इस समय चीन पर एक कहावत बहुत सटीक बैठती है – चौबे जी चले छब्बे जी बनने, दूबे जी बनके लौटे, अर्थात जिस उद्देश्य से काम किया वो तो हुआ नहीं, उल्टे बेइज्जती और हो गई। हम सभी इस बात से ज्ञात हैं कि किस प्रकार से मई माह से चीन निरंतर भारत पर आक्रमण करने पर लगा हुआ है। लेकिन एक और भी कारण है, जिसके कारण चीन भारत को नीचा दिखाने के लिए पिछले कई महीनों से निरंतर आक्रमण कर रहा है। हिंदुस्तान टाइम्स के लिए एक लेख में लेखक शिशिर गुप्ता ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे गलवान घाटी में हमला चीन की उस नीति का हिस्सा था, जिसके अंतर्गत अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव सम्पन्न होने तक ऐसे हमले हर देश पर जारी रहेंगे। लेकिन एक सनसनीखेज़ खुलासा करते हुए उन्होने आगे लिखा, “जो बात बहुत लोग नहीं जानते, वो ये है कि लद्दाख में ये सभी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी(CCP) के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में किए जाने वाले कार्यक्रमों का हिस्सा है, जिससे चीन को एक आदर्श राष्ट्र के तौर पर प्रदर्शित किया जा सके।’’(CCP)
यानि चीन ने लद्दाख में मई माह के पश्चात जो भी किया, वो सब एक योजना का हिस्सा था। परंतु इन आक्रमणों का चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के 100वीं वर्षगांठ से क्या संबंध? दरअसल, CCP की स्थापना 1921 में हुई थी, और एक लंबे गृह युद्ध के पश्चात 1949 में उन्होंने कुओमिन्तांग की राष्ट्रवादी सरकार को अपदस्थ कर कम्युनिस्ट शासन स्थापित किया था। अब इस पार्टी को 100 वर्ष पूरे होने वाले हैं, और चीन पर अभी कम्युनिस्ट पार्टी का शासन विद्यमान है।
ऐसे में शिशिर गुप्ता का अनुमान पूरी तरह गलत भी नहीं है कि चीन ने गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो लेक के दक्षिणी छोर पर हमला केवल CCP के 100 वर्ष पूरे होने के जश्न के तौर पर किया था। वैसे भी चीन गलवान घाटी पर हमले के लिए पिछले 3 वर्षों से तैयारी कर रहा था, क्योंकि डोकलाम पठार पर जिस प्रकार भारतीय सेना ने बिना एक गोली चलाये उसे दिन में तारे दिखाये थे, वो चीन बिलकुल नहीं भूला था।
लेकिन भारत ने भी गज़ब खेल खेला। जिस प्रकार से भारतीय सैनिकों ने गलवान घाटी के हमले के पश्चात चीनी खेमे में तांडव मचाया, उसका ऐसा असर पड़ा कि चीन अभी तक अपने मृत सैनिकों की वास्तविक संख्या बताने से मना कर रहा है। सीसीपी के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में होने वाले जश्न में जिस तरह भारत ने खलल डाला है, वो अपने आप में एक अनोखा उदाहरण है।
लेकिन भारत की वर्तमान गतिविधियों को देखकर लग रहा है कि वे अपनी अलग ही पार्टी मना रहे हैं। जब चीन ने 29 अगस्त की रात को पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी छोर पर हमला किया, तो भारतीयों ने न केवल मुंहतोड़ जवाब दिया, अपितु एलएसी पार करते हुए रेकिन घाटी के काला टॉप फीचर को चीन के कब्जे से मुक्त भी कराया।
लगता है पाकिस्तान की भांति चीन भी अपनी गलतियों से कुछ भी सीखने को तैयार नहीं है। तभी उसने 1967 और 2017 में भारत के हाथों कूटे जाने के बावजूद वुहान वायरस की महामारी की आड़ में भारत पर आक्रमण करने की हिमाकत की, ताकि CCP के 2021 में 100 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया जा सके, लेकिन भारत ने चीन के इरादों पर ऐसा ज़बरदस्त पानी फेरा कि चीन पूरी दुनिया में विलाप करता फिर रहा है।