नहीं भाग जाता।