जापान में शिंजो आबे के जाने के बाद चीनी सरकार में उसी दिन उदासी छा गई थी जब Yoshihide suga को नया प्रधानमंत्री चुना गया था। अब सुगा का प्लान ताइवान राष्ट्रपति त्साई इंग वेन से फोन पर बात करने का है जिससे चीन को मिर्ची लगना तय है। जापान ताइवान को मान्यता देने के साथ ही सौदेबाजी की मेज पर सेनकाकू मुद्दे को हल करने पर तैयार हो सकता है जिससे चीन को दोहरी मार पड़ेगी।
दशकों बाद होगी बात
दरअसल, जापान के नए प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वेन से फोन पर बातचीत कर रणनीति बना रहे हैं जिसको लेकर पूर्व प्रधानमंत्री योशिरो मोरी ने कहा कि ये दशकों बाद उठाया गया बड़ा कदम होगा जब दोनों नेताओं के बीच सीधी बातचीत होगी। सुगा और त्साई की संभावित बातचीत को लेकर मोरी ने कहा, “अगर कोई ऐसा मौका होगा सुगा उनसे बात करना चाहेंगे।”
चीन को होगी चिढ़न
1972 के बाद से जापान और ताइवान के बीच कोई आधिकारिक बातचीत नहीं हुई है जिस कारण अगर ये बातचीत होगी तो सबसे ज्यादा परेशानियां चीन को ही होंगी। चीन Taiwan की स्वायत्त सरकार को एक ढोंग बताता है। चीन का मानना है कि यदि जरूरत पड़ी तो वो ताईवान को वापस चीन में मिले लेगा, चाहे बल प्रयोग ही क्यों न करना पड़े। चीन ताइवान को अपना अखंड हिस्सा मानता है जबकि ताईवान खुद को स्वतंत्र लोकतंत्र होने के साथ ही त असली चीन बताता है।
चीन, जापान को ताइवान राष्ट्रपति से बात न करने की धमकी भी दे चुका है। दूसरी ओर राष्ट्रपति त्साई ने भी सुगा से होने वाली बातों को नकारा है। लेकिन दोनों देशों के बीच संवाद जारी हैं। इन मामलों से इतर Taiwan भी “आक्रमक विचारधारा” वाले राष्ट्रों के खिलाफ “समान विचारधारा” वाले देशों का “गठबंधन” बनाने का प्रस्ताव दे चुका है। ताइवान दक्षिणी और पूर्वी समुद्री क्षेत्रों में चीन की बढ़ती कार्रवाइयों को क्षेत्र की अस्थिरता के लिए बुरा खतरा मानता है।
चीन के बुरे दिन
कोई भी देश जब चीन को नीचा दिखाना चाहता है तो उसकी सबसे कमजोर नब्ज यानी Taiwan पर बात शुरू कर देता है। चीन के बढ़ते वैश्विक आतंक और हाल में उसके ही द्वारा फैले कोरोनावायरस के कारण पहले ही लोग चीन से नफरत करने लगे हैं जिसका फायदा ताइवान को हुआ। वैश्विक स्तर पर Taiwan को मान्यता देने की चर्चा भी शुरू हो गई है जिससे चीन को उसकी हैसियत दिखाई जा सके।
सेनकाकू द्वीप को लेकर विवाद
सेनकाकू द्वीप पर लंबे वक्त से कम्युनिस्ट चीन का कब्जा रहा है। Taiwan इस पर अपना दावा ठोक चुका है जिसके बाद अति राष्ट्रवाद के नाम पर Taiwan की काफी आलोचना भी हुई थी। वहीं जापान के मुताबिक ये उसका इलाका है। जिसको लेकर एक बड़ा विवाद है। ऐसे में Taiwan सेनकाकू के मुद्दे पर जापान के प्रति नर्म है जो कि उसके और जापान के बीच रिश्तों के बीच बातचीत का पुल बन सकता है।
ताइवान चाहता है कि यदि जापान ताइवान को वैश्विक स्तर पर मान्यता देता है तो वो सेनकाकू के क्षेत्र में जापान को समर्थन दे सकता है। ताइवान की सेनकाकू नीति को जापान अच्छे से समझता है। ऐसे में जापान ताइवान के साथ मिलकर न केवल इस मसले को हल कर सकता है बल्कि एक साथ चीन के ताइवान और सेनकाकू का छिनना उसके लिए एक सदमा होगा।