चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स से ज़्यादा भारत विरोधी तो दुनिया में शायद ही कोई अखबार होगा। भारत को नीचा दिखाने का एक भी अवसर अपने हाथ से न जाने देने वाला ग्लोबल टाइम्स पिछले कई महीनों से मोदी सरकार के विरुद्ध जहर उगलता आया है। लेकिन इस बार अपनी सभी सीमाएं लांघते हुए ग्लोबल टाइम्स ने भारत की काँग्रेस पार्टी को यह सुझाव देना शुरू कर दिया है कि उसे भाजपा सरकार के प्रति कौन सी नीति अपनानी चाहिए और कौन सी नहीं।
काँग्रेस पार्टी का महिमामंडन करने की जुगत में ग्लोबल टाइम्स ने मोदी सरकार को याद दिलाने का प्रयास किया है कि काँग्रेस पार्टी सरकारें बदलवाने में बहुत माहिर है। ट्वीट के साथ अटैच किए गए आर्टिकल में सीसीपी के मुखपत्र ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि, कैसे भारत चीन से भिड़ने योग्य है ही नहीं। चूंकि इस समय महामारी चल रही है और भारत की अर्थव्यवस्था ‘रसातल‘ में है इसलिए उसकी स्थिति कमजोर है।
ग्लोबल टाइम्स ने भारतीय जीडीपी में आई अप्रत्याशित गिरावट को लेकर भी भारत पर तंज़ कसा। इस लेख से आप स्पष्ट समझ सकते हैं कि, ग्लोबल टाइम्स भारत को नीचा दिखाने के लिए कितनी आतुर है:
PM Narendra Modi and the BJP face huge pressure amid border tensions with China, as the Indian National Congress is waiting for a chance to shake the BJP's rule by heavily criticizing failed domestic governance and risky foreign policy: expert https://t.co/DtCTezWj3p pic.twitter.com/XTXfHHvaSa
— Global Times (@globaltimesnews) September 5, 2020
इसी रिपोर्ट में एक चीनी विशेषज्ञ हू झियोंग के द्वारा बताया गया, “भारतीय जनता पार्टी और उसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस समय घरेलू स्तर पर चीनी सरकार से ज़्यादा दबाव का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि विपक्ष, विशेषकर भारतीय नेशनल काँग्रेस, इस पल का बहुत समय से इंतज़ार कर रही थी, जब वे मोदी सरकार की आलोचना कर पाये और उसके घटिया घरेलू शासन और निकृष्ट विदेशी नीति को आड़े हाथों भी ले।”
अब हू झियोंग कितने बड़े विशेषज्ञ हैं ये तो भगवान ही जाने, लेकिन चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का ये मानना कि काँग्रेस भाजपा को उखाड़कर सत्ता से बाहर सकती है, अपने आप में काफी हास्यास्पद ख्याल है। इससे स्पष्ट पता चलता है कि, चीन को भारत की घरेलू राजनीति के बारे में कोई ज्ञान नहीं है। जो पार्टी अपने लिए एक स्थायी अध्यक्ष नहीं चुन पा रही है, उसका भाजपा को हराने के बारे में सोचना ही काफी हास्यास्पद होगा।
बता दें कि, काँग्रेस पार्टी और सीसीपी के बीच में एक गुप्त और संदेहास्पद समझौता 2007 में हुआ था, जिसके अंतर्गत दोनों पार्टी एक दूसरे को हर प्रकार की सहायता देते हैं। अब ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि, शायद इसी समझौते का सम्मान करते हुए सीसीपी काँग्रेस की पैरवी कर रही है, ताकि वह भारत को नीचा दिखा सके। ये और बात है कि यहाँ भी उन्हें मुंह की खानी पड़ेगी।