“China deals के बारे में बताओ”, चाइना का प्यारा विक्टोरिया का गवर्नर अब मॉरिसन सरकार की चक्की में पीसने वाला है

ऑस्ट्रेलिया को चाइना-फ्री करने की मुहिम तेज

ऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच लंबे वक्त से रिश्तों में आई खटास के बीच ऑस्ट्रेलियाई राज्य विक्टोरिया के गवर्नर डेनियल एंड्रयू का बार-बार चीन के प्रति प्रेम छलक आता है। ऐसे में संघीय शासन प्रणाली को देखते अब ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने विदेशी निवेश को लेकर एक नए कानून का ड्राफ्ट तैयार किया है जिससे अब विक्टोरिया के गवर्नर की मुसीबतें बढ़ेंगी और केंद्र सरकार डेनियल समेत ऐसी स्थिति में किसी भी राज्य सरकार के खिलाफ कार्रवाई भी कर सकेगी।

चीन अपने बहुआयामी प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत ऑस्ट्रेलिया में काम करना चाहता था लेकिन संघीय सरकार ने इस प्रस्ताव को रिश्तों की कड़वाहट के चलते खारिज कर दिया है। देश के किसी भी राज्य के गवर्नर ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किए। लेकिन पूरे देश के विचार से अलग बगावत के सुर छेड़ते हुए विक्टोरिया राज्य के गवर्नर डेनियल एंड्रयू ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ डार्विन पोर्ट पर प्रोजेक्ट को लगाने के लिए इस करार पर हस्ताक्षर किए जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन का माथा ठनका हुआ था।

आस्ट्रेलिया में राज्यों के पास ये अधिकार है कि वे किसी भी देश के साथ करार कर सकते हैं। इसी कानून का फायदा उठाकर विक्टोरियाई गवर्नर डेनियल एंड्रयू ने चीन के BRI प्रोजेक्ट को अपनाया। जबकि उनकी ही लेबर पार्टी इस मुद्दे पर उनके खिलाफ हैं जो ये दिखाता है कि चीन ने किस तरह से यहां अपना प्रभाव जमाया है। वहीं विपक्षी पार्टियों ने तो उनके खिलाफ हमला बोल ही रखा है। गौरतलब है कि अमेरिका भी इस डील से खफा है। विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने इसको लेकर कहा था कि ऑस्ट्रेलिया में चीन के इस प्रोजेक्ट से अमेरिका की टेलीकॉम सेक्टर को दिक्कतें हुईं तो वो ऑस्ट्रेलिया से संपर्क काटने में संकोच नहीं करेंगे।

ऑस्ट्रेलियाई केंद्र सरकार डेनियल एंड्रयू के इस इस रवैए से बेहद खफा है। इसलिए अब स्कॉट मॉरिसन की सरकार ने एक नए कानून का ड्राफ्ट तैयार किया है जिसके तहत केंद्र सरकार के रुख के विपरीत जाकर राज्यों द्वारा चीन से किए गए किसी भी करार को रद्द करने के साथ ही राज्य सरकार से उस प्रोजेक्ट को लेकर सवाल भी किए जा सकेंगे। स्कॉट मॉरिसन किसी भी कीमत पर कूटनीतिक रूप से ये नहीं चाहते कि चीन का ऑस्ट्रेलिया के किसी भी क्षेत्र पर कोई प्रभाव हो। इनमें व्यापार, पर्यटन, सांस्कृतिक, विज्ञान स्वास्थ्य शिक्षा और रिसर्च पार्टनरशिप के प्रोजेक्ट भी शामिल होंगे।

इसके लिए सीनेट की विदेश रक्षा मामलों की कमेटी ने सभी मुख्यमंत्रियों और प्रीमियर्स से स्कॉट मॉरिसन द्वारा प्रस्तावित नए विदेशी निवेश के बिल पर जवाब देने को कहा है। ये बिल राज्यों के विरोधी शक्तियों के साथ किए गए करारों को खत्म करने में मददगार होगा। लिबरल सीनेटर अबेट्ज ने उम्मीद जताई थी कि एंड्रयू कमेटी के सामने पेश होकर अपना तर्क रखेंगे। ये देखना बेहद महत्वपूर्ण होगा कि एंड्रयू अपने इस फैसले पर कमेटी के सामने आकर क्या तर्क देते हैं। वहीं इस मामले में स्कॉट मॉरिसन ने साफ शब्दों में ये कहा है कि केंद्र सरकार को ये महत्वपूर्ण अधिकार दिए गए हैं कि वो तय कर सके कि बीआरआई जैसे प्रोजेक्ट्स राष्ट्रहित में हैं या नहीं। बनने वाला ये नया कानून केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को तलब करने का अधिकार भी देगा‌।

डेनियल ने दावा किया था कि वो इस प्रोजेक्ट को रद्द कर देंगे लेकिन वो अपनी बात से मुकर गए जबकि उनकी अपनी ही पार्टी इस मुद्दे पर उनके खिलाफ खड़ी है। केन्द्र सरकार से लेकर हर मोर्चे पर सवालों के घेरे में होने के बावजूद चीन से इस प्रोजेक्ट को रद्द न करना उनके चीन के प्रति प्रेम को दर्शाता है। केंद्र सरकार द्वारा तैयार ड्राफ्ट पारित होने के बाद विक्टोरिया के यही गवर्नर डेनियल एंड्रयू केंद्र सरकार के पहले निशाने पर होंगे। उनसे इस प्रोजेक्ट को लेकर केंद्रीय कमेटी द्वारा कठघरे में खड़ा करके सवाल पूछे जाएंगे। इस पूरे मामले से आस्ट्रेलियाई केंद्र सरकार जहां विरोधी डेनियल को सबक सिखाएगी जो कि अन्य राज्यों के लिए नजीर होगा। वही चीन के इस बहुआयामी प्रोजेक्ट को रद्द करके उसे आर्थिक मोर्चे पर एक और बड़ी शिकस्त भी देगी।

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