‘महाभारत से प्रभावित हैं विदेश मंत्री जयशंकर’, जयशंकर ने अपनी किताब में गहरे भाव व्यक्त किये हैं

तो सफल विदेश नीति के पीछे गीता का ज्ञान है

जयशंकर

भारत के वर्तमान विदेश मंत्री और एक उत्कृष्ट कूटनीतिज्ञ रह चुके डॉ सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने हाल ही में एक पुस्तक लिखी है, ‘The India Way : Strategies for an Uncertain World’, जिसमें कई विषयों पर फोकस किया गया है। इस पुस्तक में डॉ जयशंकर ने उन बातों पर विशेष ध्यान दिया है, जिससे आगे चलकर भारत के लिए एक सशक्त विदेश नीति का निर्माण हो सके।

सुब्रह्मण्यम जयशंकर की यह पुस्तक ऐसे समय में आई है, जब भारत और चीन के बीच एलएसी पर पिछले कई महीनों से सैन्य तनातनी जारी है, जिसमें अभी हाल ही में एलएसी पर फायरिंग की घटना भी हुई है।  इस पुस्तक में ये दिखाया गया है कि कैसे भारत के विदेश मंत्री पर देश के प्राचीन इतिहास का गहरा प्रभाव पड़ा है, जिसमें विशेष रूप से महाभारत की भूमिका काफी अहम है।

विदेश मंत्री जयशंकर के अनुसार महाभारत कूटनीति पर सबसे समृद्ध महाकाव्यों में से एक है, जो वास्तविक घटनाओं का सटीक चित्रण करता है और शासकों के समक्ष आने वाले विभिन्न समस्याओं को भी बखूबी दर्शाता है। पुस्तक के एक अंश अनुसार, “किसी नीति को साहस के साथ लागू करने का सबसे बढ़िया उदाहरण गीता में दिखता है। हमारे वर्तमान समस्याओं की छवि इस महाकाव्य में झलकती है, विशेषकर वो क्षण जहां बाहरी वातावरण का सदुपयोग कर हम द्विपक्षीय समस्याओं का निवारण करते हैं।”

इसके अलावा इसी पुस्तक में सुब्रह्मण्यम जयशंकर इस बात पर भी प्रकाश डालते हैं कि कैसे लोगों के निर्णय राष्ट्र के भविष्य पर एक गहरा प्रभाव डालते हैं। इसके लिए उन्होने कुरुक्षेत्र के धर्मयुद्ध में भाग न लेने वाले दो व्यक्तियों के उदाहरण पर प्रकाश डाला। एक थे बलराम – जिनहोने युद्ध के समय तीर्थयात्रा का निर्णय लिया, और इस युद्ध के परिणाम से आहत होकर भी वे कुछ नहीं कर पाये, और दूसरी ओर विदर्भ के योद्धा रुक्मी, जो अपने आप को दोनों पक्षों से श्रेष्ठ समझते थे, और अंत में दोनों ही पक्षों ने उन्हें नहीं स्वीकारा। इन उदाहरणों के जरिये सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने कहीं न कहीं भारत की गुट निरपेक्षता की नीति पर भी प्रहार किया है, जो जवाहरलाल नेहरू की प्रिय नीति मानी जाती थी।

अब भारत की विदेश नीति पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण नहीं है, अपितु प्राचीन संस्कृति को ध्यान में रखते हुए भारत की विदेश नीति की रचना हो रही है। ऐसे में अब चीन और पाकिस्तान को भारत से सतर्क रहने की बेहद सख्त आवश्यकता है, क्योंकि भारत अब उन्हें  हल्के में नहीं लेने वाला।

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