कल यानि 22 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग आमने-सामने आ गए। दोनों ने अपने-अपने भाषणों के माध्यम से जमकर एक दूसरे पर शब्दों के बाण चलाये जिसमें ट्रम्प ने चीन पर दुनिया में कोरोना महामारी फैलाने का आरोप लगाया। ट्रम्प ने चीन को कटघरे में खड़ा करने के लिए घुमावदार भाषा की बजाय अपने स्टाइल में कड़े शब्दों का प्रयोग किया। दुनिया के दो सबसे ताकतवर राजनेताओं के बीच की यह लड़ाई बेहद दिलचस्प रही जिसमें ट्रम्प, शी जिनपिंग पर भारी पड़ते दिखाई दिये।
भाषण में राष्ट्रपति ट्रम्प की भाषा बेहद आक्रामक और कड़े शब्दों से भरी थी, तो वहीं शी जिनपिंग की भाषा निराशावादी रही। जिनपिंग का यह बयान ऐसे समय में आया जब वे पूरी दुनिया के विलेन के तौर पर बदनाम हो चुके हैं। अपने देश में मानवाधिकारों के उल्लंघन से लेकर कोरोना के जरिये पूरी दुनिया के लोगों की आज़ादी छीनने के आरोपों के बीच उनका यह भाषण शायद ही जमीनी स्तर पर कोई बदलाव ला सके। अमेरिकी राष्ट्रपति ने जहां खुलकर चीन की पोल खोलने का काम किया तो वहीं चीनी राष्ट्रपति खुद सभी मूल्यों का गला घोटने के बाद दुनिया को अच्छाई का पाठ पढ़ाते दिखाई दिये।
ट्रम्प ने अपने बयान की शुरुआत में ही चीन पर धावा बोल डाला। ट्रम्प ने कहा “हमने अदृश्य दुश्मन, चीनी वायरस के खिलाफ एक जबरदस्त लड़ाई छेड़ दी है, जिसने 188 देशों में अनगिनत जिंदगियों को खत्म कर दिया है। कोरोना को दुनिया में फैलाने के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। चीन ने घरेलू उड़ाने बंद कर दीं, जबकि अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों चलने दीं ताकि कोरोना दुनिया को संक्रमित कर सके। मैंने ट्रैवल बैन लगाया तो उन्होंने मेरी निंदा की पर उन्होंने अपने लोगों को घरों में कैद कर दिया”।
ट्रम्प यही नहीं रुके, उन्होंने आगे WHO और UN पर हमला बोलते हुए कहा “चीनी सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन, जो चीन द्वारा नियंत्रित है, दोनों ने झूठी घोषणा कि ये इंसानों से इंसानों में नहीं फैलता। उन्होंने झूठ कहा कि बिना लक्षणों वाले लोग कोरोना नहीं फैलाते। UN को चीन की हरकतों के लिए उसे जवाबदेह ठहराना चाहिए”। ट्रम्प ने चीन को वायरस के लिए ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों की जलसीमा में बेहद ज़्यादा fishing करने, प्लास्टिक कूड़े को समुद्र में फेंकने और कार्बन एमिशन के लिए भी कटघरे में खड़ा किया।
ट्रम्प के इन करारे हमलों के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दुनिया को मीठी बातें सुनाकर भ्रमित करने और अपनी साख सुधारने की कोशिश की। उन्होंने कहा “कोविड-19 हमें याद दिलाता है कि आर्थिक ग्लोबलाइजेशन एक निर्विवाद वास्तविकता और ऐतिहासिक प्रवृत्ति है। शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर घुसाना या बदलाव के पुराने तरीके इतिहास की प्रवृत्ति के खिलाफ जाते हैं। हमें साफ पता होना चाहिए कि दुनिया कभी भी अलगाव में नहीं लौटेगी और कोई भी देशों के बीच संबंधों को नहीं बदल सकता है”।
जिनपिंग ने आगे कहा “हमारा देश बंद दरवाजों के पीछे अपना विकास नहीं करेगा। बल्कि हम वक्त के साथ घरेलू प्रसार को सबसे ऊपर और फिर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय प्रसार को एक दूसरे को मजबूत बनाने का विकास प्रतिमान बनाना चाहते हैं, इससे चीन के आर्थिक विकास को भी जगह मिलेगी और इससे वैश्वविक अर्थव्यवस्था और विकास भी सुधर पाएगा”। जिनपिंग ने भारत और अमेरिका के साथ जारी विवाद पर अप्रत्यक्ष तौर पर टिप्पणी करते हुए कहा “ना हमें दुनिया के साथ cold war करने में रूचि है और ना ही hot war करने में”। रोचक बात यह थी कि जिस वक्त चीनी राष्ट्रपति UN में अपना भाषण दे रहे थे, उस वक्त लोग कमेन्ट सेक्शन में चीनी राष्ट्रपति के खिलाफ जमकर भड़ास निकाल रहे थे।
हालांकि, लोगों के इन कमेंट्स से ज़ाहिर है कि उनकी चिकनी चुपड़ी बातों का लोगों पर कोई असर नहीं हो रहा था। चीन ने दुनियाभर की बड़ी ताकतों से जिस प्रकार पंगा ले लिया है और कोरोना फैलाकर जिस प्रकार करोड़ों लोगों को अपना दुश्मन बना लिया है, उसे अब शायद कभी सही नहीं किया जा सकता।