पोपचीन में लगातार दमनकारी कम्युनिस्ट पार्टी और सरकार धार्मिक आधार पर लोगों को प्रताड़ित कर रही है। चीन में कैथोलिक ईसाई प्रताड़ित किए जा रहे हैं। ऐसे वक्त में दुनिया चीन का काला सच देखने के बाद उसकी आलोचना कर रही है। लेकिन ईसाईयों की धार्मिक वेटिकन सिटी और पोप फ्रांसिस की आंखें अभी भी बंद हैं। वो चीन की आलोचना तो नहीं ही कर रहे हैं बल्कि उन्होंने चीन के साथ समझौतों का नवीनीकरण कर दिया है। जो उनके दोगले रवैए को जाहिर करता है।
पहले हुई डील, फिर उड़ी धज्जियां
पोप फ्रांसिस ने चीन के साथ दो साल के ल़बे वक्त के लिए 2018 में एक डील की थी, जिसका समय अब खत्म हो चुका था। पोप फ्रांसिस को इसके लिए काफी आगाह किया गया था लेकिन संदेह का लाभ देते हुए पोप पर कोई कुछ नहीं बोला। 2018 की वो डील तब से लेकर अब तक गुप्त ही है, उसमें क्या था किसी को नहीं पता। उस वक्त भी इसको लेकर आलोचना हुई थी। हांगकांग के आर बिशप ने तो कहा था, ’‘वो भेड़ियों को पूरा झुंड ही दे रहे हैं।’ लेकिन चीन उस डील की धज्जियां पहले ही उड़ा चुका है। जहां से लगातार कैथोलिक धर्मगुरुओं को हाउस अरेस्ट पर रखा गया है। यहीं नहीं यूजियांग प्रांत में धार्मिक कार्यों के दौरान पादरियों के शामिल होने को निषेध कर दिया गया है। कम्युनिस्ट पार्टी वहां लगातार चर्चों पर ताले लगा रही है। बिशप लू शिनपिंग को सार्वजनिक उत्सव मनाने से रोकना भी चीन की इस डील का उल्लंघन है।
चीनी सरकार के सख्त निर्देश
यही नहीं हांगकांग के कैथोलिक धार्मिक गुरुओं को निर्देश दिया गया कि अपनी आवाज घर तक ही सीमित रखें और राजनीतिक रूप से उत्तेजक बयान न दें। वहीं कैथोलिक स्कूलों के लिए आदेश जारी किया गया कि वो स्कूलों में धार्मिक किताबों को प्रकाशित करने से बचें। बच्चों को ऐसी किताबें दें जिसके जरिए वो देश में अपना योगदान देने के बारे में सोचें और प्रेरित हों। यही नहीं स्कूलों को सख्त निर्देश है कि बच्चों को सरकार के खिलाफ प्रदर्शन में भाग लेने के लिए लगातार हतोत्साहित करते रहें।
चीन ने CCPA (Chinese Patriotic Catholic Association) के रजिस्ट्रेशन की एक प्रक्रिया शुरू की जिसके तहत सरकार को बिशप की नियुक्तियों का अधिकार मिलता है और पोप इन नामांकनों में से चयन करते हैं। चीन में किसी भी बिशप को अवैध करार दिए जाने का अर्थ है कि उसकी धार्मिक आजादी पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना। ऐसे लोगों से किसी भी तरह की आजादी छीनी जा सकती है उन पर धार्मिक आयोजन करने की रोक लगाई जा सकती है, उन्हें सरकार की दमनकारी नीतियों से जूझना पड़ता है।
पोप की चुप्पी
पोप फ्रांसिस जो रविवार को दुनिया के किसी कोने में कैथोलिक ईसाईयों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को उजागर करते हैं। वही पोप चीन में ईसाईयों के साथ प्रताड़ना के मुद्दे पर चुप्पी साध लेते हैं। उइगर से लेकर, तिब्बत, हांगकांग में चीनी सरकार दमनकारी नीति पर काम कर रही है उस पर पोप की चुप्पी हैरान करती है। इस चुप्पी का फायदा उठाकर बीजिंग लगातार अपनी दमनकारी नीतियों पर धड़ल्ले से काम कर रहा है।
एक तरफा है डील
इस डील के नवीनीकरण से ठीक पहले जियांशी शहर में प्रतिबंधों को ढील देने की बजाए और अधिक सख्त कर दिया गया था ,जो ये दिखाता है कि ये डील कितनी एकतरफा है। पोप ने अब ये डील फिर रिन्यू कर ली है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिंजियान ने कहा, ‘डील सफलता पूर्वक लागू हो चुकी है और आने वाले समय में दोनों पक्षो के बीच संवाद और सुझावों का आदान-प्रदान चलता रहेगा।’ चीन के नेजरिए से तो बेशक ये सफल है कि चीनी कैथोलिक चर्चों पर चीनी सरकार का प्रभाव बढ़ रहा है जबकि पोप चुप हैं।
वहीं लगातार चीन के अत्याचार और इस डील के नवीनीकरण के बावजूद कैथोलिकों पर अत्याचार हो रहे हैं लेकिन वेटिकन मौन है। वेटिकन की नजर में कैथोलिक रक्षक बनी कम्युनिस्ट पार्टी कैथोलिकों के लिए ची़न में पीड़ा का पर्याय बन गई है जबकि इस पर वेटिकन मौन है।