लद्दाख क्षेत्र में पिछले चार महीनों से भारत द्वारा भद्द पिटा रहा चीन अब अपनी कुछ ऐसी ही हरकतें भारतीय मित्र राष्ट्र भूटान के सीमावर्ती इलाकों में भी कर रहा है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अब भूटान के जरिए भारत पर दबाव बनाने की कोशिश में है लेकिन उसके आग लगाने वाले मंसूबों पर मोदी सरकार आए दिन अपनी सक्रियता का पानी फेर देती है और नतीजा ये कि वैश्विक स्तर पर चीन चारों खाने चित नजर आता है। कुछ ऐसी ही संभावनाएं इस बार भी बन रही हैं। दरअसल, भारत पर दबाव बनाने के लिए अब चीन फिर से भूटान का सहारा ले रहा है। परंतु इस बार भारत ने पहले ही पूरी तैयारी कर रखी है। अर्थात, इस बार चीन को डोकलाम 2.0 के रूप में जबरदस्त झटका लगेगा।
चीन, भारत से सटे भूटान के साथ भी अब नेपाल जैसा ही रवैया अख्तियार कर रहा है। पीएलए सैनिकों की एक बड़ी तादाद भूटान के इलाकों को कब्जा करने में सक्रिय हो गई है। चीन ने भूटान के पांच पश्चिमी इलाकों पर अपना दावा ठोका है, ये इलाका भूटान के भीतर 40 किमी चुंबी वैली तक का हैं। गौरतलब है कि ये वही डोकलाम का इलाका है जिसके कारण 2017 में 73 दिन तक भारत चीन विवादों में उलझे थे।
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक सैन्य तैनाती के साथ ही चीन ने इस इलाके में सर्विलांस सिस्टम को भी मजबूत कर दिया है। चीन, भूटान के कंधे पर बंदूक रखकर भारत को कमजोर करने की कोशिश में है क्योंकि भूटान, भारत और चीन के बीच भारत के लिए एक सुरक्षा दीवार की तरह है ऐसे में भारत और भूटान का रुख इस मसले पर काफी अहम हो जाता है क्योंकि डोकलाम को हथियाने के बाद चीन को भारत के खिलाफ कारवाई में आसानी होगी।
चीन का जिस तरह का विस्तारवादी रवैया है उसको देखते हुए भारत ने पहले ही चीन से जुड़ीं सीमाओं पर तैनात सुरक्षा बलों की संख्या में भारी इजाफा कर रखा था। लेकिन जब से चीन ने भूटान के इलाकों को अपना बताने का दावा ठोका है उसके बाद से भारत सरकार ने पूरी सतर्कता के साथ चीन से सटी सभी सीमाओं पर स्पेशल फोर्सेज के जवानों का एक कवच बना दिया है। भारत चीन के इस रवैए को देखते हुए भूटान के राष्ट्रीय प्रशसान को पहले ही आगाह कर चुका था जिसके बाद भूटान के रॉयल सीमाएं भी पूरी तरह से हाई अलर्ट पर हैं।
भूटान का भारत के प्रति हमेशा ही नर्म रुख रहा है। डोकलाम के बदले दिए जा रहे पैकेज और वन बेल्ट सड़क परिवहन के प्रस्तावों को जिस बेरूखी से भूटान ने नकारा था उससे ये साबित होता है कि भूटान की संपूर्ण विदेश नीति हमेशा भारत के लिए ही निष्ठावान है। थिंपू समय-समय पर चीन समेत पूरे विश्व को इसके साफ संकेत भी देता रहा है। ऐसे में भूटान के 318 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर चीन द्वारा किए गए दावे के बाद अब भारत पूरी सक्रियता दिखाते हुए भूटान के साथ खड़ा है।
भारत के आक्रमक रूख ने चीन की सिट्टी-पिट्टी गुल कर दी है जिस कारण अब चीन लगातार भारत के साथ बातचीत कर रहा है। ऐसे में 25वें दौर की बातचीत से पहले चीन ये चाहता है कि भूटान को कब्जाने का इशारा देकर भारत पर दबाव बनाया जाए। यही नहीं चीनी विदेश मंत्रालय जिस तरह से 1985 के बाद पहली बार अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों को अपना बताने का दावा कर रहा है वो ये दिखाता है कि चीन केवल एक कागजी ड्रैगन है और अपनी नापाक इरादों को अंजाम देने के लिए भारत को चारों तरफ से घेरने की कोशिश में किसी भी हद तक जा सकता है।
भूटान के डोकलाम इलाके में चीन पहले भी भारत से मुंह की खा चुका है। वहीं उस विवाद के बाद से ही भारत ने भूटान के साथ मिलकर इस पूरे इलाके समेत सीमा के अंतिम बिंदु पर तैनात जवानों को रसद और सभी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए परिवहन का बेहतरीन जाल बिछाया है जिससे किसी भी खतरे से तत्काल निपटा जा सके। वहीं भूटान और भारत जिस तरह से उस वक्त साथ खड़े थे उससे चीन के होश फाख्ता हो गए थे। चीन अपनी चालाकियों को समझदारी समझता है और फिर जोरदार तमाचा खाने के बाद दुम दबाकर भागता है। दोनों देशों की सक्रिय एकता इस बात का प्रमाण है कि चीन डोकलाम से भी बड़ी हार झेलने वाला है जो हमेशा याद रखी जाएगी।