देश में जब भी चुनाव का माहौल आता है तब कांग्रेस पीएम मोदी को निशाना बनाने वालों से हाथ मिला लेती है, चाहे वो भारत की छवि अंतराष्ट्रीय स्तर पर खराब करने वाला ही क्यों न हो। कांग्रेस पार्टी को इस बार बिहार चुनावों से पहले एक नया ट्रम्प कार्ड मिला है जिसका नाम कफील खान है। CAA के खिलाफ हिंसा के दौरान भड़काऊ भाषण के आरोप में रासुका के तहत गिरफ्तार होने वाले कफील खान ने हाल ही में पीएम मोदी और योगी आदित्यनाथ को अंतराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने के लिए UNHRC को शिकायत पत्र लिखा था जिसने कांग्रेस का समर्थन भी मिल गया है।
दरअसल, CAA विरोधी प्रदर्शनों के दौरान अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भड़काऊ भाषण के आरोप में गिरफ्तार होने वाले कफील खान की रिहाई के बाद कांग्रेस से भरपूर समर्थन मिल रहा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के बाद अब डॉ. कफील खान पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव तथा उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा के सम्पर्क में हैं। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि वे कांग्रेस में भी शामिल हो सकते हैं।
कांग्रेस महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी जी ने डॉ कफील खान से मुलाकात की। pic.twitter.com/65KMYldCsY
— UP Congress (@INCUttarPradesh) September 21, 2020
हाल ही में NSA के तहत जमानत पर छूटे डॉ. कफील खान ने नई दिल्ली में सपरिवार प्रियंका गांधी से मिलने पहुंचे और उनको उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संघ में शिकायत करने की जानकारी दी।
बता दें कि प्रियंका गांधी से मिलने से पहले कफील खान ने UNHRC को पत्र लिखा है कि भारत में असहमति की आवाज को दबाने के लिए और मानव अधिकारों के उल्लंघन के लिए NSA और UAPA जैसे सख्त कानूनों का दुरुपयोग किया जा रहा है।
To
The United Nations Human Rights Experts@UNHumanRights
Office of the high commissioner
GenevaThank you all for urging our Indian government to immediately release human rights defenders who have been arrested for peacefully protesting against CAA/NRC pic.twitter.com/y11U3F9KJq
— Dr Kafeel Khan (@drkafeelkhan) September 19, 2020
डॉ. कफील खान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों के समूह को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि मथुरा जेल में रहने के दौरान उन्हें ‘यातना’ दी गई थी। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों को भेजे गये पत्र में कफील ने जेल में अपने साथ हुये दुर्व्यवहार का जिक्र करते हुए कहा, ”मुझे मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से प्रताड़ित किया जाता था।उन्होंने लिखा कि कई कई दिन खाना और पानी नहीं दिया जाता था। क्षमता से अधिक कैदियों से भरी जेल में रहने के दौरान मेरे साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता था।”
कफील खान को कांग्रेस और प्रियंका गांधी का समर्थन मिला इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है बल्कि एक चाल है जिससे पीएम मोदी को चुनावों के दौरान UNHRC के नाम पर बदनाम किया जा सके और यह नैरेटिव बनाया जाए कि यह सरकार भारत में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करती है।
कफील खान जब जेल में थे तो प्रियंका गांधी ने इनकी रिहाई के लिए एक हस्ताक्षर अभियान चलाया था। हस्ताक्षर अभियान के साथ विरोध प्रदर्शन और जनता को पत्र लिखकर कांग्रेसियों ने कफील खान की रिहाई के लिए आवाज बुलंद की थी। कफील की रिहाई के बाद उन्हें और उनके परिवार को कांग्रेस की ओर से जयपुर के एक रिज़ॉर्ट में ठहराया भी गया था। मीडिया रिपोर्टों की माने तो इन्हें चुनाव लड़ने का ऑफर बात भी चल रही है। हालांकि, कफील खान ने इस बात से इंकार किया है लेकिन अगर भविष्य में ऐसी कोई खबर आए तो हैरानी नहीं होनी चाहिए।
पिछले कुछ महीनों में प्रियंका गांधी ने कफील खान का इस्तेमाल मुस्लिम वोट बैंक को निशाना बनाने के लिए किया है जो पिछले कुछ समय से कांग्रेस के हाथ से निकलते दिखाई दिये हैं।
अधिकांश राज्यों में मुस्लिमों ने क्षेत्रीय पार्टियों जैसे असम में AIUDF, पश्चिम बंगाल में TMC, बिहार में JD (U) और RJD, उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा, तेलंगाना में AIMIM, केरल में IUML को वोट देना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि अब प्रियंका गांधी एक भी मौका नहीं छोड़ना चाहती हैं।
खान को अरुंधति रॉय या मेधा पाटकर जैसे प्रसिद्ध सेलिब्रिटी कार्यकर्ता बनाने के लिए, कांग्रेस ने अपना पूरा समर्थन दिया है। यह एक अलग बात है कि यूएनएचआरसी को कोई भी नहीं सुनता है, लेकिन भारत की लेफ्ट लिबरल गैंग और कांग्रेस इकोसिस्टम के मीडिया हाउस इसका भरपूर फायदा उठाने की कोशिश करेगी जिससे कफील खान को मुस्लिम चेहरे के रूप में पेश किया जा सके और कांग्रेस के लिए वोट जुटा सके।
ऐसा लगता है कि आगामी बिहार चुनाव पहले होगा जहां कांग्रेस JDU से मुस्लिम वोटों को छीनने के लिए कफील खान को भुनाने की कोशिश करेगी। बिहार के मुसलमान बड़ी संख्या में नीतीश कुमार को वोट देते हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव में, कांग्रेस उन मुस्लिम मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित करेगी जो राज्य की आबादी का 17 प्रतिशत हिस्सा हैं। हालांकि, राज्य में मुसलमान पहले से ही बड़ी संख्या में राजद-कांग्रेस गठबंधन को वोट देते हैं, लेकिन जद (यू) को भी वोट देते हैं। उदाहरण के लिए, राज्य के एक मुस्लिम बहुल लोकसभा क्षेत्र किशनगंज में, कांग्रेस उम्मीदवार ने 339 वोटों से 2019 का आम चुनाव जीता, लेकिन जदयू उम्मीदवार को भी 30 प्रतिशत वोट मिले।
इसलिए, बिहार के मुस्लिमों में अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए प्रियंका गांधी कफील खान को ट्रम्प कार्ड के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं। एक आरोपी डॉक्टर को एक हीरो बनाकर, कांग्रेस पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मुस्लिम मतदाताओं को हथियाना चाहती है।