दुनियाभर में फैलते कोरोना के प्रकोप और बढ़ती चीन विरोधी मानसिकता के कारण अब मलेशिया में रह रहे चीनी नागरिकों में खौफ़ का माहौल है। मलेशिया में बड़ी संख्या में चीनी नागरिक रहते हैं क्योंकि मलेशिया की सरकार ने चीनी निवेशकों को अपने यहाँ खींचने के लिए वर्ष 2002 में MM2H योजना यानि Malaysia My Second Home स्कीम लॉंच की थी, जिसके तहत विदेशी नागरिकों को 10 साल के लिए वीज़ा दिया जाता था। इस योजना का लाभ उठाकर उसके बाद से हजारों चीनी नागरिक मलेशिया में रहते आए हैं। लेकिन जिस प्रकार वैश्विक राजनीति में चीन विरोधी मानसिकता उफान पर है और दुनियाभर में कोरोना के केस बढ़ते जा रहे हैं, उसके बाद मलेशिया ने इस स्कीम को अब बंद कर दिया है। इसके कारण मलेशिया में रह रहे चीनी नागरिकों में भय का माहौल है और वे मलेशिया में खरीदी गयी अपनी संपत्ति को कौड़ियों के भाव बेचकर जल्द से जल्द देश से बाहर निकल रहे हैं।
बता दें कि वर्ष 2002 से लेकर वर्ष 2018 तक MM2H के तहत करीब 44 हज़ार विदेशी नागरिकों को वीज़ा प्रदान कर किया गए थे, जिनमें से करीब 30 प्रतिशत लाभार्थी चीन से ही थे। हालांकि, अब सरकार ने इस योजना को ठंडे बस्ते में डालने का जुगाड़ कर लिया है। पिछले वर्ष भी 90 प्रतिशत अर्जियों को मलेशिया की सरकार द्वारा ठुकरा दिया गया था, जिसे अब कोरोना के बाद तो बंद ही कर दिया गया है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जिन चीनी लाभार्थियों को पहले ही मलेशिया के अंदर रहने का वीज़ा मिला हुआ है, वे क्यों चिंतित हैं?
बेहतर ज़िंदगी जीने के लिए अक्सर चीनी लोग चीन से बाहर संपत्ति खरीदना पसंद करते हैं। चीन के अमीर लोग जहां अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और UK जैसे देशों में भारी निवेश कर वहाँ की नागरिकता प्राप्त कर लेते हैं तो वहीं चीन के माध्यम-वर्गीय परिवार मलेशिया के Johor जैसे शहरों को ही प्राथमिकता दे रहे थे। Johor के स्कूलों में भी बड़ी संख्या में चीनी छात्र पढ़ना शुरू कर चुके थे, हालांकि, अब सब बड़ी तेजी से बदल रहा है। सब चीनी छात्र भी वापस चीन जा रहे हैं। Jonor शहर, जो कभी चीन के मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए आकर्षण का केंद्र था, वो अब चीन के नागरिकों से रहित होता जा रहा है। हालांकि, इसका कारण क्या है?
दरअसल, पिछले कुछ महीनों में जिस प्रकार indo-pacific क्षेत्र में घटनाएँ घटित हुई है, उसने इस क्षेत्र में राजनीतिक दबाव को कई गुना बढ़ा दिया है। जापान-चीन और चीन-भारत जैसे बड़े देशों के बीच बढ़ते तनाव और चीन द्वारा ASEAN देशों के खिलाफ दिखाई जा रही आक्रामकता के कारण मलेशिया, इंडोनेशिया और अन्य देशों में चीन विरोधी मानसिकता बढ़ गयी है। ऐसे में चीनी नागरिकों को डर है कि युद्ध की स्थिति में उनकी विदेशों में पड़ी संपत्ति को “शत्रु की संपत्ति” घोषित कर कब्जे में लिया जा सकता है। साथ ही मलेशिया में रह रहे चीनी नागरिकों के बीच सुरक्षा का खतरा भी बढ़ सकता है, क्योंकि CCP के आक्रामक तेवर की वजह से चीन दुनियाभर का विलेन बनकर उभरा है। ऐसे में विदेशों में चीनी नागरिकों का दूभर होने वाला है। यही कारण है कि अब चीनी नागरिक जल्दबाज़ी में कम कीमत पर ही अपनी संपत्ति बेचने पर मजबूर हैं। यह दर्शाता है कि CCP के कारनामों के कारण ये मासूम चीनी नागरिक भी दर-दर की ठोकरे खाने पर मजबूर है।