हर पाप में चीन का साथी- दुनिया को अब उनके आस पास मौजूद “पाकिस्तान” नाम के खतरे को पहचानना होगा

दुनिया का ध्यान चीन पर है- पाकिस्तान इसका फायदा उठा रहा है

पाकिस्तान

पूरी दुनिया ये अच्छे से समझ चुकी है कि कम्युनिस्ट शासित चीन सबसे बड़ा खतरा है ,जो कभी-भी किसी देश को आंख दिखा सकता है, उनके जमीन पर अतिक्रमण कर सकता है, जासूसी कर सकता है। लेकिन चीन का साथी पाकिस्तान भी ऐसा ही है। देश में मानवाधिकार हनन से लेकर पूरे विश्व में आतंक फैलाने, जासूसी और चोरी तक में पाकिस्तान बिल्कुल अपने आका चीन की तरह ही है। इसलिए दुनिया को ये समझना होगा कि जिस तरह चीन बड़ा खतरा है वैसे ही उसका सहयोगी पाकिस्तान भी एक चुनौती है।

अमेरिका में गैरकानूनी काम

दरअसल, पाकिस्तान अपनी चोरी और जासूसी के लिए कुख्यात है। ताजा मामला एक पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी शख्स की गिरफ्तारी से जुड़ा है जो अमेरिका से पाकिस्तान के परमाणु ऊर्जा आयोग को उच्च स्तरीय परफॉर्मेंस वाले उपकरण और सॉफ्टवेयर्स का गैरकानूनी रूप से निर्यात कर रहा था। इस शख्स का नाम अब्दुल्ला सैय्यद बताया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस पर लगे आरोप साबित हो गए तो इसे तकरीबन 20 वर्षों की सजा हो सकती है।

पाकिस्तान का यही रवैया

पाकिस्तान के वैज्ञानिकों की पुरानी आदत है कि वो जरूरी वस्तुओं की चोरी कर लेते हैं और उन्हें बेचते भी हैं। पाकिस्तानी परमाणु ऊर्जा के पिता कहे जाने वाले वैज्ञानिक अब्दुल्ल कादिर खान ने 2004 में कबूल किया था कि उन्होंने सप्लाई चेन के तहत 1989 से 1997 के बीच ईरान, लीबिया और उत्तर कोरिया को परमाणु हथियार भेजे थे। जिसके बाद ये साबित हुआ था कि ये देश पूरी दुनिया के लिए एक खतरा है जो परमाणु हथियारों तक की तस्करी में जुटा हुआ है।

एक और खतरा

पाकिस्तान चीन के छोटे भाई की तरह ही है। पाकिस्तान की हरकते बतातीं हैं कि वो सारा प्रशिक्षण चीन से ही ले रहा है। अभी तक चीन की जासूसी वाली हरकतों पर अमेरिका की सख्त नजर रहती थी लेकिन इस चोरी करने वाले पाकिस्तानी शख्स का राज खुलने के बाद पाकिस्तान अमेरिका समेत पूरे विश्व के लिए एक खतरा बन गया है और वो इसके लिए अलग-अलग देशों में रह रहे पाकिस्तानी मूल के कट्टरपंथी नागरिकों का इस्तेमाल कर रहा है।

चीन अपने साथियों को अपने जैसा ही बना लेता है, जैसे चीन में तिब्बत के बौद्ध, उईगर मुस्लिमों, सिक्खों और ईसाईयों को प्रताड़ित किया जाता है कुछ वैसी ही आदते पाकिस्तान की भी हैं। यहां से आए दिन बलूचिस्तान में मानवाधिकार की धज्जियां उड़ाने के साथ ही देश में हिंदू और सिक्ख महिलाओं के साथ बलात्कार और जबरन धर्म परिवर्तन की खबरें सामने आती रहतीं हैं। चीन और पाकिस्तान एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। बस फर्क सिर्फ इतना ही है कि चीन कम्युनिस्ट है और पाकिस्तान इस्लामिक देश। तभी इन दोनों के अंतराष्ट्रीय अपराध भी लगभग एक जैसे ही होते हैं।

जैसे चीनी लोगों का रवैया दुनिया भर में कुख्यात है ठीक उसी तरह पाकिस्तानियों का भी है। इस महीने की ही शुरूआत में ही ग्रीस में 30 पाकिस्तानी प्रवासियों को हिरासत में लिया गया था जिन्हें पाकिस्तानी दूतावास के हस्तक्षेप के बाद छोड़ा गया। ब्रिटेन से भी पाकिस्तानियों की गुंडागर्दी की खबरें आती रहती हैं। भारत में तो पाकिस्तान का आतंक किसी से छिपा ही नहीं है।

केवल पाकिस्तान ही नहीं तुर्की के हाल भी कुछ ऐसे ही है जिसने चीन से बड़ी मात्रा में कर्ज और निवेश पाया है और अब वो चीन के ही नक्शे-कदम पर आगे बढते हुए अपनी लोकतांत्रिक जड़ो को कुचलकर कट्टरपंथ की ओर जा चुका है। तुर्की से भी मानवाधिकारों के हनन की खबरें इस बात का संकेत भी देती हैं। हाजिया सोफिया संग्रहालय का मस्जिद में परिवर्तित होना इसका उदाहरण है। वहां की अदालतों तक पर सरकार का नियंत्रण है।

ऐसे में पाकिस्तान का ये रवैया विश्व के लिए एक खतरे की घंटी है कि चीन तो वैश्विक खतरा है ही, लेकिन उसके छुटभैय्ए साथी देश भी दुनिया के लिए उतने ही खतरनाक है। इसलिए चीन पर सभी को ध्यान तो केंद्रित करना चाहिए लेकिन चीन के इन पार्टनर्स की हरकतों पर भी कड़ी नजर रखनी होगी।

 

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