पिछले कुछ दिनों में बॉर्डर पर चीन को भारतीय सेना द्वारा उसकी औकात बताए जाए के बाद चीन को भारत से दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की शीर्ष-स्तरीय बैठक के लिए भीख मांगनी पड़ी। ऐसा क्यों किया गया यह अभी तक ज्ञात नहीं है, लेकिन चीनी रक्षा मंत्री ने पिछले 80 दिनों में 3 बार भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिलने का अनुरोध किया था।
चीन द्वारा कई बार मीटिंग के लिए कहने पर मॉस्को में SCO की बैठक से इतर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कल अपने चीनी समकक्ष वी फेंग से मुलाकात की, और कहा जाता है कि यह बैठक दो घंटे से अधिक समय तक चली।
बैठक में जो तस्वीरें सामने आईं, वे यह बताने के लिए पर्याप्त थीं कि पूर्वी लद्दाख में उसके दुस्साहस के लिए राजनाथ सिंह चीन रक्षा मंत्री पर जम कर बरसे। परंतु बैठक के बाद चीन एक बार फिर से अपने उसी रूप में आ गया और पैन्गोंग झील पर हुई घटना के लिए भारतीय सेना को कसूरवार ठहराया। चीन की ओर से किसी हारे हुए निराशावादी की तरह से दिये गए बयान से ऐसा लग रहा है कि चीन की दादागिरी न चलने पर अब भारत को जिम्मेदार ठहरा कर सहानुभूति बटोरना चाहता है।
अब चीन का इस तरह बौखलाना लाज़मी है। चीन की इस बौखलाहट से कई बाते स्पष्ट होती है। पहला यह कि इस बार बैठक से पहले चीन भारत के ऊपर किसी प्रकार का दबाव नहीं बना पाया। इस बार चीन स्वयं दबाव में था जिसके बाद उसे इस बैठक के लिए हाथ पैर जोड़ने पड़े। दूसरा यह कि हर बार की तरह बैठक में इस बार चीन के मजबूत स्थिति में न होने से बैठक में चीन का एक भी एजेंडा सफल नहीं रहा। और तीसरा यह कि चीन इस बैठक में एक हारे हुए देश की भांति दिखाई दिया परंतु इसके बाद भी चीन को किसी भी देश कोई सहानुभूति नहीं मिलने वाली है।
आर्थिक, कूटनीतिक और अब सीमा पर मात खाने के बाद चीन को यह पता है कि वह किसी भी हालत में भारत पर दबाव नहीं बना सकता। भारत ने उल्टे चीन को ही घेर लिया है और लगातार एक बाद एक झटके दे रहा है। चाहे वो चीनी सामानों का बहिष्कार हो या चीनी ऐप्स को बैन करना हो। उसे मजबूर हो कर मीटिंग के लिए भीख मंगनी पड़ी ताकी वो खुल कर अपनी बौखलाहट दर्ज करा सके। अगर चीन जैसा दादागिरी दिखाने वाला और अन्य देशों पर दबाव बनाने वाले देश को भारत से मंत्री स्तर की बैठक के लिए पिछले 80 दिनों में 3 बार अनुरोध करना पड़ रहा है तो यह भारत की मजबूत स्थिति को ही दर्शाता है। परंपरागत रूप से, चीन भारत और किसी भी अन्य प्रतिद्वंदी देश के साथ उच्च-स्तरीय वार्ता के लिए बैठने से पहले तनाव पैदा करता है, ताकि बातचीत की मेज पर खुद के लिए अनुचित लाभ प्राप्त कर सके। परंतु इस बार चीन के लिए सभी कुछ उल्टा था। Special Frontier Force के एक्शन के बाद Pangong Tso क्षेत्र में भारत द्वारा ऊंचाई हासिल कर बेहद मजबूत स्थिति में आ जाने के बाद चीन हतोत्साहित हो चुका था। यही कारण है कि वह बार-बार मीटिंग बुलाने की मांग कर रहा था जिसमें वह भारतीय सेना से पीछे हटने की मांग कर सके।
The chinese defence minister had requested for the meet with the Indian defence minister 3 times in last 80 day, something that was mentioned by the minister to Indian defence minister: Sources https://t.co/w3KH6oNIVm
— Sidhant Sibal (@sidhant) September 5, 2020
बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने चीनी रक्षा मंत्री द्वारा रखे गए किसी भी शर्त को मंजूरी नहीं दी अब इस कारण ये हुआ कि चीन और बैकफुट पर चला गया क्योंकि उसे इस बैठक से कुछ भी हासिल नहीं हुआ। मीटिंग का परिणाम उम्मीद के मुताबिक आया और यह बैठक बिना किसी निर्णय के समाप्त हुआ। भारत सरकार हर कीमत पर भारत की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए अपने स्टैंड पर एक इंच पीछे हटने को तैयार नहीं है। परंतु चीनी मीडिया इस बौखलाहट में सारी ज़िम्मेदारी भारतीय सेना और भारत पर डालने की नाकाम कोशिश की। चीनी स्टेट राज्य के मीडिया के अनुसार, चीनी रक्षा मंत्री ने कहा, “चीन-भारत सीमा पर मौजूदा तनाव का कारण स्पष्ट है, और इसका जिम्मेदार भारतीय पक्ष है।”
यह सवाल उठता है, क्या चीनी पक्ष ने भारत को इस तरह की उच्च स्तरीय बैठक के लिए अनुरोध इस तरह के बयान के लिए किया था? तथ्य के रूप में, भारत ने अपने आधिकारिक बयान में भी यह स्पष्ट रूप से स्पष्ट कर दिया है कि यह खुद चीनी रक्षा मंत्री थे जिन्होंने बैठक के लिए कहा था।
Raksha Mantri Rajnath Singh meets Chinese Defence Minister at "latter’s request" on the sidelines of SCO meeting in Moscow. MEA also puts out the read out (Same as Defence Ministry read out) https://t.co/96tZ981elH pic.twitter.com/m7kPN35hwu
— Sidhant Sibal (@sidhant) September 5, 2020
अब चीन को इस मीटिंग से कुछ हासिल तो हुआ नहीं, अन्य देशों की सहानुभूति के लिए वह इस तरह से बर्ताव कर रहा है। परंतु अब उसे वह भी पाकिस्तान के अलावा कहीं से नहीं मिलने वाला है। अमेरिका लगातार चीन पर हमलावर है, रूस उससे मुंह मोड़ रहा है और यूरोप उसके मुंह पर उसकी बेइज्जती कर रहा है। कुल मिला कर चीन की भारत के सामने इतनी बुरी स्थिति कभी नहीं रही ऐसे में चीन से बौखलाहट भरे बयान आना अब सामान्य लग रहा है।