महाराष्ट्र में कोरोनावायरस का प्रकोप देश के अन्य राज्यों से कहीं ज्यादा है। राज्य सरकार की विफलताओं को लेकर हर तरफ से सवाल खड़े हो रहे हैं। इस बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ काम करने वाले एक चिकित्सा अधिकारी ने महाराष्ट्र सरकार की पोल खोल कर रख दी है। राज्य में कोरोना की स्थिति पर जानकारी देते हुए एक वीडियो में चिकित्सा अधिकारीओम प्रकाश शेटे खुद ही भावुक हो गए और बताया कि कैसे वहां लोग इस जानलेवा बीमारी से पीड़ित हैं और सरकार सब चुपचाप बैठकर देख रही है। उनके इस वायरल वीडियो ने महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दरअसल, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के मेडिकल असिस्टेंस सेल के प्रमुख ओम प्रकाश शेटे महाराष्ट्र में कोरोनावायरस की स्थिति बताते हुए रोने लगे। उन्होंने एक वीडियो में कहा, “आम आदमी खुद को सुरक्षित रखने की जद्दोजहद में लगा हुआ है। सारे अधिकार मुख्यमंत्री के पास हैं। ये उन पर निर्भर करता है कि वो अपने पावर और अधिकार का किस तरह से इस्तेमाल करते हैं।”
पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस के कार्यकाल मे ओएसडी रह चुके ओम प्रकाश शेटे ने रोते हुए बताया, “हम 17 लाख लोगों की मदद कर चुके हैं। लेकिन ये आंकड़ा हर दिन बढ़ रहा है। हर दिन 600 से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है। मेरे लिए लोगों को जवाब देना मुश्किल हो रहा है। इसलिए मैं अब आखिरी उम्मीद के साथ अदालत की चौखट पर गया हूं क्योंकि इतने लोग मर रहे हैं जो कि तकनीकी गलतियां हैं। इसलिए अदालत में जाना जरूरी है।”
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में कोरोनावायरस के हर दिन 18-19 हजार मामले सामने आ रहे हैं और 600-800 लोगों की मौत हो रही है जिससे यहां स्थितियां भयावह हो गईं हैं। पूरे देश में सबसे ज्यादा कोरोनावायरस से प्रभावित होने वाला राज्य महाराष्ट्र ही है। कोरोनावायरस के प्रकोप को नाकाम करने में महाराष्ट्र सरकार पूरी तरह फेल रही है और अब तो उनके अधिकारी भी ये बात स्वीकारने लगे हैं।
एक तरफ जहां केंद्र की मोदी सरकार कोरोनावायरस से लड़ने को लगातार अभियान चला रही है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ वर्चुअल मीटिंग कर रहे हैं, तो दूसरी ओर महाराष्ट्र में स्थिति हर दिन बिगड़ रही है। जिसमें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बड़ी वजह माना जा रहा है। भाजपा समेत विपक्षी दल उद्धव ठाकरे पर अनुभवहीन होने का आरोप लगा रहे हैं कि कैसे उन्होंने अपनी ज़िद में महाराष्ट्र का बंटाधार कर रखा है। उद्धव आजतक नगर पालिका का चुनाव नहीं लडे़ और सीधे मुख्यमंत्री बनना उनके लिए ही चुनौतीपूर्ण गया है।
कोरोनावायरस से परेशान महाराष्ट्र में बुरी स्थिति के बावजूद शिवसेना बॉलीवुड एक्ट्रेस का ऑफिस ध्वस्त करने और भाजपा के साथ राजनीतिक लड़ाइयों में व्यस्त हैं। संजय राउत जैसे नेता शिवसैनिको द्वारा पूर्व सैनिक के साथ मार-पीट किए जाने पर तो आक्रमक बयान देते हैं लेकिन कोरोनावायरस पर सवाल पूछो तो चुप्पी साधते हुए सारे आरोप बीजेपी और मोदी सरकार पर मढ़ देते हैं।
कंगना रनौत को मुंबई में आने से रोकने की धमकी देना हो, या दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के पिता पर निजी और अभद्र टिप्पणी करनी हो, संजय राउत समेत शिवसेना का हर नेता फ्रंटफुट पर रहता है। छोटे-से विवाद को बड़ा बनाकर मीडिया कवरेज बंटोरने में माहिर शिवसेना कोई मौका नहीं चूकती है, लेकिन कोरोनावायरस ने उसकी भद्द पिटवा दी है जिस पर बोलना उसके लिए ही असहज हो रहा है।
उद्धव ठाकरे एक तरफ जहां महाराष्ट्र अघाडी सरकार में मुख्यमंत्री के तौर पर स्टेरिंग संभालते हुए सरकार को बेलगाम भगा रहे है। तो हिचकोले खाने वाले इस सफर में भी शिवसेना के सहयोगी कांग्रेस और एनसीपी मजे ले रहे हैं। कोरोनावायरस पर जब कोई भी सवाल पूछा जाता है तो वो मुख्यमंत्री का जिक्र करके बातों को नजरंदाज कर देते हैं जिससे शिवसेना की मुश्किलें और बढ़ जाती हैं क्योंकि गठबंधन में कांग्रेस और एनसीपी मीठा-मीठा गप-गप और कड़वा-कड़वा थू-थू की नीति पर चल रही है। शुरू से ही शिवसेना के साथ गठबंधन के खिलाफ रहे कांग्रेस के बागी नेता और पूर्व मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरूपम ने तो इस वीडियो के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को आड़े हाथों लिया है।
ऐसे में मुख्यमंत्री के ही चिकित्सा अधिकारी का रो कर राज्य में कोरोनावायरस की व्यथा बताना साफ जाहिर करता है कि शिवसेना समेत पूरी महाराष्ट्र सरकार कोरोना के मुद्दे पर कितनी नाकाम रही है जिसके संपूर्ण कर्ता-धर्ता सीएम उद्धव ठाकरे ही हैं।