UNHRC में भारत के प्रथम सचिव पवन बढ़े ने पाकिस्तान और तुर्की का झुनझुना बजा डाला

पवन बढ़े के मुंह से निकले सच ने दो दोस्तों की भद्द पिटवा दी!

भारत ने पाकिस्तान समेत तुर्की और ओआईसी को संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयोग के 45 वें सत्र के दौरान कश्मीर को भारत का अंतरिक मसला बताते हुए करारा जवाब दिया है। इस दौरान भारत ने कश्मीर मानवाधिकार का जिक्र करने वाले पाकिस्तान को आईना दिखाते हुए उसे पूरी दुनिया के सामने बुरी तरह जलील कर दिया है। कश्मीर मुद्दे को उठाकर हर बार मुंह की खाने वाले पाक को इस बार भारत ने बलूचिस्तान में मानवाधिकार हनन के मुद्दे का जिक्र करके उसे वैश्विक स्तर पर एक्सपोज कर दिया है।

ओआईसी समेत पाकिस्तान और तुर्की ने मानवाधिकार आयोग में भारत के खिलाफ कश्मीर में मानवाधिकार के उल्लंघन की बात कही थी। कश्मीर की स्थिति को लेकर एक बार फिर पाक ने बेबुनियाद आरोप भारत पर मढ़े थे। जिसका कड़क जवाब देना हर बार की तरह भारत के लिए जरूरी था और वो आखिरकार दे दिया गया है।

ये पहली बार नहीं है कि तुर्की, पाकिस्तान के किसी बेतुके मुद्दे पर साथ दिखा है। अनुच्छेद-370 के हटने के दौरान भी तुर्की ने भारत की आलोचना की थी। इसको लेकर भारत के प्रथम सचिव पवन बढ़े  ने कहा कि भारत के आंतरिक मामलों में तुर्की को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। साथ ही उसे सलाह भी दी है कि पहले तुर्की को लोकतांत्रिक मूल्यों का सही अर्थ और परिभाषा पता करनी चाहिए उसके बाद वो मानवाधिकार की बात करे, तो बेहतर होगा। ओआईसी को भारत के आंतरिक मामलों में न उलझने की सलाह देते हुए उन्होंने फिर कहा, “मैं फिर से तुर्की को भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने से परहेज करने की सलाह देता हूं।”

पाकिस्तान का जिक्र करते हुए भारतीय सचिव बढ़े ने कहा कि भारत को उस राष्ट्र से मानवाधिकारों पर ज्ञान लेने की आवश्यकता नहीं है जो खुद अपने राष्ट्र में दूसरी जाति या अल्पसंख्यक समूहों पर लगातार अत्याचार कर रहा है। इसके साथ भारत ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का जिक्र करते हुए कहा कि एक प्रधानमंत्री हैं जो छाती ठोक के जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए लोगों को प्रशिक्षण देने की बात कहते हैं। भारत ने याद दिलाया कि किस तरह से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से आतंकी कश्मीर में घुसकर पाकिस्तान की ही शह पर आतंकवाद का घिनौना खेल खेलते हैं।

संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार की बात करने वाले पाकिस्तान को भारत ने आईना दिखाते हुए कहा,

‘पाकिस्तान के खैबर पख्तुनख्वा से लेकर बलूचिस्तान तक में आए दिन सेना बेकसूर लोगों को आतंक के खात्मे के नाम पर और उसके खिलाफ आवाज उठाने वालों पर ज़ुल्म ढाता हैं। बलूचिस्तान में तो कोई ऐसा दिन नहीं गुजरता जब किसी परिवार का कोई शख्स गायब न किया गया हो’।

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार और धर्म परिवर्तन को लेकर भारत ने  आगे कहा,

‘आए दिन इस बेलगाम राष्ट्र में धार्मिक आधार पर सिक्खों, हिंदुओं और ईसाईयों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। उनकी शादी करवाकर जबरन उनका धर्म परिवर्तन कराया जाता है। अल्पसंख्यक युवतियों के साथ बलात्कार और यौन शोषण की किस्से वहां रोज सुनने को मिलते हैं। यही नहीं इन सब मुद्दों पर करने वाले पत्रकारों के खिलाफ पाक सरकार कार्रवाई करती है और कितनों को तो मौत के घाट उतार देती है’।

पाकिस्तान ने हमेशा की तरह ही इस बार कश्मीर मुद्दा तो मानवाधिकार आयोग में उठाया लेकिन ये दांव उस पर ही भारी पड़ा, रही बात महत्वता की… तो पाक के इस एजेंडे को ओईसी तुर्की और कुछ टुटपुंजिए देशों को छोड़कर कोई तवज्जो नहीं देता है बल्कि पाकिस्तान की अपनी ही किरकरी हो जाती है।

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