लद्दाख में भारत ने 6 और चोटियाँ फतह कर ली, उधर PLA के बच्चे Bed गर्म करते रहते गए

अबकी बार अक्साई चिन लेने के मूड में है भारत!

लद्दाख

भारत और चीन के बीच लंबे गतिरोध के कारण एक तरफ जहां दोनों देशों के नेताओं के मध्य बातचीत कर मामले को हल करने की कोशिशें कर रहे हैं तो दूसरी ओर भारतीय सेना लद्दाख की खून जमा देने वाली ठंड में लगातार ऊंची चोटियों पर अपना कब्जा जमा रही है। भारतीय सेना का शौर्य ठंड में भी जोशीला है तो चीनी सैनिकों की हालत इतनी ठंडी पड़ गई कि वो बेचारे अस्पताल के ही चक्कर लगाकर परेशान हो गए हैं।

चोटियों पर लगातार कब्जा

दरअसल, 29 अगस्त के बाद भारतीय सेना ने लद्दाख में चीनी पीएलए के साथ संघर्ष के दौरान युद्ध में महत्वपूर्ण 6 पहाड़ी चोटियों पर अपना कब्जा जमा लिया है। इन इलाकों की बात करें तो एएनआई के रिपोर्ट के मुताबिक ये क्षेत्र फिंगर 4 के पास की उन जगह पर हैं जहां चीनी सेना की मजबूती अधिक है। इन क्षेत्रों में गुरुंग हिल, रेसेन ला, रेजांग ला, मोखपारी समेत चीन के लिए महत्वपूर्ण लाभदायक चोटियां शामिल हैं।

दुश्मन पर पैनी नजर

गौरतलब है लद्दाख के अलावा अरुणाचल प्रदेश में भी भारतीय सेना पूरी तरह सक्रिय है। भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों की हरकतों पर नजर रखने के लिए 6 विवादित और 4 संवेदनशील क्षेत्रों में अपनी तैयारियों का स्तर बढ़ा दिया है। ये सभी 1962 में चीनी पीएलए द्वारा किए गए विवादित क्षेत्र हैं जिनमें असपिला, लोग्जूं, बिसा और माझा ऊपरी सबनसिरी जिले के इलाक़े हैं जहां चीन ने एलएसी के मुख्य बिंदु से बिसा तक सड़क निर्माण कराया है। इसके अलावा अन्य दो विवादित क्षेत्र तवांग ला और तवांग जिले का ही यांगत्से है जो कि 1962 के युद्ध का कारण था। 1975 के दौरान इस क्षेत्र में जब चीनी सेना सीमा पार करके आई थी तो असम राइफल्स के कई जवानों ने अपना बलिदान दिया था।

जानकारियों के मुताबिक चीन असपिला के पूरे इलाके को अपना बताता है। बेहद ऊंचाइयों वाला ये ठंडा क्षेत्र दोनों ही देशों की सेनाओं के लिए चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है। वहीं चीन की सेना सर्दियों के मौसम में 6 महीनों तक इस क्षेत्र से बिल्कुल कट जाती है। ऐसे में भारतीय सेना के लिए ये चीन को सबक सिखाने का बेहतरीन मौक हो सकता है। चीन इस इलाके में लगातार अपना वर्चस्व जमाने के लिए क्रूरता का सहारा लेता है कुछ दिन पहले ही चीनी पीएलए ने इस इलाके के एक 21 वर्षीय शख्स को पकड़ लिया था जिसे भारतीय सेना को 19 दिन बाद सौंपा गया।

अस्पताल में चीनी सैनिक

एक तरफ जहां भारतीय सेना लगातार चीनी पीएलए पर भारी पड़ रही है तो दूसरी ओर चीनी सैनिकों को आए दिन अस्पताल जाना पड़ रहा है। हमारी TFI Post की एक रिपोर्ट के मुताबिक सेना के सूत्रों ने बताया है कि पैंगोंग त्सो के उत्तरी इलाके में स्थित फिंगर 4 से चीनी सैनिकों को स्ट्रेचर के जरिए नीचे उतरते देखा गया है और वे सभी को फिंगर 6 के पास बने मेडिकल फैसिलिटी और अस्पतालों में भेजा गया है। उन्हें लद्दाख के उस इलाके में तैनाती के कारण दिक्कतें हो रही है और ये लगभग अब रोज का ही चित्र बन गया है।

दरअसल, इस क्षेत्र की ऊंचाई करीब 16 से 17 हजार मीटर तक की है और सर्दियों में स्थितियां और अधिक बुरी हो जाती हैं। ऐसे में भारतीय सैनिकों को मिले प्रशिक्षण के कारण उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती है जबकि पीएलए के सैनिकों को इसका कोई खास अनुभव ही नहीं है। आशंकाएं थीं कि कोविड के दौर में भारतीय सैनिकों को दिक्कत होगी लेकिन यहां तो पूरा गेम ही पलट गया है। भारतीर सेना के पास सियाचिन की चोटियों पर पाकिस्तान से लड़ने का अनुभव है। रेजांग ला के इलाकों में तो 1962 की ठंड में लड़ाई के दौरान भारतीय सेना के पास युद्धक सामग्री और अच्छे कपड़े तक नहीं थे। इसके बावजूद करीब 123 सैनिकों ने 1350 से ज्यादा चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था जो कि भारतीय सेना के जज्बे को दिखाता है।

जानकारों का मानना था कि चीन सर्दियों में भारत पर भारी पड़ेगा, लेकिन चीनी सैनिकों की हालात भारतीय सैनिकों से लोहा लिए बिना ही खराब हो गई है। वो बेचारे अस्पताल में इलाज़ कराने में ही व्यस्त हैं। दूसरी ओर भारतीय जवान चोटियों पर कब्जा जमा रहे हैं। जो ये जाहिर करता है कि ऐसे जानकारों को अब तवज्जो नहीं देनी चाहिए जो भारतीय सेना को ही कमतर देखते हैं।

 

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