मुंबई की फिल्म उद्योग, इस समय के रूप में, एक बड़े पैमाने पर ड्रग मामले में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा चल रही जांच की वजह से चर्चा में है। दीपिका पादुकोण, श्रद्धा कपूर, सारा अली खान जैसे सितारों को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, यहां तक कि एनसीबी जल्द ही करण जौहर को भी पूछताछ के लिए बुला सकती है। वास्तव में अब कोई दलील, कोई बयान या अभियान काम नहीं आ रहा है, और लगभग सभी कलाकार, चाहे छोटे हो या बड़े, संदेह के घेरे में है। इसके पीछे काफी हद तक बॉलीवुड के एलीट वर्ग का भी हाथ रहा है, जिन्होंने अपने उद्योग के कुछ लोगों द्वारा बॉलीवुड की ‘सफाई’ की मांग का उपहास उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, और इन्हीं में से एक हैं निर्देशक एवं संगीतकार विशाल भारद्वाज, जिनके अनुसार दोषी बॉलीवुड नहीं, बल्कि देश की जनता है।
ये हम नहीं कह रहे, बल्कि स्वयं विशाल भारद्वाज ने इसी ओर इशारा किया है। एबीपी न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, “विशाल भारद्वाज ने अपने एक इंटरव्यू में बॉलीवुड में चल रहे ड्रग्स के विवाद को लेकर बात की और सभी आरोपों को बकवास बताया है। उनके अनुसार फिल्म इंडस्ट्री के लोग एक-दूसरे की मदद करते हैं, वे खुद एक आउटसाइडर हैं, उसके बाद भी यहां उनका अच्छा अनुभव रहा”।
परंतु जनाब यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा, “मुझे नहीं लगता कि बॉलीवुड में कोई टॉक्सिक कल्चर है। फिल्म यूनिट एक परिवार की तरह है, जिसे बर्बाद करने की कोशिश की जा रही है। हम जानते हैं कि ये सब क्यों हो रहा है, हमें हमारे हाल पर छोड़ दीजिए। आउटसाइडर्स और इनसाइडर्स से कोई मतलब नहीं है, ये सिर्फ अफवाह है। यहां जो इमोशनल सपोर्ट मिलेगा वो कहीं नहीं मिलेगा। जो लोग आज कोस रहे हैं, गालियां दे रहे हैं वहीं टिकट खरीदकर फिल्म देखने के लिए जाएंगे। हमारा शुक्रवार आने दो”।
इसे कहते हैं, रस्सी जल गई पर बल नहीं गया। विशाल भारद्वाज का यह बयान ही इसी बात का परिचायक है कि बॉलीवुड का एलीट वर्ग अभी भी जनता के मन में आए बदलाव से अनजान बने रहना चाहते हैं। इस वर्ग के कलाकारों को लगता है कि अभी जो कुछ भी हो रहा है, वो क्षणिक है, और लोग जल्द ही पुराने ढर्रे पर लौट आएंगे। लेकिन यदि ऐसा होता, तो सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद भी सड़क 2 के ऑनलाइन परफॉर्मेंस पर रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ना चाहिए था, फिर सड़क 2 और उससे जुड़े कलाकारों को जनता के कोपभाजन का शिकार क्यों बनना पड़ा?
यह हास्यास्पद अवश्य है, पर बॉलीवुड की जनता के बारे में वे विशाल भारद्वाज टिप्पणी कर रहे हैं, जिनके ‘रंगून’ और ‘पटाखा’ नामक फिल्मों को जनता ने सिरे से नकार दिया था। विशाल भारद्वाज माने न माने, परंतु बॉलीवुड को देखने वाली जनता का नज़रिया बदल चुका है। अब वह कुछ भी आँख मूंदकर नहीं स्वीकार करेगी। शायद यही सहानुभूति दीपिका पादुकोण जांच में भी चाहती थीं तभी वो इमोशनल कार्ड खेलने लगीं। दरअसल, जब एनसीबी के अफसर दीपिका पादुकोण की पूछताछ कर रहे थे, तो दीपिका बार बार रोने लगी। लेकिन उनके आँसू एनसीबी को तनिक भी डिगा नहीं पाये, और उन्होने हाथ जोड़कर दीपिका से भावनात्मक कार्ड न खेलने की अपील की।
Deepika Padukone asked not to play 'emotional card' after she broke down thrice during NCB interrogation.
Deepika Padukone: pic.twitter.com/W5GIeDJuY3— Saloni Gamre (@gamre_saloni) September 27, 2020
चौंकिए मत, ये कपोल कल्पना नहीं है। आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, “जब एनसीबी दीपिका से सवाल-जवाब कर रही थी, तब दीपिका का तीन बार ब्रेक डाउन हुआ था। वे रोने लगी थीं, जिसे अब ये देख एनसीबी अफसरों ने उन्हें इमोशनल कार्ड ना खेलने की नसीहत दी थी। बाकायदा हाथ जोड़कर एनसीबी अफसरों ने दीपिका पादुकोण को रोने के बजाय सच बताने के लिए कहा। दीपिका को बताया गया कि अगर वे सबकुछ सच बताएंगी, तो ये उनके लिए बेहतर रहेगा। वहीं क्योंकि एनसीबी ने दीपिका पादुकोण का मोबाइल भी जब्त किया है, इसलिए अब एनसीबी की जांच भी उसी दिशा में आगे बढ़ेगी”। वहीं रकुल प्रीत को मीडिया से परेशान होकर कोर्ट के दरवाजे तक पहुँच गयीं। इन घटनाक्रमों के बीच विशाल भरद्वाज ने बयान देकर आम जनता पर ही निशाना साध दिया। शायद अभी तक वो ये समझ नहीं पाए हैं कि भले ही बॉलीवुड न बदले लेकिन देश की जनता बदलाव आ चुका है।
अगर जुलाई से बॉलीवुड का रिपोर्ट कार्ड देखना शुरू करे, तो अब जनता ने वंशवाद या फिर बॉलीवुड के एलीट वर्ग से जुड़े किसी भी फिल्म या OTT प्रोडक्ट को सिरे से नकारना शुरू किया। जहां सड़क 2 के ट्रेलर को लगभग सवा करोड़ डिसलाईक्स मिले, तो वहीं गुंजन सक्सेना को वामपंथी क्रिटिक्स द्वारा भर भर के प्यार लुटाये जाने के बावजूद अति नारिवाद और भारतीय वायुसेना का नकारात्मक चित्रण करने के लिए जनता के कोपभाजन का सामना करना पड़ा। यहाँ तक कि ईशान खट्टर और चंकी पांडे की बेटी अनन्या पांडे अभिनीत ‘खाली पीली’ को भी जनविरोध का सामना करना पड़ा था। ऐसे में विशाल भारद्वाज का यह कहना कि बॉलीवुड की जनता नहीं बदलेगी न केवल हास्यास्पद है, बल्कि उनकी कुंठा को भी जगजाहिर करता है।