नवंबर में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव से पहले एक सर्वे में एशियाई अमेरिकियों को लेकर ये दावा किया गया है कि लगभग 54 प्रतिशत एशियाई अमेरीकी जो बिडेन को अपना समर्थन दे रहे हैं। जबकि इस सर्वे के अनुसार उनके प्रतिद्वंदी और राष्ट्रपति ट्रंप के समर्थन में ने 30 फीसदी लोग ही हैं। गौर करें तो अमेरिका में एशियाई अमेरिकियों की बढ़ती जनसंख्या को चुनाव में नजरंदाज किया जा रहा है और जो बिडेन भी इस तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं। लेकिन उस वोट बैंक को डॉनल्ड ट्रंप ने पहले ही साध लिया है क्योंकि वो जानते हैं कि नजरंदाज किए जा रहे ये लोग कांटे की टक्कर वाले चुनाव के परिणाम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
महत्वपूर्ण हैं एशियाई अमेरिकन
अमेरिका में पिछले कुछ सालों में जिस तरह से एशियाई अमेरिकियों की जनसंख्या बढ़ी है वो बताती है कि देश के चुनावों में इनकी भूमिका नतीजों के दौरान अहम हो सकती है। ये एशियाई अमेरिकी रईस भी माने जाते हैं। विकीपीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका की कुल आबादी का लगभग 6.5 प्रतिशत हिस्सा यानी 20,916,028 एशियाई अमेरिकी हैं। इनमें से अगर कुल 4 प्रतिशत मुस्लिमों को और चाइनीज अमेरिकन्स को अलग भी किया जाए तो एक बड़ी जनसंख्या ऐसी है जो अमेरिकी चुनाव की दशा और दिशा तय कर सकती है। पिछले चुनावों में भी रिपब्लिकन के विरोध में मत दिया था जिनकी संख्या करीब 4.9 मिलियन थी। इसके अलावा भारतीय अमेरिकियों समेत एक बड़े समूह ने ट्रंप पर भरोसा जताया था।
ये एशियाई अमेरिकी कैलिफोर्निया, न्यूजर्सी, टेक्सास, कोलोरेडो, फ्लोरिडा वर्जीनिया समेत पेंसिल्वेनिया में बड़ी तादाद हैं। ऐसे में इन्हें नजरंदाज करना किसी भी चुनावी उम्मीदवार को भारी पड़ सकता है। चुनावों में भारतीय अमेरिकियों की बात तो हो रही है लेकिन एशियाई अमेरिकियों को तवज्जो नहीं मिल रही है।
ट्रंप का चुनावी शतरंज
हलांकि अमेरिकी राष्ट्रपति अच्छी तरह से जानते थे कि भविष्य में चुनाव के दौरान उन्हें भारतीय अमेरिकियों के वोटों की सख्त जरूरत होगी। इसलिए उन्होंने अपनी चुनावी नीति के तहत कश्मीर मुद्दे पर लगातार मुखरता दिखाई और पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया। भारतीय प्रधानमंत्री के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना हो या भारत-चीन विवाद के बीच चीन को लताड़ना, ये सब ट्रंप की चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
ट्रंप न केवल भारतीय अमेरिकियों को अपने पाले में रखने की कोशिश कर रहे हैं बल्कि एशियाई अमेरिकियों को भी वो अपनी तरफ करने में जुटे हुए हैं। इसके पीछे उनकी चीनी रणनीति काम कर रही है। ये एशियाई अमेरिकी ताईवान, चेक रिपब्लिक, नेपाल भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार इंडोनेशिया, और जापान से जुड़े हुए होते हैं जो कि चीन के पूर्ण विरोधी माने जाते हैं। ऐसे में इन्हें लुभाने में चीन को आड़े हाथों लेना जरूरी हो जाता है और डॉनल्ड ट्रंप इस नीति पर जमकर काम कर रहे हैं। ट्रंप का चीन के प्रति विरोध एशियाई अमेरिकियों को और लुभा सकता है और चुनाव के करीबी मुकाबले में उन्हें फायदा पहुंचा सकता है जिसके लिए वो लगातार मशक्कत भी कर रहे हैं।
भले ही अमेरिकी मीडिया में चल रहा ये सर्वे जो बिडेन को अधिक समर्थन दिखा रहा है लेकिन महत्वपूर्ण बात ये भी है कि ये एशियाई अमेरिकन्स नजरंदाज किए जा रहे हैं और चीन के खिलाफ ट्रंप का रवैया उन्हें आने वाले समय में अधिक प्रभावित कर सकता है जिसका चुनाव परिणाम पर असर भी हो सकता है।