हाल ही में कई वर्षों के बाद सार्क देशों का वर्चुअल सम्मेलन हुआ। इसमें सार्क के सदस्य देशों के विदेश मंत्री शामिल हुए, जिसमें भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का भी आमना सामना हुआ। लेकिन इस सम्मेलन की सबसे खास बात यह थी कि पहली बार किसी सार्क सम्मेलन में पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने कश्मीर का मुद्दा नहीं उठाया।
इस वर्चुअल सम्मेलन में जहां एस जयशंकर ने आतंकवाद पर लगाम लगाने की बात की, तो वहीं पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इस बार आश्चर्यजनक रूप से वुहान वायरस से निपटने हेतु क्षेत्रीय सहयोग पर ज़ोर देने की बात की। आउटलुक की रिपोर्ट के अनुसार, “COVID 19 के विरुद्ध हमारी लड़ाई तभी सफल होगी जब पूरा क्षेत्र [दक्षिण एशिया] इस वायरस पर सफलतापूर्वक लगाम लगाएगा। इसीलिए इस दिशा में सार्क के सदस्य देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों का आयोजन भी होगा”।
इसके अलावा शाह महमूद कुरैशी ने आगे कहा, “हम इस समय कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, चाहे वह महामारी हो, जलवायु परिवर्तन हो या फिर भोजन का अकाल, और ऐसे में सार्क को हर संकट का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। हर समस्या को बातचीत से सुलझाने से ही वैश्विक समस्याओं का समाधान निकलेगा”।
अब आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर सूरज किस दिशा से उगा है? दरअसल, ये बातें शाह महमूद कुरैशी को मजबूरी में बोलनी पड़ी है, वरना जो देश कश्मीर का राग दिन रात अलापता फिरे, वो अचानक से क्षेत्रीय सौहार्द और शांति की बातें भला क्यों करेगा? ऐसा पाकिस्तान इसलिए कर रहा है क्योंकि इस समय उसपर केवल भारत की नहीं, बल्कि सऊदी अरब और रूस की भी नज़र है, और एक भी गलत कदम पाकिस्तान को गर्त में धकेले जाने के लिए काफी है।
अभी कुछ ही हफ्तों पहले पाकिस्तान ने एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी किरकिरी कराई, जब मॉस्को में आयोजित शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइज़ेशन के सदस्य देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मीटिंग में कश्मीर मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित करने हेतु पाकिस्तानी सुरक्षा सलाहकार ने एक विवादित मैप दिखाया, जिसके कारण न केवल भारतीय एनएसए अजीत डोभाल को मीटिंग छोड़ने पर विवश होना पड़ा, अपितु आधिकारिक तौर पर मेजबान रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की फटकार भी पड़ी।
TFI Post ने इस विषय पर एक रिपोर्ट भी प्रकाशित की थी, जहां इस बात पर प्रकाश डाला गया कि कैसे पाकिस्तान के इस कदम से रूस काफी कुपित था। रिपोर्ट के अनुसार, “रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार निकोलेई पेत्रूशेव ने अजीत डोभाल को आश्वासन दिया कि वह भारत के पक्ष का पूरा मान रखते हैं और पाकिस्तान की नापाक हरकत का रूस और भारत के सम्बन्धों पर कोई असर नहीं पड़ने दिया जाएगा”। पत्रकार आदित्य राज कौल के विश्लेषण के अनुसार, “पेत्रूशेव [Nikolei Patrushev] ने अजीत डोभाल को एससीओ सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए विशेष रूप से आभार जताया। रूस किसी भी तरह से पाकिस्तान की हरकतों का समर्थन नहीं करता और वह जानता है कि वह मानचित्र केवल भारत को भड़काने के उद्देश्य से लाया गया था।”
इसके अलावा शाह महमूद कुरैशी सऊदी अरब के रडार पर भी हैं, क्योंकि उन्होंने अपने बड़बोलेपन के कारण सऊदी अरब को पाकिस्तान का शत्रु बना दिया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने तो खुलेआम धमकी देते हुए कहा था कि यदि सऊदी अरब और OIC कश्मीर पर पाकिस्तान की सहायता नहीं कर सकते, तो पाकिस्तान अपना अलग गुट चुनने के लिए स्वतंत्र है, जिससे नाराज़ होकर सऊदी अरब ने तत्काल प्रभाव से क़र्ज़े के बदले तेल देने की स्कीम पर रोक लगा दी। स्वयं पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय को घेरते हुए कहा था कि, यदि आज पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच के संबंध खराब हैं, तो इसके पीछे केवल एक ही कारण है – पाकिस्तान की घटिया विदेश नीति, जो अधिकतर कश्मीर पे ही केन्द्रित है।
इसके अलावा पाकिस्तान पर एफ़एटीएफ़ की नंगी तलवार भी लटक रहा है, जो उसके आतंकी गतिविधियों को लेकर उसे कभी भी ब्लैकलिस्ट कर सकता है। ऐसे में शाह महमूद कुरैशी न चाहते हुए भी कश्मीर के मुद्दे पर मौन है, क्योंकि इस समय एक गलत कदम और पूरा पाकिस्तान खत्म।