यूरोपीय यूनियन और यूनाइटेड किंगडम के बीच UK के Internal Market Bill को लेकर चल रही बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुँच रही। UK यूरोपीय संघ से अलग हो चुका है लेकिन दोनों पक्षों में मुक्त व्यापार जारी रखने के लिए इस बिल पर बातचीत चल रही है। बिल इंग्लैड, स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड पर लागू होगा। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन इस बिल के कारण उत्तरी आयरलैंड में वर्षों पुराने टकराव के फिर जन्म लेने से डर रहे हैं।
एक ओर ब्रिटेन इस बात के लिए चिंतित है कि यह बिल उसकी आंतरिक शांति हेतु खतरा न बने वहीं उसके पारंपरिक सहयोगी अमेरिका में भी बिल को लेकर चर्चा चल रही है। अमेरिका की विपक्षी पार्टी डेमोक्रेट्स की नेता नैंसी पेलोसी ने कहा है कि यदि बिल के कारण नॉर्थ आयरलैंड को लेकर हुए पूर्व समझौतों का उल्लंघन हुआ तो वह अमेरिका और UK के बीच ट्रेड डील नहीं होने देंगी।
नैंसी और उनकी पार्टी किसी भी हाल में यह नहीं चाहते कि UK और USA के बीच चुनावों से पहले ट्रेड डील हो। यदि ऐसा हुआ तो ट्रंप को चुनावों में फायदा होने की संभावना है। यह ट्रेड डील अमेरिका के हित में है किंतु नैंसी को EU और UK के झगड़े ने ट्रंप को हराने के लिए एक मुद्दा दे दिया है और डेमोक्रेट्स इसे किसी भी हाल में भुनाना चाहते हैं।
नार्थ आयरलैंड में लंबे समय तक अलगाववादी आंदोलन चलता रहा है। 1920 के दशक में वहाँ यूनियनिस्टों का एक धड़ा था जो ब्रिटेन के साथ विलय चाहता था, जबकि एक धड़ा Irish राष्ट्रवादियों का था जो आयरलैंड के साथ विलय चाहता था। बाद में 1998 में Good Friday agreement के कारण यह संघर्ष शांत हुआ था। इसके तहत सभी पक्षों द्वारा नॉर्थ आयरलैंड को UK का हिस्सा स्वीकार किया गया था, नॉर्थ आयरलैंड तथा आयरलैंड के बीच सीमापार आवागमन के लिए काफी छूट दी गई थी।
अब ब्रिटेन EU का हिस्सा नहीं है और उसके नियमों से स्वतंत्र है। लेकिन उसका पड़ोसी देश आयरलैंड EU का हिस्सा है। ब्रिटेन के EU से अलग होने के फैसले के बाद भी नार्थ आयरलैंड और आयरलैंड की सीमा पर सामानों का स्वतंत्रता आवागमन हो इसके लिए नार्थ आयरलैंड प्रोटोकॉल बनाया गया है।
वैसे तो UK EU से अलग हो रहा है लेकिन आयरलैंड की सीमा पर वह सामानों के स्वतंत्र आवागमन पर रोक कैसे लगाए इसे लेकर चिंतित है। ऐसा इसलिए क्योंकि Good Friday agreement के तहत आयरलैंड की सीमा पर आवाजाही नहीं रोकी जा सकती। सीमा से जुड़ा यह मुद्दा, भौगोलिक नहीं भावनात्मक भी है और नार्थ आयरलैंड की शांति के लिए आवश्यक माना जाता रहा है।
परंतु ब्रिटेन नहीं चाहता कि नॉर्थ आयरलैंड को मुद्दा बनाकर EU अपने हित साधे। ब्रिटेन अब EU का सदस्य नहीं है और वह अपने देश के आर्थिक क्रियाकलापों के लिए EU के नियम मानने को बाध्य नहीं है। ऐसी स्थिति में ब्रिटेन का किसी मुद्दे को लेकर EU से टकराव हो तो वहाँ ब्रिटिश संसद की बात सर्वोपरि है। इसी बात को सुनिश्चित करने के लिए ब्रिटिश संसद में Internal Market Bill लाया गया है जो आर्थिक मामलों में मंत्रियों को यह शक्ति देता है कि वह अपने विवेक के अनुसार निर्णय ले। सरकार द्वारा घोषित कानून, “ब्रिटेन सरकार को स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड को वित्तीय सहायता प्रदान करने में सक्षम करेगा”। अर्थात यह नार्थ आयरलैंड में भी आर्थिक मुद्दों के निर्धारण की शक्ति ब्रिटेन को देता है।
EU ने इसे मुद्दा बना लिया है और Internal Market Bill को Good Friday agreement का उल्लंघन बताया है। जबकि प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन का कहना है कि वह केवल अपने देश की संप्रभुता की रक्षा कर रहे हैं, साथ ही वह Good Friday agreement के प्रति भी प्रतिबद्ध हैं। लेकिन वह EU को Good Friday agreement और North Ireland protocol की अपने अनुसार परिभाषा गढ़ने की अनुमति नहीं देंगे।
ब्रिटेन का पक्ष यह है कि यदि नॉर्थ आयरलैंड और आयरलैंड की सीमा पर बाहर से आने वाले सामानों का स्वतंत्र आगमन होता रहा तो उसे नॉर्थ आयरलैंड के आगे ग्रेट ब्रिटेन की सीमा पर चेकपॉइंट पर जाँच के लिए रोका जाएगा। यह नॉर्थ आयरलैंड और ब्रिटन के बीच एक आर्थिक सीमा बनाने जैसा होगा। बॉरिस जानसन अपने देश के भीतर ही नई सीमा नहीं बनने दे सकता।
किंतु अमेरिका के डेमोक्रेट्स अपने सहयोगी ब्रिटेन के बजाए EU के हितों की रक्षा कर रहे हैं। वो भी तब जब फ्रांस के अतिरिक्त केवल ब्रिटेन ही ऐसी बड़ी यूरोपीय शक्ति है जो खुलकर अमेरिका के साथ है। भू-राजनैतिक समीकरणों से इतर भी बात करें तो नॉर्थ आयरलैंड को लेकर लाया गया Internal Market Bill ब्रिटेन का आंतरिक मसला है। उसका UK और अमेरिका की ट्रेड डील से कोई लेना देना नहीं है। ऐसे में ब्रिटेन के आंतरिक मामलों के कारण अमेरिका की ट्रेड डील रोकना कोई समझदारी नहीं है।
दूसरी ओर, Internal Market Bill यूरोपीय संघ के लिए एक बड़ा झटका होगा, जो पहले से ही यूके के खिलाफ free trade deal की दौड़ में हार रहा है। यूके ने पहले ही जापान के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर चुका है और अब वह भारत और अमेरिका के साथ व्यापार सौदों पर हस्ताक्षर करना चाहता है।
अमेरिकन रिपब्लिकन US-UK Free Trade Agreement को लेकर सक्रिय हो गये हैं. गुड फ्राइडे समझौते के लिए पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को श्रेय देने वाले डेमोक्रेट्स, खासकर नैन्सी पेलोसी इसके खिलाफ उतर गये हैं। US-UK ट्रेड डील ट्रंप को चुनाव न जीता दे, इसके लिए डेमोक्रेट्स अमेरिका के हितों की बलि चढ़ा रहे हैं। US-UK trade deal का विरोध करने वालों का Nancy Pelosi नेतृत्व कर रही हैं।